उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सीलमपुर है। इसी में है ब्रह्मपुरी नाम इलाका, जहाँ की गली नंबर 12 में बनी अल-मतीन मस्जिद लंबे समय से विवादों में है। उसके विस्तार का विरोध हिंदू कर रहे हैं। स्थानीय हिंदू समुदाय का आरोप है कि मस्जिद को धोखे से बनाया गया था और अब इसे और बड़ा करने की कोशिश एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है। मस्जिद का नया गेट गली नंबर-12 में खोलने की योजना है, जो ठीक सामने 1984 से बने शिव मंदिर के पास पड़ता है।
इस मुद्दे ने हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव को बढ़ा दिया है। ऑपइंडिया ने अपनी ग्राउंड रिपोर्ट्स में बताया था कि किस तरह से अल-मतीन मस्जिद के नाम पर स्थानीय हिंदू लोगों में डर फैलाया जा रहा है। इस मस्जिद के विस्तार में किस तरह से काले धन और विदेशी फंडिंग का इस्तेमाल हो रहा है, उसका भी खुलासा ऑपइंडिया ने अपनी रिपोर्ट में किया था।
इसी बीच, इस मस्जिद के विस्तार का काम फिर से शुरू करने की कोशिश की गई। मस्जिद के निर्माण कार्य के फिर से शुरू होने पर स्थानीय लोग खड़े हो गए। उनका आरोप है कि जब उन्होंने पुलिस प्रशासन से मस्जिद के निर्माण कार्य को रोकने की माँग की, तो एडिशनल डीसीपी संदीप लांबा ने उनसे कहा कि मस्जिद से जुड़े लोगों ने 2 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, ऐसे में निर्माण कार्य चलेगा। पुलिस ने साफ तौर पर कहा कि निर्माण कार्य को रोका नहीं जाएगा।
ब्रह्मपुरी में अल-मतीन के अवैध निर्माण की खबर सामने आते ही स्थानीय हिंदू एकजुट हो गए। उन्होंने प्रशासन से शिकायत की, तो देखिए, प्रशासन की प्रतिक्रिया क्या रही। प्रशासन साफ कह रहा है कि मस्जिद बनेगी, जो बिगाड़ना है बिगाड़ लो। pic.twitter.com/lfok2yOwVb
— Shravan Shukla (@epatrakaar) April 26, 2025
MCD और पुलिस पर प्रशासन की मिलीभगत के आरोप
मस्जिद के विस्तार का मामला 2023 से चल रहा है। पहले जब काम शुरू हुआ तो लोगों ने पुलिस में शिकायत की और निर्माण रुक गया। फिर मस्जिद कमेटी ने 23 नवंबर 2024 को MCD से परमिशन ली। फरवरी 2025 में काम दोबारा शुरू हुआ, लेकिन 13 फरवरी 2025 को उत्तर-पूर्वी जिला पुलिस को शिकायत मिली। जाँच में पता चला कि मस्जिद का नक्शा गलत तरीके से पास कराया गया था। MCD ने काम रोक दिया और मस्जिद कमेटी को नोटिस भेजा।
हालाँकि, ऑपइंडिया की 25 अप्रैल 2025 की फॉलोअप रिपोर्ट में स्थिति और गंभीर दिखी। स्थानीय लोग गुस्से में थे क्योंकि रोक के बावजूद मस्जिद का निर्माण कार्य चल रहा था। एक बोर्ड लगा था, जिसमें लिखा था, “समिति की ओर से निजी लिया गया कोई दस जगह पर कोई मस्जिद नहीं बनवाई जाएगी। पर कोई आपस में हिंदू-मुस्लिम तकी अड़चनें नहीं रहे!” लेकिन इसके बावजूद लोग काम करते पाए गए। हिंदुओं ने हंगामा किया, तो पुलिस हिंदू पक्ष के ही दो लोगों को पकड़कर थाने ले गई, हालाँकि अगले दिन उन्हें छोड़ दिया गया।

पुलिस और प्रशासन के इस रवैये के विरोध में गली नंबर-13 में लोगों ने अपने घरों के बाहर पोस्टर लगा दिए, जिनमें लिखा था, “मकान नंबर एल-11, गली नंबर 12 ब्रह्मपुरी पर पुलिस के बड़े अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध मस्जिद का निर्माण करवाया जा रहा है। 112 पर कॉल पर पुलिस उल्टा हमें बंद कर रही है। अब हम अपने घरों के सामने बैठकर धरना दे रहे हैं। पुलिस हमें गोलियाँ मार दे या झूठे केस लगाकर बंद कर दे। पुलिस, MCD हमारे मकानों को बिकवाने पर मजबूर कर रही है।”
