Monday, October 14, 2024
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महाराष्ट्र: सोलापुर में 50 कुँवारों की ‘बारात’ बैंड, बाजा लेकर पहुँची कलेक्टर के पास, शिकायत में कहा- ‘हमें दुल्हन नहीं मिल रही’

कार्यक्रम का आयोजन करने वाले रमेश बारस्कर का कहना है कि हो सकता है लोग इस आयोजन का मजाक उड़ाएँ लेकिन वास्तविकता यह है कि विवाह योग्य युवाओं को दुल्हन नहीं मिल रही है। बकौल बारस्कर इसकी वजह राज्य में लैंगिक अनुपात का सही नहीं होना है।

महाराष्ट्र के पुणे के सोलापुर में 50 कुँवारे लड़के दूल्हे की पोशाक में घोड़ी पर चढ़कर और बैंड, बाजा, बारात के साथ बुधवार (21 दिसंबर 2022) को कलेक्टर ऑफिस पहुँच गए। इस पूरे जुलूस को स्थानीय संगठन ‘दुल्हन मोर्चा’ द्वारा आयोजित किया गया। जुलूस में शामिल लोगों का उद्देश्य शादी करना नहीं बल्कि स्त्री-पुरुष के बिगड़ते अनुपात के बारे में अधिकारियों को जागरूक करना था।

इन दुल्हों ने अपनी माँग को लेकर एक ज्ञापन कलेक्टर कार्यालय में सौंपा। यह ज्ञापन दरअसल राज्य में स्त्री-पुरुष अनुपात में सुधार के लिए प्री-कंसेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स (PCPNDT) एक्ट को सख्ती से लागू करने की माँग को लेकर था। दरअसल महाराष्ट्र में स्त्री पुरुष अनुपात की हालत अच्छी नहीं है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2019-21) के अनुसार, महाराष्ट्र का लिंगानुपात प्रति 1,000 पुरुषों पर 920 महिलाओं का है।

यही वजह है कि यहाँ रहने वाले कई अविवाहितों ने ज्ञापन में अपनी शादी कराने और दुल्हन खोजने की गुहार कलेक्टर से लगाई।सोलापुर और उसके आसपास के जिलों के ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में कुँवारे हैं। इन लोगों को दुल्हन नहीं मिल रही और और शादी के लिए इनकी उम्र निकली जा रही है। इन लोगों का मानना है कि इस क्षेत्र में लड़कियों की संख्या कम होने के चलते ऐसा हो रहा है। इसी के चलते ये लोग एक स्थानीय संगठन के बैनर तले कलेक्टर ऑफिस पहुँच गए।

यहाँ शादी की माँग को लेकर पहुँचे कई दुल्हों ने शेरवानी तो कइयों ने कुर्ता-पायजामा पहना था। इन लोगों ने अपने अपने गले में तख्तियाँ भी लटकाई हुई थी। कार्यक्रम का आयोजन करने वाले रमेश बारस्कर का कहना है कि हो सकता है लोग इस आयोजन का मजाक उड़ाएँ लेकिन वास्तविकता यह है कि विवाह योग्य युवाओं को दुल्हन नहीं मिल रही है। बकौल बारस्कर इसकी वजह राज्य में लैंगिक अनुपात का सही नहीं होना है।

बारस्कर ने कहा कि आजकल लडकियाँ नौकरी वाले या फिर शहरों में रहने वाले युवाओं को शादी के लिए तरजीह देते हैं। वक्त पर शादी नहीं होने से युवा बुराईयों की तरफ मुड़ जाते हैं या शराब पीने लगते हैं। उन्होंने कहा कि अभिभावक भी अपने अविवाहित बेटों को इस तरह से देखकर चिंतित रहने लगते हैं और बीमार हो जाते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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