प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने मंगलवार (8 अप्रैल 2025) को 10 साल पूरे कर लिए। 2015 में शुरू हुई ये योजना सूक्ष्म और लघु उद्योगों को सस्ते और आसान ऋण देकर उन्हें मजबूत करने के मकसद से लॉन्च की गई थी। इन 10 सालों में इस योजना ने समाज में गहरे बदलाव लाए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने बीते एक दशक में मुद्रा योजना की उपलब्धियाँ गिनाईं। उन्होंने लिखा, “आज हम मुद्रा योजना के 10 वर्ष मना रहे हैं। मैं उन सभी को बधाई देता हूँ, जिनके जीवन में इस योजना से बेहतरी आई है। इस दशक में मुद्रा योजना ने कई सपनों को सच किया है। उन लोगों को भी वित्तीय सहायता देकर सशक्त बनाया गया है, जिन्हें पहले कभी अनदेखा किया गया था। यह दिखाता है कि भारत के लोगों के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।”
Today, as we mark, #10YearsOfMUDRA, I would like to congratulate all those whose lives have been transformed thanks to this scheme. Over this decade, Mudra Yojana has turned several dreams into reality, empowering people who were previously overlooked with the financial support… pic.twitter.com/GIwtjLhoxe
— Narendra Modi (@narendramodi) April 8, 2025
पीएम मुद्रा योजना की उपलब्धियाँ
आँकड़ों की बात करें तो प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तहत इन 10 वर्षों में 52 करोड़ से ज्यादा लोन बाँटे गए हैं, जिनकी कुल कीमत 32.61 लाख करोड़ है। सबसे खास बात ये है कि इसमें 70% लाभार्थी महिलाएँ रही हैं, जिन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने का मौका मिला। इसके अलावा, इस योजना ने एक करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार के अवसर दिए हैं। ये आँकड़े बताते हैं कि मुद्रा योजना ने न सिर्फ आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया, बल्कि सामाजिक ढाँचे को भी मजबूत किया है।
वित्त मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा, “व्यापार का एक कदम आगे बढ़ाने की सोच सिर्फ बड़े शहरों तक ही नहीं, बल्कि छोटे कस्बों और गाँवों तक भी पहुँची है, जहाँ पहली बार उद्यमी बने लोग अपनी किस्मत बदल रहे हैं। सोच में बदलाव आ रहा है- लोग अब नौकरी खोज नहीं रहे, बल्कि नौकरी दे रहे हैं।”
क्रेडिट फ्लो में आई बढ़त
SBI की रिपोर्ट्स के अनुसार, मुद्रा योजना के कारण ही सूक्ष्म, लघु एवँ मध्यम उद्योग (एमएसएमई) के क्रेडिट फ्लो में उछाल देखा गया है। एमएसएमई का ऋण वित्त वर्ष 2014 में ₹8.51 लाख करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में ₹27.25लाख करोड़ हो गया है। 2025 में इसके ₹30 करोड़ तक जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। बैंक के क्रेडिट में एमएसएमई की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2014 में 15.8% से बढ़कर 2024 में लगभग 20% तक हो गई। यह भारतीय अर्थव्यवस्था में एमएसएमई की बढ़ती भूमिका को भी दर्शाता है।
इस विस्तार से छोटे कस्बों और और ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापार को वित्तीय सहायता पाने के लिए सक्षम बनाया है, जो पहले संभव नहीं था। इससे भारत की आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बेहतर हुई और जमीनी स्तर पर रोजगार सृजन को बढ़ावा मिला है।
