Thursday, January 23, 2025
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‘हिंदूफोबिक’ अभिनेता नसीरुद्दीन ने PM मोदी की तुलना फिल्मी खलनायक ‘जनरल डॉन्ग’ से की, केदारनाथ मंदिर में चढ़ने वाले ब्रह्मपुष्प का भी किया अपमान

पिछले साल दिसंबर में करण थापर से बात करते हुए उन्होंने कहा था वे भारत में अपने बच्चों को लेकर डरे हुए हैं। उन्होंने कहा था कि देश में एक पुलिस इंस्पेक्टर की मौत से ज्यादा एक गाय के मरने को मुद्दा बनाया जाता है, जो त्रासद है।

हिंदू विरोधी बयानों के लिए कुख्यात बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) ने एक बार फिर अपनी नफरत को जाहिर किया है। इस बार उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पर सांकेतिक रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी है। ये वही नसीरुद्दीन शाह हैं जिन्हें पाकिस्तान के लाहौर में घर जैसा महसूस होता है, लेकिन भारत में डर लगता है और कहते हैं भारत में बोलने की आजादी नहीं है।

नसीरुद्दीन शाह ने प्रधानमंत्री की तुलना ‘तहलका’ फिल्म में दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता अमरीश पुरी के खलनायक किरदार ‘जनरल डॉन्ग’ की है। नसीरुद्दीन शाह ने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर की, जिसमें उन्होंने पीएम मोदी की टोपी पहनी हुई तस्वीर के साथ ‘जनरल डॉन्ग’ की तस्वीर का कोलाज बना हुआ था। जाहिर तौर पर उन्होंने पीएम की तुलना उसी किरदार से की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 जनवरी के दौरान उत्तराखंड की प्रसिद्ध ‘ब्रह्मकमल पहाड़ी टोपी‘ पहनी थी। देवपुष्प के भी नाम से जाना जाने वाला ब्रह्मकमल उत्तराखंड का राज्य पुष्प है। 11 हजार फीट से अधिक ऊँचाई पर रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों में बहुतायत में पाए जाने वाले इसी ब्रह्मकमल से केदारनाथ मंदिर में पूजा संपन्न की जाती है। इसी पुष्प के नाम पर टोपी का नामकरण भी किया गया है।

इस तरह नसीरुद्दीन शाह ने ना सिर्फ पीएम मोदी का अपमान किया, बल्कि देवपुष्प पर बनी बह्मकमल टोपी की तुलना एक खलनायक के टोपी के करके उन्होंने हिंदुओं की संस्कृति का भी अपमान किया। ये पहली बार नहीं है, जब नसीरुद्दीन ने इस तरह का कृत्य किया हो। इसके पहले भी वह अपनी घृणा प्रदर्शित करते रहे हैं। पिछले साल नवंबर में उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के ‘अब्बाजान’ वाले बयान पर उन्होंने इसे अवमानना बताया था। उन्होंने कहा था कि हिंदुओं को भारत में बढ़ती कट्टरता पर बोलना चाहिए।

इसी दौरान उन्होंने मोदी सरकार की तुलना नाजी जर्मनी से की थी। उन्होंने कहा था कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री इस्लामोफोबिया से ग्रसित है और सबसे बड़ी बात ये है कि इस दिशा में फिल्म बनाने वाले फिल्ममेकर्स को भारत सरकार प्रोत्साहित कर रही है। 

इससे ठीक पहले नसीरुद्दीन शाह ने तालिबान समर्थकों पर अपना बयान दिया था। अपनी वीडियो में उन्होंने कहा था, “हालाँकि, अफगानिस्तान में तालिबान का फिर से हुकूमत पा लेना दुनिया भर के लिए फिक्र का बायस (चिंता का विषय) है, इससे कम खतरनाक नहीं है हिन्दुस्तानी मुसलमानों के कुछ तबकों का उन बहशियों की वापसी पर जश्न मनाना।”

इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश में बने धर्मांतरण कानून को लेकर भी उन्होंने विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि उत्तर प्रदेश में ‘लव जिहाद’ को लेकर तमाशा चल रहा है, उससे वे खासे आक्रोशित हैं। उन्होंने इसे समाज को विभाजित करने वाला बताते हुए कहा कि लोगों को ‘जिहाद’ का सही अर्थ ही नहीं पता है।

पिछले साल दिसंबर में करण थापर से बात करते हुए उन्होंने कहा था वे भारत में अपने बच्चों को लेकर डरे हुए हैं। उन्होंने कहा था कि देश में एक पुलिस इंस्पेक्टर की मौत से ज्यादा एक गाय के मरने को मुद्दा बनाया जाता है, जो त्रासद है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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