Saturday, April 5, 2025
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भाई सपा से रहे MLA, खुद कई यूनिवर्सिटी का रहा VC… मिलिए फ्रॉड कृष्ण शेखर राणा से, ओमान का उच्चायुक्त बन प्रोटोकॉल माँग रहा था जंतु शास्त्र का प्रोफेसर

कभी आगरा के जाट हाउस में रहने आरोपित कृष्ण शेखर अपनी रिटायरमेंट के बाद साल 2015 से 2018 तक केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय में अप्रेजल अथॉरिटी के रूप में काम किया। मंत्रालय में उनका काम पर्यावरण संबंधी मंजूरियाँ देना था। इस संबंध में मंत्रालय से जानकारी माँगी गई है। आरोपित को विश्व मानवाधिकार आयोग और संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपना शांति दूत (पीत एंबेसडर) भी बनाया।

खुद को ओमान का उच्चायुक्त बताकर गाड़ी और अन्य सरकारी सुविधा उठाने वाले एक नामचीन शिक्षाविद् कृष्ण शेखर राणा को गाजियाबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपित कई विश्वविद्यालयों का कुलपति भी रह चुका है और शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा नाम है। दिल्ली के अमर कॉलोनी का रहने वाले आरोपित ने खुद को ओमान का उच्चायुक्त बताकर उत्तर प्रदेश पुलिस से प्रोटोकॉल की माँग की थी।

आरोपित के पीए ने प्रोटोकॉल सेवाओं के लिए गाजियाबाद पुलिस को एक पत्र लिखा था। इसके बाद उसे प्रोटोकॉल सेवा भी दी गई थी। पुलिस के अनुसार, प्रोटोकॉल सेवाओं के लिए दिए गए दस्तावेज़ पुलिस को संदिग्ध लगे। उसके आधार पर आरोपित से पूछताछ की गई तो उसने कबूल किया कि वह ट्रेड कमिश्नर है, ना कि हाई कमिश्नर। उसने बताया कि उसका मकसद सरकारी सेवा हासिल करना था।

66 वर्षीय आरोपित कृष्ण शेखर राणा को गाजियाबाद के यूपी गेट से गिरफ्तार किया है। उसके पास से राजनयिक नंबर वाले काले रंग की एक मर्सिडीज कार, एक पहचान पत्र और 46 विजिटिंग कार्ड बरामद किए गए हैं। ट्रांस हिंडन के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) निमिष पाटिल ने कहा कि कृष्ण शेखर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।

डीसीपी पाटिल ने आगे बताया कि ओमान का उच्चायुक्त होने का दावा करने वाले आरोपित को गिरफ्तार कर लिया गया है। कोर्ट में पेशी के बाद उसे जेल भेज दिया गया है। पूछताछ में पता चला कि वह एक इंडिया-GCC (गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल) नाम की संस्था के लिए काम करता था। वह ट्रेड कमिश्नर था, लेकिन खुद को हाई कमिश्नर बताकर अपने पद का दुरुपयोग करता रहा था।

इंडिया-GCC का संबंध ओमान से है। संस्था के अधिकारियों के अनुसार, आरोपित ओमान में एक विश्वविद्यालय स्थापित करना चाहता था। इसके बाद ओमान ने उसे ट्रेड कमिश्नर की मानद उपाधि दी थी। भारत-GCC के वली काशवी ने कहा, “हम उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि के कारण उनके साथ काम करना चाहते थे। उन्हें ओमान आने के लिए कई बार निमंत्रण दिया गया, लेकिन वे कभी नहीं गए।”

डीसीपी पाटिल ने बताया कि कृष्ण शेखर आगरा में जूलॉजी (प्राणी विज्ञान) के अध्यक्ष प्रोफेसर रह चुका है। उसके 100 से अधिक शोध पत्र देश और विदेश के जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं। आरोपित के निर्देशन में 50 से अधिक छात्र-छात्राएँ अपना शोध पूरा कर चुके हैं। आरोपित का आगरा में कृष्ण कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी है। साथ ही वह राजस्थान में एक रिसॉर्ट का भी मालिक है।

कभी आगरा के जाट हाउस में रहने वाले आरोपित कृष्ण शेखर ने रिटायरमेंट के बाद साल 2015 से 2018 तक केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय में अप्रेजल अथॉरिटी के रूप में काम किया। मंत्रालय में उसका काम पर्यावरण संबंधी मंजूरियाँ देना था। इस संबंध में मंत्रालय से जानकारी माँगी गई है। आरोपित को विश्व मानवाधिकार आयोग और संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपना शांति दूत (पीस एंबेसडर) भी बनाया था।

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपित एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखता है। वह समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक एवं जाट समाज के बड़े नेता विजय सिंह राणा का भाई है। विजय की 2021 में मृत्यु हो गई थी। आरोपित कृष्ण शेखर ने आगरा के बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय में तीन दशकों तक पढ़ाया है। साल 1982 में वह लेक्चरर से 2006 में प्रोफेसर बना और साल 2015 में सेवानिवृत्त हुआ।

सेवानिवृत्ति के बाद आरोपित ने कई विश्वविद्यालयों में कुलपति के पद सँभाले। इनमें कुमाऊँ विश्वविद्यालय, मेवाड़ विश्वविद्यालय और जयपुर तकनीकी विश्वविद्यालय शामिल हैं। आगरा के अंबेडकर विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, “डॉक्टर कृष्ण शेखर राणा एक प्रतिष्ठित विद्वान हैं और हमने कभी किसी कदाचार के बारे में नहीं सुना। छात्र उन्हें बहुत पसंद करते थे।”

आरोपित की लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, उसके पास यूके की कॉमनवेल्थ वोकेशनल यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री है। इसके साथ ही उसने न्यूयॉर्क में विश्व मानवाधिकार संरक्षण आयोग से डी.एल.आई.टी. की डिग्री ली है। दूसरी तरफ, पुलिस का कहना है कि अभी तक उसे ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है, जिससे पता चले कि आरोपित ने पैसे कमाने के लिए नकली पहचान का इस्तेमाल किया हो।

पुलिस का कहना है कि आरोपित ने पहली बार आगरा में अंबेडकर विश्वविद्यालय में मुख्य अतिथि के रूप में जाने के दौरान प्रोटोकॉल की माँग की थी। इसके बाद पिछले साल 25 दिसंबर को फरीदाबाद में रोटरी यूथ लीडरशिप अवॉर्ड्स कार्यक्रम के लिए उसने वीआईपी प्रोटोकॉल माँगा। हालाँकि, 22 फरवरी को दिल्ली के एक कार्यक्रम में भाग लेने पर भी उसने यहाँ VIP प्रोटोकॉल की माँग नहीं की।

इसके बाद 8 मार्च को मथुरा में श्री धाम वृंदावन में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित होने के बाद आरोपित कृष्ण शेखर ने प्रोटोकॉल की माँग की थी। फिर 11 मार्च को उसने अपने निजी सचिव के द्वारा हस्ताक्षर किया हुआ एक पत्र गाजियाबाद पुलिस को भेजा। उसमें प्रोटोकॉल का अनुरोध किया गया था। यह प्रोटोकॉल बेटी से मिलने के लिए जाने के दौरान माँगी गई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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