Friday, April 19, 2024
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‘हमारी फिल्मों को ब्लॉकबस्टर बना कर जनता लिबरल गिरोह को दिखाएगी आईना’: IFFI कांड पर बोले ‘द कश्मीर फाइल्स’ के निर्माता – सच्चाई दिखाना नहीं छोड़ेंगे

"मैं एकमात्र सलाह यही देना चाहूँगा कि इस तरह के बड़े और प्रतिष्ठित समारोहों में, जहाँ काफी कुछ दाँव पर लगा हो, उनमें जिम्मेदार लोगों को चुनने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरती जानी चाहिए। ऐसे लोग इस तरह की जिम्मेदारियों के लिए सही चुनाव हो सकते हैं, जो हमारे महान राष्ट्र की राजनीतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक संरचना को अच्छे से समझते हों।"

इजरायल के फ़िल्मकार नादव लैपिड को गोवा में आयोजित ‘इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI)’ में बतौर जूरी हेड आमंत्रित किया गया था। समारोह का आयोजन गोवा सरकार और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय मिल कर करता है। नादव लैपिड ने समारोह के समापन के दौरान ‘द कश्मीर फाइल्स’ को प्रोपगैंडा और भद्दी फिल्म बता दिया। कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार की सच्चाई दर्शाती इस फिल्म को दुनिया भर में काफी प्यार मिला था।

जहाँ दुनिया भर में इस फिल्म ने 350 कारोबार किया था, वहीं भारत में भी इस फिल्म का नेट कलेक्शन 250 करोड़ रुपए के पार रहा है। IFFI के 53वें संस्करण के मंच से फिल्म के खिलाफ घृणा फैलाए जाने को लेकर हमने ‘द कश्मीर फाइल्स’ के निर्माता अभिषेक अग्रवाल से बातचीत की। अभिषेक अग्रवाल और निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की जोड़ी ‘द दिल्ली फाइल्स’ और ‘द वैक्सीन वॉर’ के लिए भी साथ काम कर रही है। ऑपइंडिया से एक्सक्लूसिव बातचीत में अभिषेक अग्रवाल ने नादव लिपिड के बयानों पर प्रतिक्रिया दी।

सवाल: नादव लैपिड ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ को प्रोपेगंडा और वल्गर फिल्म बताया है। आप इस पर किस तरह प्रतिक्रिया देना चाहेंगे?
जवाब
: सबसे पहली बात तो ये है कि इतने प्रतिष्ठित समारोह में एक जूरी सदस्य द्वारा एक खास फिल्म की आलोचना करना काफी गैर-जिम्मेदाराना रवैया है। चूँकि नादव लैपिड एक बाहरी हैं, उन्हें शायद इसका अंदाज़ा भी नहीं है कि हमारे देश को क्या झेलना पड़ा था और कश्मीरी पंडितों के साथ कैसा अत्याचार हुआ था। इसीलिए, उनके द्वारा ‘द कश्मीर फाइल्स’ को ‘प्रोपेगंडा और वल्गर’ बताया जाना बिलकुल भी स्वीकार्य नहीं है।

सवाल: इजरायल के कई राजनयिकों और नेताओं ने नादव लैपिड को उनके बयान के लिए लताड़ लगाई है। यहूदियों और इजरायल को लेकर आपके क्या विचार हैं? क्या आपको लगता है कि इससे हिन्दू-यहूदी या भारत-इजरायल के रिश्तों पर फर्क पड़ेगा?
जवाब
: किसी एक व्यक्ति का बेहूदा बयान दो देशों के बीच रिश्ते नहीं बिगाड़ सकता। भारत में इजरायल के काउंसल जनरल कोबी शोशानी ने नादव लैपिड द्वारा की गई टिप्पणी की सार्वजनिक रूप से निंदा की। वो अनुपम खेर (‘द कश्मीर फाइल्स’ के मुख्य अभिनेता) के मित्र भी हैं और उन्होंने अभिनेता से उनके स्कूल पर जाकर मुलाकात कर के बताया कि वो किस कदर तक इस टिप्पणी से दुःखी हैं। प्रत्येक सभ्यता और राष्ट्र अपनी अलग-अलग समस्याओं से जूझता है, जिनसे एक होकर निपटना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए। चाहे वो यहूदी हों या फिर हिन्दू, हमें एकता में ही मजबूती ढूँढ़नी चाहिए।

