बांग्लादेशी घुसपैठियों के बच्चे भारत में EWS कोटा का लाभ उठा रहे हैं। घुसपैठिए बांग्लादेश से एक-एक कर यहाँ अपने परिवार के लोगों को बुलाते हैं। कुछ ने तो भारतीय महिलाओं से निकाह तक कर लिया है। यह सारे खुलासे हाल ही में दिल्ली से पकड़े गए बांग्लादेशी घुसपैठियों ने किए हैं।
दिल्ली पुलिस ने 18 बांग्लादेशी घुसपैठिए पकड़े हैं। इन बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारत में बसाने में मदद करने वाले 8 भारतीय भी गिरफ्तार किए गए हैं। ये बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारत में कागज दिलाने से लेकर उनको नौकरी दिलाने तक का काम करता था। दिल्ली और असम से अब घुसपैठियों को डिपोर्ट करने का भी काम चालू कर दिया गया है।
कागज-नौकरी के लिए मुस्लिमों का गैंग करता था मदद
यह बांग्लादेशी भारत में फर्जी कागजों के सहारे रह रहे थे। इनको भारत में बसाने का काम भारतीय ही कर रहे थे। इस गैंग का सरगना मोहम्मद मोइनुद्दीन है। उसकी दिल्ली के अमीर खुसरो नगर में कंप्यूटर शॉप थी जिससे वह बांग्लादेशियों के लिए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाता था।
दिल्ली पुलिस के डीसीपी ने अंकित चौहान ने बताया कि इस रैकेट में दिल्ली के पुल प्रहलादपुर से जुल्फिकार अंसारी, फरमान खान और यूपी के बुलंदशहर से जावेद को गिरफ्तार किया गया है। जुल्फिकार, फरमान और जावेद फर्जी आधार कार्ड बनाते थे। बांग्लादेशियों का आधार कार्ड बनाने में ये मोईनुद्दीन द्वारा बनाए गए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र का उपयोग करते थे।
इन बांग्लादेशी घुसपैठियों के फर्जी कागज बनवाने के अलावा इन्हें नौकरी दिलाने में भी यह गैंग मदद करता था। बांग्लादेशी घुसपैठियों को मोहम्मद शाहीन छोटी-मोटी नौकरी दिलाता था। इस पूरे सिंडिकेट के लिए पैसे का लेन-देन निजामुद्दीन में रहने वाला भारतीय युवक मनवर हुसैन करता था।
मनवर हुसैन कूड़ा बीनने वाले, कबाड़ी वाले, मजदूर जैसे अवैध बांग्लादेशियों से पैसे लेकर फॉरेक्स एजेंट को भेजता था, इसके बाद यह बांग्लादेश तक पहुँचाए जाते थे। डीसीपी चौहान ने बताया है कि मनवर की तरफ से UPI किए गए पैसे बांग्लादेश के बशीरहाट में फॉरेक्स एजेंट निमाई करमाकर और गौरांग दत्ता तक जाते थे।
यह दोनों जमा हुई पूरी रकम को हवाला जैसे अन्य माध्यमों से भी घुसपैठियों के रिश्तेदारों तक पैसे पहुँचा देते थे। दिल्ली पुलिस ने बंगलादेशी घुसपैठियों से 23 वोटर कार्ड, 19 पैन कार्ड, 17 आधार कार्ड, 11 जन्म प्रमाण पत्र और छह सादे वोटर कार्ड कब्जे में लिया है।
भारतीय महिलाओं से निकाह भी कर लिया
रिपोर्ट्स के अनुसार, कई घुसपैठियों ने यहाँ भारतीय महिलाओं से शादी भी कर ली है और उनके बच्चे भी स्थानीय स्कूलों में पढ़ते हैं। यहाँ तक कि घुसपैठियों के बच्चे EWS कोटा का फायदा भी उठा रहे हैं। एक बांग्लादेशी घुसपैठिए ने एयरलाइन में नौकरी तक ले ली थी।
दिल्ली में पकड़े गए बांग्लादेशी घुसपैठिए एक-एक कर भारत आते गए। पुलिस ने बताया है कि बांग्लादेश से 2007 में मोहम्मद आलमगीर भारत आया। यहाँ उसने एक भारतीय महिला से निकाह किया। उसके 13 और 9 साल के दो बच्चे हैं।
उसका भाई मोहम्मद जुवेल 2021 में आया। इसके अलावा मोहम्मद लतीफ खान 2015 में, नदीम शेख 2021 में, मिजानुर रहमान और रबिउल 2022 में एवं कमरुज्जमान 2014 में भारत आए। इन सब में सबसे अधिक समय तक भारत में रहने वाला मोहम्मद रेजाउल है जो 2000 में आया था।
वह बीते दो साल में 22 बार बांग्लादेश का चक्कर लगा चुका है। वहीं दिल्ली पुलिस ने बताया है कि उसने पहले गिरफ्तार किए गए 6 बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस बांग्लादेश डिपोर्ट कर दिया है। इसके अलावा 4 और बांग्लादेशी घुसपैठियों की जाँच की जा रही है, यह जाँच पूरी होने के बाद इन्हें भी बांग्लादेश वापस भेज दिए जाएँगे।
असम से भी 13 डिपोर्ट
दिल्ली के अलावा असम में भी बांग्लादेशी घुसपैठियों की धर-पकड़ तेजी से की जा रही है। शुक्रवार (21 मार्च, 2025) को असम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि असम के माटिया ट्रांसिट कैंप में हिरासत में लिये गए 63 में से 13 बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस भेज दिया गया है।
बाकी 50 बांग्लादेशी घुसपैठियों के कागज जाँचे जा रहे हैं। इससे पहले 4 फरवरी, 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार से ट्रांजिट कैंप में रखे गए 63 लोगों को लेकर एक्शन ना लिए जाने को लेकर सवाल किया था।