हिंदुओं का आरोप है कि प्रशासन मस्जिद कमेटी के साथ मिला हुआ है। गौतम कहते हैं, “MCD ने पहले गलत नक्शा पास किया, अब बोर्ड लगाकर मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। यह सब ऊपरी दबाव में हो रहा है।”
मुस्लिमों के भरोसे पर खरा उतर रहा प्रशासन
मस्जिद कमेटी और स्थानीय मुस्लिमों ने पहले भी भरोसा जताया था कि वे अपना काम (मस्जिद निर्माण का काम) पूरा कर लेंगे। ऑपइंडिया की 7 मार्च 2025 की रिपोर्ट में मस्जिद के डिप्टी ईमाम सद्दाम हुसैन ने कहा था, “विवाद ठंडा पड़ने के बाद प्रशासन खुद मस्जिद बनाने में मदद करेगा।” इस बात की पुष्टि स्थानीय लोगों से बातचीत में भी हुई थी। 25 अप्रैल 2025 को जब ऑपइंडिया दोबारा ब्रह्मपुरी पहुँचा, तो हिंदुओं का गुस्सा साफ दिखा क्योंकि प्रशासन वाकई निर्माण में सहयोग दे रहा था।
दिल्ली के ब्रह्मपुरी की अल मतीन मस्जिद याद है? हमने 4 रिपोर्ट्स प्रकाशित की थी। अब उसे फिर से बनाने की तैयारी हो रही है। स्थानीय लोग जबरदस्त विरोध कर रहे हैं। देखिए, किस तरह स्थानीय हिंदू अपनी जान की बाजी लगाकर अवैध निर्माण को रोक रहे हैं। pic.twitter.com/xcWmLnDYhp
— Shravan Shukla (@epatrakaar) April 26, 2025
वैसे, मस्जिद के नायब इमाम सद्दाम हुसैन ने कहा भी था, “हमें भरोसा है कि मामला ठंडा होने के बाद निर्माण कार्य जरूर पूरा होगा। अभी पुलिस और MCD का दबाव है, लेकिन ये ज्यादा दिन नहीं चलेगा।” कुछ मुस्लिमों का कहना है कि वे मौके का इंतजार कर रहे हैं। एक दुकानदार ने कहा, “अभी सब चुप हैं, लेकिन मौका मिलते ही काम शुरू हो जाएगा। हमें अपनी मस्जिद चाहिए।” हिंदुओं का ये डर सही साबित हो रहा है, क्योंकि मस्जिद का काम चुपके से बढ़ाया जा रहा है। इसका विरोध हिंदू कर रहे हैं।
विवाद की जड़ को समझें
ब्रह्मपुरी की अल-मतीन मस्जिद की कहानी 2013 से शुरू होती है। स्थानीय निवासी पंडित शंकर लाल गौतम बताते हैं, “2013 में गली नंबर-13 में कुछ मुस्लिम लोगों ने एक फ्लैट खरीदा था। शुरू में वहाँ नमाज पढ़ी जाने लगी, जिससे किसी को आपत्ति नहीं थी। लेकिन धीरे-धीरे उस फ्लैट को मस्जिद में बदल दिया गया।” गौतम के अनुसार, यह एक आम घर था, लेकिन बाद में इसे चार मंजिला मस्जिद बना दिया गया। उनका मानना है कि यह सब सोच-समझकर किया गया ताकि इलाके में मुस्लिमों की पकड़ मजबूत हो। शुरू में किसी को शक नहीं हुआ, लेकिन 2020 के दिल्ली दंगों के बाद लोगों की आँखें खुल गईं।
अल-मतीन मस्जिद से चली थी हिंदुओं पर गोलियाँ
साल 2020 के फरवरी महीने में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे ब्रह्मपुरी के लोगों के लिए आज भी एक डरावना सपना हैं। सीलमपुर, जाफराबाद और ब्रह्मपुरी जैसे इलाकों में हिंसा ने 53 लोगों की जान ले ली और सैकड़ों घायल हुए। इस दौरान अल-मतीन मस्जिद का नाम खास तौर पर सामने आया। गौतम बताते हैं, “25 फरवरी को मस्जिद से गोलियाँ चली थीं। वहाँ अचानक हजारों लोग जमा हो गए। झूठ फैलाया गया कि मस्जिद में आग लगाई गई। इसके बाद गली नंबर-13 में गोलीबारी हुई, जिसमें तीन हिंदू लड़के घायल हुए।” इस घटना के बाद हिंदुओं में डर बैठ गया। कई परिवार इलाका छोड़कर चले गए और अपने घर बेच दिए।
