Saturday, July 5, 2025
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सीलमपुर के अल-मतीन मस्जिद मामले से समझिए, कैसे मुस्लिम आपके इलाके में घुसते हैं… खुद को फैलाते हैं और एक दिन आपको लगाना पड़ता है ‘मकान बिकाऊ’ का पोस्टर

एक बुजुर्ग ने कहा, “हमें हर दिन डर में जीना पड़ेगा। मस्जिद जितनी बड़ी होगी, हमारा डर उतना बढ़ेगा।” यही वजह है कि लोगों ने अब पलायन को ही अपना भविष्य मान लिया है।

सीलमपुर का ब्रह्मपुरी इलाके की गली नंबर 13 में स्थित अल-मतीन मस्जिद को लेकर हिंदुओं में डर और गुस्सा है। लोग कहते हैं कि मुस्लिम पहले चुपचाप आते हैं, फ्लैट खरीदते हैं, फिर घर लेते हैं, मस्जिद बनाते हैं और धीरे-धीरे पूरे इलाके पर कब्जा कर लेते हैं। फिर एक दिन मौका मिलते ही पूरी कौम एकजुट होकर हिंदुओं पर हमला कर देती है।

साल 2020 के हिंदू-विरोधी दंगों में ब्रह्मपुरी और सीलमपुर जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में यही हुआ था। अल-मतीन मस्जिद से गोलियाँ चली थीं, भीड़ जमा हुई और हिंदुओं का जीना मुश्किल हो गया। अब इसे बड़ा करने की कोशिश हो रही है, जिससे हिंदुओं को लगता है कि मस्जिद और बड़ी हुई तो उनका जीना हराम हो जाएगा। 2018 में भी गली नंबर-8 की मस्जिद को लेकर तनाव हुआ था, जिसके बाद 2020 में मुस्लिमों ने हिंदुओं पर गुस्सा उतारा। आइए, इसकी पूरी कहानी समझते हैं।

फ्लैट से मस्जिद और फिर बदलने लगता है माहौल

ब्रह्मपुरी में अल-मतीन मस्जिद की कहानी साल 2013 से शुरू होती है। लोकल आदमी पंडित लाल शंकर गौतम बताते हैं, “2013 में मुस्लिमों ने गली नंबर-13 में एक फ्लैट खरीदा। वहाँ नमाज शुरू हुई। कोई कुछ नहीं बोला। लेकिन धीरे-धीरे उस फ्लैट को चार मंजिल की मस्जिद बना दिया।” गौतम कहते हैं कि ये सब सोचा-समझा था। पहले छोटी जगह ली, फिर उसे बढ़ाते गए।

उनका मानना है कि मुस्लिम इस तरह इलाके में घुसते हैं। पहले एक फ्लैट, फिर आसपास के घर खरीदते हैं और मस्जिद बना लेते हैं। शुरू में सब ठीक लगता है, लेकिन बाद में माहौल बदल जाता है। हिंदुओं को लगता है कि ये सब उनकी जिंदगी पर कब्जा करने की तैयारी है।

साल 2018 में भी हुआ था तनाव, मस्जिद थी वजह

ब्रह्मपुरी में मुस्लिमों की ये कारगुजारी कोई नई बात नहीं है। साल 2018 में गली नंबर-8 में भी एक मस्जिद को लेकर हिंदुओं और मुस्लिमों में ठन गई थी। उस वक्त हिंदुओं ने इसका विरोध किया।

शीशपाल तिवारी कहते हैं, “वहाँ मस्जिद बन रही थी। हमने कहा कि ये गलत है। तब पुलिस ने दोनों तरफ से बात कराई। एक समझौता हुआ कि मस्जिद में सिर्फ गली के लोग नमाज पढ़ेंगे। बाहर से कोई नहीं आएगा।” लेकिन तिवारी का कहना है कि मुस्लिमों ने इस वादे को तोड़ा। अब्दुल रफीक नाम का शख्स बाहर से लोगों को बुलाने लगा। गली में भीड़ बढ़ने लगी। हिंदुओं को लगने लगा कि ये सब उन्हें परेशान करने के लिए हो रहा है। ये तनाव 2018 में शुरू हुआ और आगे चलकर 2020 में बड़ा बवाल बन गया।