सवाल: IFFI का आयोजन गोवा सरकार और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय मिल कर करता रहा है। क्या आपको लगता है कि नादव लैपिड को जूरी हेड बना कर उन्होंने गलती की? गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और IB मंत्री अनुराग ठाकुर से आप क्या माँग करना चाहेंगे?
जवाब: किसी घटना के घट जाने के बाद हम हम कई चीजों पर बहस कर सकते हैं और बातचीत कर सकते हैं। लेकिन, जूरी का चुनाव एक खास मापदंड के आधार पर किया गया था और अब कोई एक व्यक्ति दुष्ट निकल गया तो इसके लिए पूरी सिलेक्शन कमिटी को दोष नहीं दिया जा सकता। स्टेज पर जाकर एक व्यक्ति क्या करता है और क्या सब बोलता है, ऐसे कार्यक्रमों में इस पर नियंत्रण रखना कठिन होता है। इस मामले में भी यही हुआ है।लेकिन, हमारे कश्मीरी भाइयों के दर्द को दिखाती फिल्म को प्रोपेगंडा बताना हर एक भारतीय के लिए पाना मुश्किल है। इस टिप्पणी का जम कर विरोध हो रहा है, जो सही भी है।

सवाल: IFFI कार्यक्रम के दौरान आप भी गोवा गए थे। वहाँ लोग ‘द कश्मीर फाइल्स’ के बारे में क्या कह रहे थे?
जवाब
: ‘द कश्मीर फाइल्स’ को रिलीज हुए 10 महीने हो चुके हैं। इस बीच जहाँ भी इसे दिखाया गया, वहाँ लोगों ने इसकी तारीफ़ की है और इसे हर जगह काफी सराहना मिली है। गोवा में आयोजित IFFI में भी ऐसा ही हुआ। इस फिल्म को देखते हुए लोगों ने कश्मीरी पंडितों के दुःख-दर्द को समझा और उनके साथ सहानुभूति जताई। इस फिल्म को बनाने के पीछे उद्देश्य ही यही था कि सच्चाई ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचे। हमें गर्व है कि हमने इस लक्ष्य को प्राप्त किया।

सवाल: क्या टीम को डर है कि ‘द दिल्ली फाइल्स’ या ‘द वैक्सीन वॉर’ को भी इसी तरह निशाना बनाया जा सकता है? क्या आपने इसके लिए कोई विशेष तैयारी की है? अपने इन दोनों प्रोजेक्ट्स पर आप लिबरल गिरोह का किस तरह सामना करेंगे?
जवाब: बिलकुल नहीं। हमारा कार्य है कि हम अच्छी फ़िल्में बनाएँ और शानदार कहानियाँ परदे पर उतारें। ‘द दिल्ली फाइल्स’ हो या फिर ‘द वैक्सीन वॉर’, ये दोनों ही ऐसी कहानियाँ हैं जिन्हें कहा जाना अति आवश्यक है। हम ईमानदार फिल्म निर्माण में विश्वास रखते हैं और हम ऐसी फ़िल्में जनता तक पहुँचाना चाहते हैं जिन्हें दूर-दूर तक प्यार मिले। जहाँ तक लिबरल गिरोह का सवाल है, हमारी फिल्मों को ब्लॉकबस्टर बना कर भारत की जनता उनसे निपटेगी।

सवाल: क्या आप लोगों को बता सकते हैं कि मेगास्टार चिरंजीवी और ‘मास महाराजा’ रवि तेजा की ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर क्या राय है? चूँकि ये हर एक मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से नहीं बोलते, इस फिल्म को लेकर उनकी राय हम जानना चाहेंगे।
जवाब: दोनों ही सितारों, ‘मेगास्टार’ चिरंजीवी और ‘मास महाराजा’ रवि तेजा ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ की तारीफ़ की। इतनी बड़ी हस्तियों से प्रशंसा मिलना अपने-आप में बहुत बड़ी बात होती है। इस स्तर के वरिष्ठ अभिनेता होने के नाते उन्होंने समझा कि किस तरह की फिल्म हमलोगों ने बनाई थी और साथ ही इसके बारे में अच्छी बातें भी कही।

सवाल: IFFI जैसे फिल्म या सम्मान समारोहों के लिए जूरी के चयन को लेकर क्या आप केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को कुछ सलाह देना चाहते हैं? क्या आपको लगता है कि TKF जैसी फिल्मों को ब्यूरोक्रेसी में बैठे कुछ लोग जानबूझ कर निशाना बना रहे हैं। एक बड़े फिल्म निर्माता होने के नाते हमारे माध्यम से सरकार को आप कुछ सलाह दे सकते हैं।
जवाब: केंद्र सरकार में कुछ महत्वपूर्ण लोग हैं जो हमारी फिल्म इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने के लिए शानदार कार्य कर रहे हैं। साथ ही वो इंडस्ट्री के हित के बारे में भी सोच रहे हैं। मैं एकमात्र सलाह यही देना चाहूँगा कि इस तरह के बड़े और प्रतिष्ठित समारोहों में, जहाँ काफी कुछ दाँव पर लगा हो, उनमें जिम्मेदार लोगों को चुनने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरती जानी चाहिए। भारत एक विविधता वाला देश है और यही बात हमारी फिल्म इंडस्ट्री पर भी लागू होती है। ऐसे लोग इस तरह की जिम्मेदारियों के लिए सही चुनाव हो सकते हैं, जो हमारे महान राष्ट्र की राजनीतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक संरचना को अच्छे से समझते हों।

