Monday, May 20, 2024
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विवाद मैदान का, खुद के मजे के लिए KL राहुल का ‘परिवार’ घसीट लाए मीमबाज: फैन नहीं कोढ़ है वह मानसिकता जो क्रिकेटरों की बेटियों तक को नहीं छोड़ती

केएल राहुल को चुप देख उनके लिए आवाज उठाने वाले और गोएनका को चिल्लाता देख उनकी आलोचना करने वाले वहीं लोग हैं जिनका जुड़ाव क्रिकेट से सिर्फ दर्शक दीर्घा तक का है। उन्होंने न तो टीम में कुछ इन्वेस्ट किया है और न ही खिलाड़ी में... लेकिन समय आने पर वो खिलाड़ी द्वारा अच्छा प्रदर्शन न करने पर उन्हें भला-बुरा बोलना नहीं छोड़ते।

IPL 2024 में लखनऊ सुपरजायंट्स के कप्तान के एल राहुल और टीम के मालिक संजीव गोयनका के बीच हुई नोक-झोंक की वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर कुछ लोग ज्ञानी बने हुए हैं। अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। एक तरफ कुछ लोग कह रहे हैं कि संजीव गोएनका ने के एल राहुल पर चिल्लाकर बहुत गलत किया, टीम खरीदने का मतलब ये नहीं होता खिलाड़ी की इज्जत करना भूल जाएँ। वहीं कुछ ऐसे मीमबाज हैं जो खुद के मजे के लिए केएल राहुल की पत्नी अथिया शेट्टी और ससुर सुनील शेट्टी को भी घसीट लाए हैं। जैसे

पंचायत सीरीज का सीन शेयर करके दिखाया जा रहा है कि सुनील शेट्टी और आथिया शेट्टी अब बदला लेने के लिए गोएनका के घर जाएँगे।

इसके अलावा वीडियो क्लिप शेयर दिखा रहे हैं कि अथिया शेट्टी अब अपने पिता से जाकर कहेंगी कि जो उनके पति के साथ गोएनका ने किया है उसकी सजा सिर्फ मौत है।

अब संजीव गोएनका ने जो के.एल राहुल के साथ किया है वो बतौर दर्शक देखना हमारे लिए थोड़ा पीड़ादायक जरूरत है क्योंकि हम भावनात्मक नजरिए से इसे देख रहे हैं। संजीव गोएनका तो फिर भी उस टीम के मालिक हैं जिसके अच्छे प्रदर्शन न करने के कारण ऐसी वीडियो आई। गोएनका ने 2022 में 7, 090 करोड़ रुपए की बोली लगाकर लखनऊ सुपर जायंट्स फ्रेंचाइजी खरीदी थी। इसके बाद के एल राहुल को भी 17 करोड़ देकर टीम में शामिल किया था। उन्होंने के एल राहुल पर विश्वास जताया था और जब हालिया मैच में उस मालिक के मुताबिक टीम का प्रदर्शन नहीं हुआ तब उनकी नाराजगी बीच मैदान देखने को मिली।

यहाँ सवाल ये है कि गोएनका मालिक हैं और नफा-नुकसान देखते हुए उनका पारा बढ़-चढ़ रहा है और खिलाड़ी उनकी बात सुन भी रहा है क्योंकि वो जानता है कि सामने वाले व्यक्ति ने उसपर करोड़ों लगाए हैं। लेकिन, सवाल यहाँ ये है कि गोएनका जैसे व्यापार की दृष्टि से अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं… वैसे हम कौन हैं? हम किस दृष्टि से क्रिकेटरों को भला-बुला बोलने लगते हैं और किस अधिकार से हम उनके परिजनों का मजाक बनाना, उनपर मीम्स बनाना शुरू कर देते हैं?

जो भी वीडियो गोएनका और के एल राहुल के बीच बातचीत होने की सामने आई है उस पर बतौर दर्शक हमारी चर्चा इस बात पर हो सकती थी कि गोएनका को अगर कुछ कहना भी था तो कमरे के भीतर कह सकते थे, उन्हें सबके सामने एक खिलाड़ी से इस ढंग में बात नहीं करनी चाहिए थी। लेकिन, इस चर्चा की जगह के एल राहुल को सोशल मीडिया पर घसीटना और कहना कि ये बेइज्जती तो शेट्टी परिवार की है, उन्हें इसका बदला लेना चाहिए… कितना उचित है?

आज केएल राहुल को चुप देख उनके लिए आवाज उठाने वाले और गोएनका को चिल्लाता देख उनकी आलोचना करने वाले वहीं लोग हैं जिनका जुड़ाव क्रिकेट से सिर्फ दर्शक दीर्घा तक का हैं। उन्होंने न तो टीम में कुछ इन्वेस्ट किया है और न ही खिलाड़ी में। उनके लिए खेल में हार-जीत पर दुख तभी उमड़ता है जब उनका फेवरेट प्लेयर अच्छा न खेले या पसंदीदा टीम मनमुताबिक प्रदर्शन न करे। नफा-नुकसान से उनका क्या लेना-देना… लेकिन फिर भी यही लोग समय-समय पर किसी न किसी खिलाड़ी को ट्रोल करते हुए मिलते हैं।