एक बुजुर्ग कहते हैं, “हमें बाहर निकलने में डर लगता है। मस्जिद बड़ी हुई तो ये रोज का हाल होगा।” 2018 के समझौते को तोड़ने का भी गुस्सा है। वो कहते हैं, “अब्दुल रफीक बाहर से लोगों को बुलाता है। गली में शांति नहीं रहती।” हिंदुओं को लगता है कि मस्जिद के बहाने मुस्लिम उनकी जिंदगी पर कब्जा करना चाहते हैं। यहाँ हिंदू डरकर ही रहने को मजबूर हैं। दंगों के बाद से कुछ ज्यादा ही खौफ है।

साल 2020 में दिख चुकी है मुस्लिमों की एकजुटता

साल 2020 के फरवरी महीने में ब्रह्मपुरी और सीलमपुर में जो हुआ, वो हिंदुओं के लिए खौफनाक था। दंगे भड़के और अल-मतीन मस्जिद उसका बड़ा केंद्र बना। गौतम बताते हैं, “25 फरवरी को मस्जिद से गोलियाँ चलीं। अचानक हजारों की भीड़ जमा हो गई। कहा गया कि मस्जिद में आग लगाई गई, जो झूठ था। फिर गली नंबर-13 में गोलीबारी हुई। तीन हिंदू लड़के घायल हुए।”

हिंदुओं का कहना है कि ये सब सोचा-समझा था। मुस्लिम पूरी कौम एकजुट होकर हिंदुओं पर टूट पड़े। 53 लोग मारे गए, जिसमें ज्यादातर मुस्लिम थे, लेकिन हिंदुओं को भी निशाना बनाया गया। गौतम कहते हैं, “उस दिन हमें समझ आ गया कि मस्जिद सिर्फ नमाज के लिए नहीं है। ये उनकी ताकत दिखाने की जगह है।” दंगों के बाद हिंदुओं का भरोसा टूट गया।

मस्जिद का विस्तार हिंदुओं के लिए बढ़ते खतरे की घंटी

2020 के बाद मस्जिद को बड़ा करने की कोशिश शुरू हुई। 2023 में मस्जिद वालों ने गली नंबर-12 में बगल का एक घर खरीदा। वो घर हिंदू का था। शंकर लाल गौतम कहते हैं, “पहले घर खरीदा, फिर तोड़ दिया। अब वहाँ मस्जिद का हिस्सा बन रहा है।” प्लान ये था कि मस्जिद का नया गेट गली नंबर-12 में खोला जाए, जो ठीक सामने 1984 से बने शिव मंदिर के पास पड़ता है। हिंदुओं को ये बिल्कुल मंजूर नहीं। गली नंबर-12 में 60 हिंदू परिवार रहते हैं। उनमें से अधिकतर घरों के सामने ‘मकान बिकाऊ है’ के पोस्टर दिख जाएँगे।

ब्रह्मपुरी की गली नंबर-12 में लगे ‘मकान बिकाऊ है’ के पोस्टर

एक युवक ने कहा, “मंदिर बहुत पुराना है। हर सोमवार को पूजा होती है। मस्जिद का गेट सामने खुला तो हमारा जीना मुश्किल हो जाएगा।” हिंदुओं को डर है कि मस्जिद बड़ी हुई तो भीड़ बढ़ेगी और 2020 जैसा हमला फिर हो सकता है।

शंकर लाल गौतम कहते हैं, “अगर मस्जिद दो गुनी बड़ी हो गई तो सोचो, कितने लोग यहाँ जमा होंगे। फिर हमें कौन बचाएगा? 2020 में जो हुआ, वो दोबारा होगा।” हिंदुओं का मानना है कि मुस्लिम पहले इलाके में फैलते हैं, फिर मस्जिद बनाते हैं और मौका मिलते ही एकजुट होकर हमला करते हैं। ब्रह्मपुरी में यही पैटर्न दिख रहा है।

हिंदुओं के घरों के बाहर फेंकी जाती हैं जानवरों की हड्डियाँ और खून

हिंदुओं का कहना है कि मस्जिद के आसपास उनका जीना मुश्किल हो गया है। सुरेश कुमार अग्रवाल ने साल 2023 में न्यू उस्मानपुर थाने में शिकायत की थी। उन्होंने शिकायत में लिखा था, “साल 2017 से मुस्लिम समाज के लोग आए दिन मुझे भगाने के लिए मेरे घर पर कभी खून डाल देते हैं, कभी कुछ। इसी कड़ी में 10 अप्रैल 2023 को किसी जानवर के कटे हुए पैर मेरे घर के सामने डाल दिया गया।”

साल 2023 समेत कई बार हिंदुओं के घरों के सामने फेंके गए जानवरों के अवशेष, शिकायत की कॉपी

वो शिकायत में आगे लिखते हैं, “यह लोग (मुस्लिम) चाहते हैं कि हम हिंदू समाज के लोग अपना घर बेचकर यहाँ से चले जाएँ। जिसके कारण मेरे ही नहीं, कई हिंदू परिवारों के घरों पर, छतों पर जानवरों की हड्डियाँ और खून फेंका जाता है। इसकी सूचना कई बार पुलिस को दी भी जा चुकी है।” स्थानीय लोग इन आरोपों की पुष्टि करते हैं। उनका कहना है कि मुस्लिम जानबूझकर ऐसा करते हैं, ताकि हिंदू परेशान हों। इस बात की शिकायत गृहमंत्री अमित शाह तक की गई थी।

मुस्लिम पक्ष को मामले के ठंडा पड़ते ही निर्माण कार्य शुरू होने का इंतजार

मस्जिद का विस्तार 2023 में शुरू हुआ। हिंदुओं ने शिकायत की तो पुलिस ने काम रुकवा दिया। फिर 23 नवंबर, 2024 को मस्जिद वालों ने MCD से इजाजत ली और फरवरी 2025 में काम दोबारा शुरू किया। लेकिन 13 फरवरी, 2025 को फिर शिकायत हुई। पुलिस ने जाँच की तो नक्शा गलत निकला। MCD ने काम रोक दिया। मस्जिद का संचालन करने वाली अल-मतीन वेलफेयर सोसायटी और इसका नक्शा पास करने वाले आर्किटेक्ट मोहम्मद दाऊद खान को शो कॉज नोटिस भी भेजा गया है। अब एक महीने से निर्माण बंद है।

मस्जिद कमेटी और भवन निर्माण का नक्शा पास करने वाले आर्किटेक्ट को एमसीडी ने भेजा नोटिस

हालाँकि गौतम कहते हैं, “MCD बोर्ड लगाकर दिखावा कर रही है। असल में कुछ नहीं हो रहा।” हिंदुओं को लगता है कि पुलिस और MCD सिर्फ ऊपरी कार्रवाई कर रहे हैं, जबकि मुस्लिम मौके की तलाश में हैं।

मस्जिद के नायब ईमाम सद्दाम हुसैन कहते हैं, “हमारी आबादी बढ़ रही है। मस्जिद छोटी पड़ गई। इसे बड़ा करना गलत कैसे है?” उनका कहना है कि हिंदुओं का डर बेकार है। वो कहते हैं, “हम शांति चाहते हैं।”

लेकिन हिंदुओं को ये बातें खोखली लगती हैं। अजय नाम के युवक ने कहा, “2020 में भी शांति की बात थी, फिर गोलियाँ चलीं। अब मस्जिद बड़ी हुई तो क्या होगा?” हिंदुओं को शक है कि मुस्लिम पहले फैलते हैं, फिर मौका देखकर हमला करते हैं।

