Thursday, April 25, 2024
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1993 मुंबई बम ब्लास्ट: जिन धमाकों से दहला था देश, उसके लिए चुनी गई थी ‘शिवाजी जयंती’, गुल मुहम्मद के कारण बदली थी तारीख

गुल मुहम्मद उन 19 लोगों में शामिल एक व्यक्ति था जिसे टाइगर मेमन ने पाकिस्तान से दुबई के जरिए भारत 19 परवरी 1993 को हथियार व बम बनाने ट्रेनिंग के लिए भेजा था। शुरुआत में प्लान था कि अप्रैल में आने वाली शिवाजी जयंती के मौके पर मुंबई को निशाना बनाया जाएगा।

29 साल पहले आज की ही तारीख (12 मार्च) में मुंबई में लगातार 12 जगह हुए 12 बम विस्फोटों ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। इन विस्फोटों में 300 लोगों की जान गई थी जबकि सैंकड़ों घायल हुए थे। घटना में आतंकी कनेक्शन जो निकला वो दाऊद इब्राहिम से जुड़ा था जिसने अयोध्या में बाबरी मस्जिद का बदला लेने के लिए ये धमाके करवाए।

दाऊद इब्राहिम ने अपने करीबी टाइगर मेमन, मोहम्मद दोसा और मुस्तफा दोसा के साथ मिल कर इस घातक हमले की पूरी साजिश को रचा था। इसके लिए मुस्तफा, टाइगर और छोटा शकील ने पाकिस्तान और भारत में अपने ट्रेनिंग कैंप बनाए जहाँ उन्होंने खुद को और अन्य हमलावरों को इस अटैक के लिए तैयार करना शुरू किया। यहाँ ये लोग भारी विस्फोटकों से लेकर बड़े-बड़े हथियारों के बारे में उन्हें जानकारी देते थे। धमाकों से पहले साजिशकर्ता 15 बार एक दूसरे से मिले थे और इसके लिए फंड आया था गल्फ से।

भारतीय अधिकारियों के अनुसार, इस हमले में पाकिस्तान इंटेलिजेंस सर्विस और इंटर सर्विस इंटेलिजेंस भी सक्रिय रूप से शामिल थे। हालाँकि, फिर भी माना जाता है कि अगर मुंबई बम धमाकों से पहले पकड़े गए गुल मुहम्मद की बातों पर पुलिस विश्वास करती तो शायद ये विस्फोट रोके जा सकते थे।

गुल मुहम्मद की गिरफ्तारी और 12 मार्च 1993 को धमकाे

दरअसल, ये गुल मुहम्मद उन 19 लोगों में शामिल एक व्यक्ति था जिसे टाइगर मेमन ने पाकिस्तान से दुबई के जरिए भारत 19 परवरी 1993 को हथियार व बम बनाने  की ट्रेनिंग के लिए भेजा था। शुरुआत में प्लान था कि अप्रैल में आने वाली शिवाजी जयंती के मौके पर मुंबई को निशाना बनाया जाएगा। लेकिन ये प्लॉन गुल्लू उर्फ गुल मुहम्मद की गिरफ्तारी 9 मार्च 1993 के बाद बदल दिया गया। गुल्लू ने बताया कि मुंबई शहर के अलग-अलग भागों में बम धमाकों की साजिश चल रही है। गुल्लू ने पूछताछ में ये भी माना कि उसे इन धमाकों के लिए पाकिस्तान तक से ट्रेनिंग मिली है और उनके निशाने पर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज से लेकर शिवसेना भवन हैं। मगर, उस समय पुलिस ने उन दावों के बेफिजूल मान लिया और इस कबूलनामे को नजरअंदाज कर दिया।  

गुल महम्मद बांद्रा के झुग्गी वाले इलाके बेहरामपाड़ा में रहता था। उसका छोटे-मोटे अपराधों में नाम था। लेकिन टाइगर ने जिन लोगों को चुना था उनमें सिर्फ गुल ही ऐसे बैकग्राउंड से नहीं था बल्कि अधिकाँश लोग इस बैकग्राउंड से आते थे। 

धमाकों के बाद इन लोगों के खिलाफ अप्रैल 1995 से ट्रायल शुरू हुआ। 600 चश्मदीद बुलाए गए और इन सबके बयान साल 2000 तक दर्ज ही होते रहे। कोर्ट ने मामले में अपना फैसला सितंबर 2006 को सुनाया। गुल मुहम्मद को पूरी साजिश का हिस्सा होने के लिए 6 साल की सजा हुई फिर साल 2017 में टाडा कोर्ट ने मुस्तफा दोसा, अबू सलेम और चार अन्य को इसमें दोषी पाया जबकि याकूब मेमन को मुंबई बम विस्फोटों में प्रमुख साजिशकर्ता होने के लिए 2015 में फाँसी दी गई थी। वहीं टाइगर मेमन, दाऊद इब्राहिम, अनीस इब्राहिम, छोटा शकील और अन्य आज भी भारत की पकड़ से फरार हैं।

शरद पवार का झूठ

मालूम हो कि साल 1993 में हुए बम धमाकों ने समाज के हर स्तर के व्यक्ति को नुकसान पहुँचाया। बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त से लेकर माफिया और वरिष्ठ राजनेताओं की छवि को भी नुकसान हुआ। एनसीपी के सुप्रीमों ने तो इस दौरान खुला झूठ बोला। उस समय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे पवार ने समुदाय विशेष को पीड़ित दिखाने के लिए बम ब्लास्ट्स की संख्या बढ़ा दी थी। दूसरे शब्दों में कहें तो उन्होंने एक अतिरिक्त बम ब्लास्ट की ‘खोज’ कर ली थी, जो असल में हुआ ही नहीं था। 

महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार ने हमलों के तुरंत बाद दूरदर्शन स्टूडियो में जाकर बोला था और घोषणा की थी कि कुल 13 धमाके हुए हैं। उन्होंने न जाने कहाँ से एक अतिरिक्त विस्फोट की ‘खोज’ कर ली थी। पवार ने कहा था कि मस्जिद बंदर में 13वाँ विस्फोट हुआ था। चूँकि इस हमले में हिन्दू बहुल क्षेत्रों को निशाना बनाया गया था, ऐसे में पवार ने मस्जिद में विस्फोट की कहानी गढ़ी ताकि समुदाय विशेष को भी पीड़ित की तरह पेश किया जा सके। वास्तव में, सभी 12 धमाके हिन्दू बहुल इलाक़े में किए गए थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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