उत्तर प्रदेश के औरैया में हुए दर्दनाक हादसे के संबंध में कानपुर पुलिस ने रविवार (मार्च 17, 2020) को एक नया खुलासा किया है। पुलिस का कहना है कि हादसे में बचे प्रवासी मजदूरों ने पूछताछ में राजस्थान पुलिस पर गंभीर आरोप लगाया है।
घायल प्रवासी मजदूरों ने बताया कि राजस्थान पुलिस ने ही उन्हें जबरन चूने से लदे ट्रक में बैठाया था, जो यूपी के ओरैया जिले में दुर्घटना का शिकार हो गया। इस दुर्घटना में 26 प्रवासी मजदूरों की जान चली गई, व 36 अन्य घायल हो गए।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, प्रवासी मजदूरों में से एक गुड्डू नाम के मजदूर ने बताया कि उनके साथ 43 लोग राजस्थान से अपने घर पश्चिम बंगाल जाने के लिए निकले थे। राजस्थान में वो पत्थर की खान में काम करते थे।
गुड्डू बताते हैं कि जब लॉकडाउन में कोई काम नहीं बचा और खाने की समस्या बढ़ने लगी थी, तब उनके साथ काम करने वाले लोगों ने घर लौटने का फैसला किया। वे सभी बस से एक दिन पहले भरतपुर पहुँचे थे। यहाँ पर राजस्थान पुलिस ने उन्हें रोक लिया और आगे नहीं जाने दिया।
जब इन मजदूरों ने काफी मिन्नतें कीं, तब कहीं जाकर पुलिसवालों का दिल पसीजा, लेकिन उन्होंने तब भी उन्हें साफ कह दिया कि वे किसी को बस से नहीं जाने देंगे। ऐसी स्थिति में सभी मजदूर परेशान हो गए, मगर घंटों के इंतजार के बाद राजस्थान पुलिस ने माल लदे एक ट्रक में सभी लोगों को चढ़ा दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मजदूरों से पूछताछ में पता चला है कि राजस्थान के अलग-अलग जिलों से यूपी, बिहार, बंगाल के प्रवासी मजदूर रवाना हुए। लेकिन हादसे के शिकार मजदूरों को भरतपुर (राजस्थान) में उतार दिया गया। वहाँ से ये कई किलोमीटर पैदल चले। बाद में इन्हें ट्रक में बैठाकर भेजा गया। अब चूँकि लॉकडाउन के समय में ट्रक से मजदूरों को लाने पर रोक है। इसलिए ट्रक ड्राइवरों को इस मामले में दोषी बनाया गया है।
प्रियंका वड़्रा जी,
— Sambit Patra (@sambitswaraj) May 18, 2020
औरैया हादसा: राजस्थान की भरतपुर पुलिस ने बस से उतार श्रमिकों को ट्रक में भेजा था।
प्रियंका जी क्या एक चिट्ठी आप राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत जी को लिखेंगी ..आख़िर मज़दूरों के साथ राजस्थान सरकार ने ऐसा अन्याय क्यों किया?
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कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बताया कि पुलिस इन सभी प्रवासियों के बयान को दर्ज कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर इनका बयान सत्य पाया गया तो कानून अपना काम करेगा।
अभी तक इस पूरे केस में, प्रशासन ने फतेहपुर सीकरी के एसएचओ भूपेंद्र बालियान, मथुरा कोसीकला के एसओ आजाद पाल और गाजियाबाद के इंदिरापुरम थाने के एसएचओ अमित खारी को शनिवार को निलंबित कर दिया है। इधर, आगरा और मथुरा के एसएसपी व आगरा रेंज के आईजी और डीआईजी से भी स्पष्टीकरण माँगा गया है।
दरअसल, आईजी की जाँच में सामने आया है कि जिन-जिन जिलों से ट्रॉली और डीसीएम गुजरे हैं, वहाँ पर जिला पुलिस की लापरवाही है। क्यूँकि ट्रकों आदि से मजदूरों को नहीं ले जाया सकता। इससे सोशल डिस्टेंसिंग का भी उल्लंघन होता है।
औरैया की एसपी सुनिति ने बताया कि इस हादसे के बाद दोनों गाड़ियों के ड्राइवर, गाड़ी मालिक और ट्रांसपोर्टर के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। आईपीसी की कई धाराओं के अलावा मोटर वाहन कानून और महामारी कानून के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है।
दोनों ट्रकों के ड्राइवरों को, उनके मालिकों को और ट्रांस्पोर्टर को गिरफ्तार करने के लिए रेड मारी जा रही है। अभी तक की पड़ताल में ये भी पता चला है कि डीसीएम में मध्य प्रदेश से चढ़ने वाले मजदूरों से प्रति व्यक्ति 1500 रुपए किराया लिया गया था वहीं जो मजदूर राजस्थान से चढ़े थे, उनसे 2000 रुपए किराया वसूला गया था।
बता दें कि इस केस में आगे की कार्यवाई के लिए औरैया पुलिस की दो टीमों को राजस्थान भेजा गया है। ताकि वे प्रवासी मजदूरों के आरोपों का सत्यापन कर सकें। वहीं, इस मामले में प्रवासी मजदूरों के आरोपों को राजस्थान पुलिस ने पूरी तरह से खारिज किया है।
राजस्थान पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्रदेश में हर दिन रोडवेज बसों का परिचालन जारी है। ये बस प्रवासी मजदूरों को बॉर्डर तक छोड़ रही हैं।
अधिकारी का यह भी कहना है कि हम जारी गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं। इसके साथ ही किसी को भी ट्रक में जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। ना ही ऐसा करने के लिए किसी को कहा जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में आगे की कार्रवाई के बाद झारखंड और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने ट्रक में शवों के साथ घायल मजदूरों को भेजे जाने को लेकर आपत्ति जताई है और स्थिति को अमानवीय तथा अत्यंत संवेदनहीन बताया है।