साल 2020 के दंगों में हिंदुओं ने देखा कि मुस्लिम कैसे एकजुट हो जाते हैं। शंकर लाल गौतम कहते हैं, “मस्जिद से भीड़ निकली और हम पर टूट पड़ी। एक-एक घर को निशाना बनाया।” ब्रह्मपुरी और सीलमपुर जैसे इलाकों में मुस्लिम बहुल होने की वजह से उनकी ताकत बढ़ गई थी।

हिंदुओं का कहना है कि मस्जिदें इन हमलों का केंद्र बनती हैं। अगर अल-मतीन मस्जिद बड़ी हुई तो ये ताकत और बढ़ेगी। एक बुजुर्ग ने कहा, “हमें हर दिन डर में जीना पड़ेगा। मस्जिद जितनी बड़ी होगी, हमारा डर उतना बढ़ेगा।” यही वजह है कि लोगों ने अब पलायन को ही अपना भविष्य मान लिया है।

मकान पर लगे पोस्टर

हिंदू समुदाय मस्जिद निर्माण को एक ‘मोडस ऑपरेंडी’ मानता है। उनका कहना है कि पहले मस्जिद बनती है, फिर माहौल बदलता है, और हिंदू पलायन को मजबूर हो जाते हैं। 2020 के बाद से ब्रह्मपुरी में यह ट्रेंड देखने को मिला है। विनोद नाम की स्थानीय महिला ने कहा, “पहले भी दिक्कतें होती थी, लेकिन बात इतनी नहीं बढ़ती थी। लेकिन दंगों के बाद सब बदल गया। अब मस्जिद का विस्तार देखकर लगता है कि हमें यहाँ से पूरी तरह से भगाने की तैयारी है।”

ब्रह्मपुरी में हिंदुओं को लगता है कि मुस्लिम पहले फ्लैट खरीदते हैं, फिर घर लेते हैं, मस्जिद बनाते हैं और इलाके पर कब्जा कर लेते हैं। 2018 का तनाव और 2020 का हमला इसके सबूत हैं। अब मस्जिद के विस्तार से डर और बढ़ गया है। पुलिस अभी शांति बनाए है, लेकिन हिंदुओं को भरोसा नहीं। अजय कहता है, “मस्जिद बड़ी हुई तो हमारा जीना हराम हो जाएगा।” ये कहानी सिर्फ मस्जिद की नहीं, बल्कि हिंदुओं के डर और मुस्लिमों की बढ़ती ताकत की है। आगे क्या होगा, ये वक्त बताएगा।

Ground Report 1: मस्जिद को बढ़ाना, शिव मंदिर के सामने उसका गेट खोलना… दिल्ली सीलमपुर (ब्रह्मपुरी) की इसी अल-मतीन मस्जिद से 2020 हिंदू-विरोधी दंगों में चली थी गोलियाँ: समझिए हिंदू क्यों लगा रहे ‘मकान बिकाऊ’ के पोस्टर

Ground Report 2: ब्रह्मपुरी की अल मतीन मस्जिद भी धोखे से बनी, अब मंदिर के सामने गेट खोलने की कोशिश: MCD का बोर्ड लगा मामले को दबाने की कोशिश, आखिर क्यों मस्जिद को बड़ा करने की जिद?

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श्रवण शुक्ल
श्रवण शुक्ल
I am Shravan Kumar Shukla, known as ePatrakaar, a multimedia journalist deeply passionate about digital media. Since 2010, I’ve been actively engaged in journalism, working across diverse platforms including agencies, news channels, and print publications. My understanding of social media strengthens my ability to thrive in the digital space. Above all, ground reporting is closest to my heart and remains my preferred way of working. explore ground reporting digital journalism trends more personal tone.

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