मुद्रा योजना से जुड़े व्यवसायों से 2015 से 2018 के बीच लोगों को एक करोड़ से अधिक नौकरियाँ मिली। महिलाओं और सामाजिक रूप से कमजोर समुदाय को मुद्रा योजना सशक्त बना रही है। इस योजना के तहत सबसे बड़ी उपलब्धियों में एक यह भी है कि कुल लाभार्थियों में से 68% महिलाएँ हैं। मुद्रा योजना ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और देश भर में महिला उद्यमियों के आगे बढ़ाने में सहायता की है।
वित्त मंत्रालय के अनुसार, वित्त वर्ष 2016 और 2025 के बीच, मुद्रा योजना के तहत प्रति महिला कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) की दर 13% तक बढ़कर ₹62,679 हो गई। वहीं, प्रति महिला वृद्धिशील जमा राशि 14% की CAGR से बढ़कर 95,269 रुपए हो गई। महिलाओं को अधिक फंड देने वाले राज्यों में महिलाओं द्वारा संचालित एमएसएमई उद्यमों के जरिए अधिक रोजगार मिला है।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में, पीएम मुद्रा योजना की समावेशी दृष्टिकोण ने पारंपरिक ऋण बाधाओं को तोड़ा है। SBI की एक रिपोर्ट के अनुसार, 50% मुद्रा खाते SC, ST और OBC उद्यमियों के पास हैं जिससे वित्त की व्यापक पहुँच को दर्शाता है। साथ ही 11% मुद्रा ऋण धारक अल्पसंख्यक समुदाय से हैं, जिससे इस योजना के हाशिए पर पड़े समुदायों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में सक्रिय भागीदार बनने में सक्षम बनाया है।
एक दशक में खुले 52 करोड़ ऋण अकाउंट
पिछले 10 वर्षों में मुद्रा योजना ने 52 करोड़ से अधिक ऋण खाते खोलने में सहायता की, जो उद्यमशीलता की गतिविधि में बढ़ोतरी द्खाता है। किशोर लोन के शेयर (50,000 से 5 लाख रुपए) वित्त वर्ष 2016 में 5.9% से बढ़कर 2025 में 44.7% हो गए हैं। ये छोटे उद्योगों की असल प्रगति को दिखाता है। तरुण श्रेणी (5 लाख से 10 लाख रुपए) में भी तेजी आ रही है जो यह सिद्ध करती है कि मुद्रा योजना महज व्यवसाय शुरू करने के बारे में नहीं पर साथ ही उन्हें बढ़ाने में मदद करती है।
आधिकारिक आँकड़े बताते हैं कि औसत ऋण का आकार तीन गुणा तक बढ़ गया है। 2016 में यह 38 हजार रुपए था, 2023 में 72 हजार रुपए हुआ और 2025 में 1.02 लाख रुपए तक हो गया है। यह बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं और बाजार की गहराई को दर्शाता है। इसके अलावा वित्त वर्ष 2023 में ऋण वितरण में 36 फीसद की बढ़त दर्ज हुई, जो देश भर में उद्यमशीलता के विश्वास के साथ पुनरुद्धार के संकेत हैं।
तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक मुद्रा ऋण वितरण
वित्त मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा कि 28 फरवरी 2025 तक तमिलनाडु ने ₹3,23,647.75 करोड़ के साथ सबसे अधिक ऋण वितरण दर्ज किया है। वहीं, उत्तर प्रदेश इसमें ₹3,14,360.86 करोड़ के साथ दूसरे स्थान पर हैं। इसमें कर्नाटक ₹3,02,146.41 करोड़ के साथ तीसरे स्थान पर हैं। इनके बाद पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र का स्थान है। केंद्र शासित प्रदेशों में जम्मू और कश्मीर में 21,33,342 ऋण खातों में ₹45,815.92 करोड़ के साथ ऋण वितरण में सबसे आगे है।
देश भर में लोगों की बदली जिंदगी
दिल्ली में अपने घर पर रहकर कपड़े सिलने का काम करने वाली कमलेश ने अपना काम बढ़ाया, तीन अन्य महिलाओं को रोजगार दिया और अपने बच्चों को एक अच्छे स्कूल में पढ़ा रही हैं। बिंदू ने रोजाना 50 झाड़ू से व्यवसाय शुरू किया, अब 500 झाड़ू रोजाना की एक यूनिट शुरू कर चुकी हैं। मंत्रालय के अनुसार, अब ये अपवाद नहीं है। लोग बड़े कदम बढ़ा रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं।