Wednesday, March 12, 2025
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Jio-एयरटेल से एलन मस्क की स्टारलिंक का डील, जानिए कब तक सैटेलाइट से मिलने लगेगा इंटरनेट: कैसे करेगा काम, कितना पैसा आपको देना होगा… जानिए सब कुछ

स्टारलिंक सैटेलाइट के सहारे काम करता है। स्टारलिंक के हजारों सैटेलाइट पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किए गए हैं। यह सैटेलाइट पृथ्वी से लगभग 500 किलोमीटर ऊपर स्थापित हैं और लगातार पृथ्वी का चक्कर लगाते रहते हैं।

सैटेलाइट के सहारे इंटरनेट देने वाली कम्पनी स्टारलिंक भारत में घुसने के लिए तैयार है। उसने भारत में सेवाएँ देने के लिए देश की दोनों बड़ी टेलीकॉम कम्पनियों, रिलायंस जियो और एयरटेल से समझौता कर लिया है। अनुमान लगाए जा रहे हैं कि यह जल्द ही भारत में यह ग्राहकों के लिए सेवाएँ चालू करेगी। स्टारलिंक, कारोबारी एलन मस्क की कंपनी है। इसके भारत आने के साथ ही इंटरनेट क्षेत्र में बड़े बदलाव के कयास हैं। इसके साथ ही कुछ सुरक्षा चिंताएँ भी स्टारलिंक के प्रवेश के साथ सामने आई हैं।

क्या है स्टारलिंक?

स्टारलिंक एक अमेरिकी इंटरनेट प्रदाता कंपनी है। इसे अमेरिका के कारोबारी एलन मस्क ने 2019 में चालू किया था। स्टारलिंक की शुरुआत दुनिया के किसी भी कोने में तेज इंटरनेट सेवा देने के लिए चालू की गई थी। स्टारलिंक वर्तमान में विश्व के 100 देशों में इंटरनेट देने में सक्षम है।

रिपोर्ट्स बताती हैं कि स्टारलिंक चालू करने में ₹85 हजार करोड़ से अधिक का खर्च आया है। वर्तमान में 50 लाख से अधिक लोग स्टारलिंक की मदद से इंटरनेट चलाते हैं। स्टारलिंक किसी के घर या फिर चलती गाड़ी तक पर लगाया जा सकता है। इसे बड़ी कम्पनियों के लिए भी लॉन्च किया गया है।

कैसे करता है काम?

स्टारलिंक के नाम से ही लगता है कि इसका संबंध तारों से है। असल में स्टारलिंक सैटेलाइट के सहारे काम करता है। स्टारलिंक के हजारों सैटेलाइट पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किए गए हैं। यह सैटेलाइट पृथ्वी से लगभग 500 किलोमीटर ऊपर स्थापित हैं और लगातार पृथ्वी का चक्कर लगाते रहते हैं।

वर्तमान में इन सैटेलाइट की संख्या लगभग 7000 है। स्टारलिंक की इंटरनेट सेवा लेने के लिए इसकी किट लेनी होती है। इसमें सबसे प्रमुख इसका एंटीना है। यह आपकी DTH यानी ‘डिश’ जैसी ही छतरी होती है। सफ़ेद रंग की यह छतरी आकार में चौकोर और पिज्जा के डिब्बे के आकार का होता है।

इसका उपयोग करने के लिए इस एंटीना को सैटेलाईट की तरफ किया जाता है। स्टारलिंक का एप इसमें सहायता करता है। यह एंटीना रेडियो सिगनल पकड़ता है। इससे एक तार निकलता है जो मॉडम में जाकर जुड़ता है। यह मॉडम भी आपके इंटरनेट राऊटर जैसा काम करता है। इसके बाद उस घर में इंटरनेट की सेवाएँ ली जा सकती हैं।

स्टारलिंक का एंटीना

स्टारलिंक का इंटरनेट अन्य किसी मोबाइल इंटरनेट की तुलना में तेज स्पीड देता है क्योंकि इसमें ज्यादा बाधाएँ नहीं होती हैं। कुल मिलाकर इसके काम करने का तरीका कुछ-कुछ DTH टीवी जैसा ही है। इसकी स्पीड लगभग 100 MBPS तक होती है, जो कि सामान्य मोबाइल इंटरनेट की तुलना में कहीं तेज है।

SIM वाले इंटरनेट से कैसे अलग?

वर्तमान में भारत में अधिकांश आबादी मोबाइल SIM का उपयोग करके इंटरनेट एक्सेस करती है। मोबाइल नेटवर्क के साथ कई समस्याएँ हैं। मोबाइल नेटवर्क के लिए सेल टॉवर की आवश्यकता होती है। यह टॉवर उस इलाके में मौजूद मोबाइल यूजर से रेडियो तरंगे लेता है और आगे भेजता है।

इसी माध्यम से मोबाइल फोन यूजर रेडियो तरंगे लेता है। इस प्रकार एक नेटवर्क स्थापित होता है। हर जगह मोबाइल टॉवर पहुँचाना संभव नहीं है। विशेषकर, दुर्गम स्थानों पर। ऐसे में सैटेलाइट वाली व्यवस्था काम आती है। इसके लिए किसी टॉवर की जरूरत नहीं होती है। बल्कि, इनका एंटीना खुद ही एक टॉवर की तरह काम करता है।

सैटेलाइट से सीधे जुड़े होने के चलते इसमें इंटरनेट की गति भी तेज होती है। मोबाइल टॉवर को चलाने के लिए बिजली की आवश्यकता भी होती है, सैटेलाइट में यह समस्या भी नहीं होती। ऐसे में इसे सभी इलाकों में पहुँचाना बड़ा आसान हो जाता है।

जियो और एयरटेल का इसमें क्या रोल?