सवाल: क्या नादव लैपिड के बयान के बाद आपने निर्देशक विवेक अग्निहोत्री और अभिनेता अनुपम खेर से कोई चर्चा की? आपलोगों में क्या बात हुई? उन दोनों का क्या कहना था? क्या वो दुःखी थे या फिर उन्हें कहीं न कहीं पहले से आशंका थी कि ऐसा हो सकता है?
जवाब: हम सब ने संक्षिप्त चर्चा तो की, लेकिन हमें ये काफी छोटा मुद्दा लगा। हम सबका यही मानना है कि हमें उन लोगों को गले लगाना चाहिए जो हमें और हमारे सिनेमा को प्यार करते हैं, बजाए उन पर ध्यान देने के जो आलोचना करते हैं और घृणा फैलाने का काम करते हैं। हालाँकि, इतने बड़े कार्यक्रम में किसी के द्वारा इतनी आसानी से हमारे कार्य और कश्मीरी हिन्दुओं के संघर्ष को नीचा दिखाए जाने से हमें थोड़ा दुःख ज़रूर हुआ। हमें वो कहानी लोगों तक पहुँचाई जो बताई जानी चाहिए थी और हमें इस पर गर्व है।

सवाल: ZEE5 पर ‘द कश्मीर फाइल्स’ को किस तरह की प्रतिक्रिया मिल रही है? क्या आपके पास कोई आँकड़े हैं, जिससे OTT पर इसके प्रदर्शन के बारे में बताया जा सके?
जवाब: मेरे पास इसके पुष्ट आँकड़े तो नहीं हैं, लेकिन जब से हमारी फिल्म Zee5 पर स्ट्रीम होनी शुरू हुई है, अब तक इसका व्यूअरशिप शानदार रहा है। मुझे विश्वास है कि व्यूअरशिप में बढ़ोतरी होगी, क्योंकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग इस फिल्म को देखने में रुचि दिखा रहे हैं।

सवाल: क्या आपको उम्मीद है कि आगामी ‘राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों’ में ‘द कश्मीर फाइल्स’ का डंका बजेगा? क्या आपको लगता है कि फिल्मफेयर वाले इसे नॉमिनेशन और अवॉर्ड देंगे?
जवाब: हमने इस फिल्म को सिर्फ एक उद्देश्य के लिए बनाना शुरू किया था और बनाया – कश्मीरी हिन्दुओं की व्यथा को अधिकतम ईमानदारी से लोगों तक पहुँचाया जाए। फिल्म रिलीज हुई, ब्लॉकबस्टर भी हुई। हम अवॉर्ड्स के पीछे नहीं भाग रहे, लेकिन हमारी मेहनत को सम्मान और प्रशंसा मिलने से हमें बहुत ख़ुशी होती है। अवॉर्ड्स मिलना अच्छी बात है, लेकिन भारत की जनता का समर्थन पाना और लोगों द्वारा हमारे फिल्म का प्रचार-प्रसार किया जाना सबसे बड़ी उपलब्धि है।

बता दें कि अब सफाई देते हुए फिल्म निर्माता नादव लैपिड ने कहा है कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ को बहुत लोग पसंद करते हैं और ब्रिलियंट फइल्म मानते हैं। उन्होंने कहा कि कोई यह निर्धारित निर्धारित नहीं कर सकता कि प्रोपेगेंडा क्या है। हालाँकि, उन्होंने कहा कि IFFI के समापन समारोह में उन्होंने फिल्म के बारे में जो कुछ कहा, उस पर वे अब भी कायम हैं। उन्होंने कहा, “कोई भी यह निर्धारित नहीं कर सकता कि प्रोपेगेंडा क्या है। मैं इस तथ्य को स्वीकार करता हूँ। यह एक शानदार फिल्म है। मैंने जो कहा वह मेरा कर्तव्य था कि मैं जो देखूँ उसे कहूँ। यह एक बहुत ही व्यक्तिपरक तरीका है।”

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
चम्पारण से. हमेशा राइट. भारतीय इतिहास, राजनीति और संस्कृति की समझ. बीआईटी मेसरा से कंप्यूटर साइंस में स्नातक.

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