मसलन, अगर विराट कोहली पसंद है तो महेंद्र सिंह धोनी को भला-बुरा कहेंगे और अगर धोनी पसंद है तो रैना को… दुखद बात ये है कि ज्यादातर दफा ये ट्रोलिंग सिर्फ खिलाड़ी के प्रदर्शन पर नहीं होती। इसमें परिवार के लोगों को बुरी तरह घसीट लिया जाता है। आपको याद होगा कि विराट कोहली की परफॉर्मेंस जब टीम के मुताबिक नहीं होती थी तो उसमें किस तरीके से अनुष्का शर्मा को निशाना बनाया जाता था, उन्हें पनौती कहा जाता था, माँग उठती है कि अनुष्का का स्टेडियम में आना बैन किया जाए… इतना ही नहीं, 2021 का मामला याद करिए जब विराट कोहली और अनुष्का शर्मा की मासूम बेटी को रेप की धमकियाँ तक दे डाली गई थीं, वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि कोहली की टीम हार गए थे।

क्या किसी क्रिकेटर की जिंदगी निजी नहीं होती, उसे अपने बारे में हो रही गलत बातों से फर्क नहीं पड़ता….युजवेंद्र चहल का मामला देखें तो शादी के बाद से हर बात पर उनकी पत्नी धनश्री तस्वीरें और वीडियो साझा करके चहल का मजाक उड़ाया जाता है। उनपर निजी टिप्पणियाँ होती हैं। दूसरे क्रिकेटरों से उनके अफेयर की अफवाहें उड़ा दी जाती हैं। इसके बाद शुभमन गिल का उदाहरण अगर देखें तो पता चलता है कि सचिन तेंदुलकर की बेटी सारा तेंदुलकर के साथ उड़ी अफेयर की अफवाहों के बाद स्टेडियम में बैठे दर्शक उनके आने पर सारा-सारा चिल्लाने लगे थे। बिना इस बात को सोचे कि रिश्ते की बात हकीकत में ऐसा है भी या नहीं।

ऐसे तमाम उदाहरण हैं जब क्रिकेटरों की ट्रोलिंग के लिए सोशल मीडिया यूजर्स ने उनकी माँ-बहन और बेटी पर निजी हमले करने से भी गुरेज नहीं किया। धोनी को भी उनकी पत्नी और बेटी के नाम पर शुरू में बहुत गलत शब्द कहे जाते थे। बाद में जब उनका प्रदर्शन ठीक हुआ तो दोबारा उनकी तारीफों के पुल बँधने लगे, तब ये बात नहीं कही गई कि इसमें परिवार की तारीफ होनी चाहिए।

निजी हमले करने की आदत करने वाले लोग गोएनका और के एल राहुल की बातचीत में अथिया शेट्टी और सुनील शेट्टी को घेरने लगे हैं। दिखाया जा रहा है कि इस घटना से सुनील शेट्टी का सिर शर्म से झुक गया है। वहीं आथिया बदला लेना चाहती हैं… आप सोचिए कि परिवार को घसीटकर इस प्रकार की ट्रोलिंग करना एक क्रिकेटर के दिमाग पर कैसी छाप छोड़ता होगा। उसके मन में क्या हमेशा ये नहीं चलता होगा कि प्रदर्शन अगर उसका ठीक नहीं था, तो फिर उसके परिजनों को क्यों कोसा गया?

क्रिकेटरों के जीवन को भी सामान्य प्रोफेशन से जोड़कर देखिए। क्या किसी दफ्तर में कर्मचारी की गलती पर उसे बाहर से कोई आकर माँ-बहन की गाली देता है। वो भी वो शख्स जिसने न उसकी पढ़ाई में खर्च किया, न उसकी नौकरी लगने में मदद की, न उसे सैलरी देता है और न ही उसकी गलती से किसी का पर्सनल नुकसान नहीं हुआ… फिर क्रिकेटरों के साथ या अन्य खिलाड़ियों के साथ ऐसा क्यों होता है, सिर्फ इसलिए क्योंकि वो पब्लिक तक पहुँचने वाले प्रोफेशन का हिस्सा हैं।

बात केएल राहुल के समय में आथिया को घसीटने की हो, कोहली के समय में अनुष्का को उलटा बोलने की हो या फिर चहल की पत्नी के कैरेक्टर पर सवाल उठाने की हो… हर बार आप देखेंगें कि सोशल मीडिया पर नारीवाद का झंडा गाड़ने वाले लोग ही समय आने पर ऐसे मुद्दों पर मीम बनाकर हँसते दिखाई देते हैं। इनके लिए महिला की इज्जत सिर्फ नैतिकता के भाषणों में सीमित होती है वरना इनका असली चेहरा तब दिखाई देता है जब अपनी नाराजगी उतारने के लिए भी ये गाली भी वो देते हैं जिसमें किसी की माँ-बहन का नाम आए। आज ऐसे ही कुंठित लोग के एल राहुल जैसे खिलाड़ियों को ये समझा रहे हैं कि किस तरीके से उन्हें रिएक्ट करना चाहिए, जबकि हकीकत ये है कि ऐसे लोगों को ये सीखने की जरूरत है कि वो खुद को कैसे खेल से दूर रखें, ताकि खेल का भविष्य बना रहे।

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