मस्जिद के विस्तार को साजिश मानते हैं हिंदू
साल 2020 के बाद मस्जिद को बड़ा करने की कोशिश शुरू हुई। 2023 में मस्जिद कमेटी ने गली नंबर-12 में इसके बगल का एक प्लॉट खरीदा, जो पहले एक हिंदू परिवार का था। गौतम कहते हैं, “पहले उस घर को खरीदा, फिर तोड़ दिया और वहाँ मस्जिद का हिस्सा बनाने लगे। यह सब बहुत सोच-समझकर हुआ।” योजना थी कि मस्जिद का नया गेट गली नंबर-12 में खोला जाए, जो ठीक सामने बने शिव मंदिर के पास पड़ता है। इस मंदिर में 1984 से पूजा होती है, हर सोमवार को भक्त जमा होते हैं, और होली पर होलिका दहन होता है। हिंदुओं को डर है कि मस्जिद का गेट सामने खुलने से रोज झगड़ा होगा और 2020 जैसी घटना दोहराई जा सकती है।

मस्जिद के नायब ईमाम सद्दाम हुसैन का कहना है, “हमारी आबादी बढ़ रही है। मस्जिद छोटी पड़ गई थी। इसमें गलत क्या है? हम शांति से रहना चाहते हैं।” लेकिन हिंदुओं को यह बात साजिश लगती है। गली नंबर-12 में रहने वाले सोनू (नाम बदला हुआ) कहते हैं, “अगर मस्जिद दो गुनी बड़ी हो गई तो सोचो, कितने लोग यहाँ जमा होंगे। यह हमारे लिए खतरे की घंटी है।”
‘मकान बिकाऊ’ के पोस्टर और डेमोग्राफी बदलाव का डर
मस्जिद के विस्तार के विरोध में गली नंबर-12 के करीब 60 हिंदू परिवारों में से 25-30 ने अपने घरों पर ‘मकान बिकाऊ’ के पोस्टर लगा दिए। स्थानीय निवासी दिनेश शर्मा (नाम बदला हुआ) बताते हैं, “2020 के बाद यहाँ का माहौल बदल गया। दंगों में हमने अपने लोगों को खोया, घर जले, और डर ऐसा बैठा कि कई लोग यहाँ से चले गए। अब मस्जिद का विस्तार देखकर लगता है कि फिर वही सब होगा।” हिंदुओं का आरोप है कि यह इलाके की डेमोग्राफी बदलने की साजिश है। उनका कहना है कि पहले मस्जिद बनती है, फिर माहौल बदलता है, और हिंदू पलायन को मजबूर हो जाते हैं।
मुस्लिम पक्ष का कहना है कि लोग अपनी मर्जी से घर बेच रहे हैं। सद्दाम हुसैन कहते हैं, “हम अच्छे पैसे दे रहे हैं, इसलिए लोग बेच रहे हैं। कोई जबरदस्ती नहीं है।” लेकिन हिंदुओं का मानना है कि यह डर की वजह से हो रहा है। एक बुजुर्ग निवासी कहते हैं, “पहले यहाँ हिंदू-मुस्लिम साथ रहते थे। दंगों के बाद सब बदल गया। अब मस्जिद का विस्तार देखकर लगता है कि हमें यहाँ से भगाने की तैयारी है।”
कम्युनिटी सेंटर का झूठ फैला रही कमेटी, स्थानीय लोग बता रहे सच
बहरहाल, मस्जिद कमेटी अब दावा कर रही है कि गली नंबर-12 में मस्जिद नहीं, बल्कि कम्युनिटी सेंटर बनाया जा रहा था। सद्दाम हुसैन कहते हैं, “हम बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य के लिए जगह बनाना चाहते थे। यह कोई साजिश नहीं है।” लेकिन हिंदुओं को यह बात हजम नहीं हो रही। गौतम कहते हैं, “यह सब बहाना है। पहले मस्जिद बनाने की बात थी, अब जब विरोध हुआ तो कहानी बदल दी।” कुछ स्थानीय मुस्लिम भी मानते हैं कि असल में मस्जिद ही बन रही थी। एक शख्स ने कहा, “कम्युनिटी सेंटर की बात बस लोगों को चुप कराने के लिए है।”
ब्रह्मपुरी का यह विवाद सिर्फ मस्जिद निर्माण तक सीमित नहीं है। यह 2020 के दंगों का जख्म, डेमोग्राफी बदलाव का डर, धार्मिक त्योहारों का टकराव और प्रशासन पर अविश्वास की कहानी है।
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