भारत में क्या अब कोरोना वायरस की दूसरी लहर आ रही है? ये प्रश्न इसीलिए पूछा जा रहा है क्योंकि पिछले 3 महीनों में पहली बार देश में 1 दिन में 26,513 मामले सामने आए हैं। इसमें सबसे ज्यादा 16,620 कोरोना संक्रमण के मामले अकेले महाराष्ट्र में सामने आए हैं। केरल में 1792 नए मामले सामने आए। इस तरह से देखा जाए तो अगर भारत में कोरोना एक बार फिर से खड़ा होता है तो इसकी वजह इन दोनों राज्यों के आँकड़े होंगे। पंजाब की स्थिति भी बदतर होती जा रही है।
कोरोना वायरस संक्रमण के फ़िलहाल देश में 2,16,297 केस मौजूद हैं। इनमें 1,26,231 महाराष्ट्र में हैं और 29,474 केरल में। इस तरह से देश में कुल सक्रिय कोरोना संक्रमितों की संख्या का 58.36% हिस्सा महाराष्ट्र में और 13.62% हिस्सा केरल में मौजूद है।
मृतकों की बात करें तो कोरोना के कारण देश में 1,58,762 लोगों की जान गई, जिनमें 52,861 अकेले महाराष्ट्र के हैं। ध्यान देने वाली बात ये है कि इसके एक तिहाई लोगों की मौत भी किसी अन्य राज्य में नहीं हुई है।
एक और राज्य है, जो केरल के साथ इस मामले में प्रतिस्पर्धा करने निकल पड़ा हो, वो है ‘किसान आंदोलन’ का गढ़ बना पंजाब। पंजाब में पिछले 1 दिन में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1492 बढ़ गई है। इस तरह 11,550 सक्रिय कोरोना मरीजों के साथ इस सूची में महाराष्ट्र और केरल के बाद तीसरे स्थान पर आ गया है।
तीनों राज्यों की बात करें तो देश के 77.32% सक्रिय कोरोना मामले यहीं मौजूद हैं – तीन चौथाई से भी ज्यादा।
आप याद कीजिए। किस तरह से मीडिया में हर जगह कभी ‘केरल मॉडल’ ही चलता था। केरल की जनसंख्या भारत के कई राज्यों से अपेक्षाकृत कम है। वहाँ के वामपंथी सरकार की कोरोना मैनेजमेंट के लिए जम कर तारीफ की जाती थी और यहाँ तक कि भारत सरकार को उससे सीखने की नसीहत दी जाती थी। अब जब वहाँ संक्रमितों की संख्या नियंत्रण से बाहर होती जा रही है, मीडिया के उस वर्ग में गजब की चुप्पी है।
इसी तरह महाराष्ट्र सरकार के पक्ष में जम कर PR हुआ था। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के भाषण को CMO ने थ्रेड के जरिए ट्विटर पर क्या डाला, कई सेलेब्स से उसका प्रचार-प्रसार करवाया गया था। चूँकि वहाँ भाजपा विरोधी शिवसेना, कॉन्ग्रेस और NCP की सरकार है, सोशल मीडिया में तब ‘बेस्ट सीएम’ की उपलब्धियाँ गिनाने वाले आज गायब हैं।
अब फिर से लॉकडाउन लगाने की बातें हो रही है, कुछ शहरों में तो लगा भी दिया गया है। नए सिरे से नियम लगाए जा रहे हैं। आखिर ये नौबत कैसे आई?
नागपुर, नासिक, परभणी और पुणे में फिर से लॉकडाउन की घोषणा की जा चुकी है। पंजाब के कई जिलों में नाइट कर्फ्यू लगाया जा रहा है। लुधियाना, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब, जालंधर, नवाँशहर, कपूरथला और होशियारपुर में नाइट कर्फ्यू लगाया जा रहा है।
केरल से लगने वाले सभी राज्यों में वहाँ से आने वाले लोगों को लेकर तमाम तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं। जनवरी 2021 में लक्षद्वीप में कोरोना का पहला मामला तभी सामने आया, जब केरल से आए एक यात्री ने 40 को संक्रमित कर डाला।
एक तरफ जहाँ केंद्र सरकार टीकाकरण के मामले में सख्त है और भारत अब अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा लोगों को कोरोना वैक्सीन लगवाने वाला देश बन गया है, सरकार के सहयोग की बजाए इस पर राजनीति करते हुए वैक्सीन को लेकर अफवाहें फैलाई जा रही हैं, जबकि केरल की वामपंथी सरकार, पंजाब की कॉन्ग्रेस सरकार और महाराष्ट्र की MVA सरकार से वहाँ बढ़ते मामलों को लकर सवाल नहीं पूछे जा रहे।
मुंबई में कोरोना ने अब तक 11,535 लोगों की जान ली है। आपको ये जान कर आश्चर्य होगा कि महाराष्ट्र की राजधानी में कोरोना से जितने लोग मरे हैं, उससे ज्यादा मौतें सिर्फ केरल और तमिलनाडु में हुई हैं (महाराष्ट्र के अलावा)। पिछले 1 दिन में भी यहाँ 740 सक्रिय मामले सामने आए। पुणे में भी कोरोना ने 8144 लोगों की जान ली है। नागपुर में 3584 लोग मरे। ठाणे में 5873 लोग कोरोना की वजह से मरे।
भारत में अब तक 2.73 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है। 5 राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में इन तीन राज्यों की लापरवाही भारी पड़ सकती है। पिछले 1 दिन में कोरोना के नए मामलों के 75.07% मामले यहीं से सामने आए हैं। तीन राज्यों से रोज कोरोना के तीन चौथाई मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में बेस्ट सीएम, केरल मॉडल और ‘किसान आंदोलन’ की याद तो आएगी ही।