सैटेलाइट के माध्यम से इंटरनेट देने वाले स्टारलिंक ने भारत में सेवाएँ प्रदान करने के लिए एयरटेल और जियो से समझौता किया है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि जब स्टारलिंक को किसी टॉवर की जरूरत नहीं तो वह इनसे क्यों समझौता कर रहा है।

दरअसल, एयरटेल और जियो दोनों ही भारत में स्टारलिंक की बिक्री करेंगी। वह अपने स्टोर के माध्यम से स्टारलिंक की इंटरनेट किट बेचेंगी और साथ ही उनको इंस्टाल करने में भी भूमिका निभाएँगी। इसके अलावा स्टारलिंक की बिक्री के बाद सेवाओं के लिए भी यही कम्पनियाँ काम करेंगी।

जियो और एयरटेल, स्टारलिंक के माध्यम से उन इलाकों में भी अब इंटरनेट पहुँचाने का प्रयास कर सकते हैं, जो काफी दुर्गम हैं। इसके अलावा, जियो अपने बाकी प्रोडक्ट जैसे कि जियोटीवी, जियोसिनेमा, जियोहॉटस्टार एवं जियोफाइबर आदि भी इस स्टारलिंक के साथ जोड़ सकता है। एक तरह से यह कम्पनियाँ स्टारलिंक के डिस्ट्रीब्यूटर की तरह काम करेंगी।

कीमतें क्या होंगी, क्या असर होगा?

विश्व में सबसे इंटरनेट देने वाले देशों में से एक भारत है। स्टारलिंक अभी भारतीय उपमहाद्वीप में भूटान के भीतर काम करता है। यहाँ उसका सबसे सस्ता प्लान ही ₹3 हजार/महीने से शुरू होता है। इसके अलावा दूसरे प्लान ₹4 हजार से ऊपर हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि भारत में भी स्टारलिंक यही कीमतें रख सकती है।

इनमें हल्का-फुल्का बदलाव भी किया जा सकता है। हालाँकि, भारत में मोबाइल डाटा काफी सस्ता होने चलते इसे अपने ग्राहक बनाने में काफी संघर्ष करना पड़ेगा। स्टारलिंक लगाने के लिए इसका एंटीना और बाकी सामान भी महंगा आता है, उसके लिए भी इसे नई रणनीति अपनानी होगी।

भारत में वर्तमान में अधिकांश कम्पनियाँ मोबाइल डाटा प्लान ₹300 जबकि ब्रॉडबैंड प्लान ₹600 के आसपास देती हैं। इन कीमतों से प्रतिद्वंदिता के लिए स्टारलिंक को भी भारतीय ग्राहकों के अनुसार कीमतें और प्रोडक्ट देने पड़ेंगे। हालाँकि, भारतीय बाजार में स्टारलिंक को एक बढ़त जरूर है।

भारत में वर्तमान 90 करोड़ से अधिक इंटरनेट यूजर्स है। हालाँकि, बड़ी आबादी अब भी इससे बाहर है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण वह इलाके हैं, जहाँ पहुँचना मुश्किल है। स्टारलिंक से यह चुनौती खत्म हो सकती है। इसके अतिरिक्त स्टारलिंक सरकारी योजनाओं को पहुँचाने में भी सहायक हो सकता है।

स्टारलिंक से सुरक्षा चिंताएँ भी

स्टारलिंक के भारतीय बाजार में घुसने के साथ ही सुरक्षा चिंताएँ भी हैं। हाल ही में मणिपुर में सुरक्षा एजेंसियों ने एक उग्रवादी को गिरफ्तार किया था। उसके पास से हथियारों के साथ ही एक स्टारलिंक भी मिला था। ऐसे में सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि स्टारलिंक पर नियंत्रण करना मुश्किल होगा।

स्टारलिंक के उपयोग पर एजेंसियों का रोक लगाना भी मुश्किल माना जा रहा है। ऐसे में आतंकियों और उग्रवादियों द्वारा इसका उपयोग किए जाने की आशंका है। स्टारलिंक के भारतीय बाजार में प्रवेश करने में देरी के पीछे भी यही चिंताएँ हैं।

स्टारलिंक को अभी भारत सरकार से सुरक्षा परमिट नहीं मिला है। कयास है कि यह जल्द ही मिल सकती है। हालाँकि, इससे पहले सरकार सारी चुनौतियों का आकलन कर लेगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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