चंद्रयान—2 भले चॉंद पर लैंड करने में कामयाब नहीं हुआ हो। लेकिन, इसरो के इस मिशन को दुनिया भर से सराहना मिल रही है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इस सफर को अपने लिए प्रेरणा बताते हुए भविष्य में सौर मंडल पर मिलकर काम करने की इच्छा जताई है।
अमेरिका में दक्षिण और मध्य एशिया की कार्यवाहक सहायक सचिव एलिस जी वेल्स ने इसरो को चंद्रयान-2 के लिए बधाई देते हुए कहा कि भारत का इस तरह का मिशन एक बड़ा कदम है। इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत अपनी अंतरिक्ष आकांक्षाओं को अवश्य पूरा करेगा।
यूएस ब्यूरो ऑफ साउथ एंड सेंट्रल एशियन अफेयर्स के पेज पर पोस्ट किए गए ट्वीट में वेल्स ने कहा, “हम चंद्रयान-2 के इस ऐतिहासिक प्रयास के लिए बधाई देते हैं। यह मिशन भारत को बहुत आगे तक ले जाएगा और यह वैज्ञानिक आँकड़ों को जुटाने का प्रयास आगे भी जारी रखेगा। हमें उम्मीद है कि भारत अंतरिक्ष आकांक्षाओं को जरूर हासिल करेगा।”
Chandrayaan 2 mission a huge step for India: US diplomathttps://t.co/UUSXzmvfoK
— Zee News (@ZeeNews) September 8, 2019
वहीं, नासा ने ट्वीट कर कहा, “अंतरिक्ष में शोध करना मुश्किल काम है। हम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर इसरो के चंद्रयान-2 मिशन को उतारने के प्रयास की सराहना करते हैं। आपने अपनी यात्रा से हमें प्रेरित किया है और भविष्य में हम सौर मंडल पर मिलकर काम करेंगे ।”
Space is hard. We commend @ISRO’s attempt to land their #Chandrayaan2 mission on the Moon’s South Pole. You have inspired us with your journey and look forward to future opportunities to explore our solar system together. https://t.co/pKzzo9FDLL
— NASA (@NASA) September 7, 2019
गौरतलब है कि, भारत के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट चंद्रयान-2 का सफर अपनी मंजिल से महज 2.1 किलोमीटर पहले थम गया। चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग से मात्र 2.1 किलोमीटर की दूरी से पहले कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया।
Indian Space Research Organisation: The success criteria was defined for each&every phase of the mission & till date 90 to 95% of the mission objectives have been accomplished & will continue contribute to Lunar science , notwithstanding the loss of communication with the Lander. pic.twitter.com/yIlwhfpnPw
— ANI (@ANI) September 7, 2019
इसरो प्रमुख के. सिवन ने एक साक्षात्कार में बताया कि ऑर्बिटर का तय जीवनकाल महज़ एक साल का है, लेकिन उसमें काफी अतिरिक्त ईंधन मौजूद है। इसके चलते ऑर्बिटर लगभग 7-7.5 साल तक चन्द्रमा की परिक्रमा कर सकता है। उन्होंने कहा कि विक्रम लैंडर से फ़िलहाल सम्पर्क टूटा हुआ है। फिर भी उम्मीदें कायम हैं। अगले 14 दिनों में सम्पर्क फिर से स्थापित करने के प्रयास किए जाएँगे।