Friday, March 14, 2025
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‘किसान’ आंदोलन के नाम पर पहले फैलाया कोरोना का खतरनाक स्ट्रेन, अब कोविड-कुप्रबंधन के नाम पर फिर धरना-प्रदर्शन

किसान नेताओं ने दावा किया है कि राज्य सरकार द्वारा कोरोना वायरस से निपटने के कदमों के खिलाफ प्रदर्शन में 2000 से 3000 लोगों के शामिल होने की उम्मीद है।

अपने प्रदर्शनों के जरिए दिल्ली में कोरोना वायरस के यूके स्ट्रेन को फैलाने के लिए काफी हद तक जिम्मेदार पंजाब के किसान अब पंजाब सरकार के खिलाफ कोरोना कुप्रबंधन को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) की पंजाब यूनिट ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार द्वारा कोरोना वायरस से निपटने में असफल रहने के विरोध में तीन दिवसीय विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। खास बात यह है कि किसानों ने यह एलान पंजाब में कोरोना प्रतिबंधों को 10 जून तक बढ़ाए जाने की राज्य सरकार की घोषणा के एक दिन बाद किया है।

किसान नेताओं ने दावा किया है कि राज्य सरकार द्वारा कोरोना वायरस से निपटने के कदमों के खिलाफ प्रदर्शन में 2000 से 3000 लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। किसानों ने आरोप लगाया है कि राज्य की कॉन्ग्रेस सरकार बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने में पूरी तरह से विफल रही है। इसी कारण राज्य में कोरोना केस बढ़े हैं।

पंजाब में किसानों के कारण बढ़े कोरोना के केस: रिपोर्ट

पंजाब में कोरोना संक्रमण बढ़ने के लिए किसान राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) के महामारी विज्ञानियों ने किसानों के विरोध प्रदर्शनों को पंजाब और दिल्ली में कोरोना के यूके वैरिएंट के फैलने के लिए जिम्मेदार ठहराया है।

एनसीडीसी के निदेशक डॉ सुरजीत सिंह ने कहा, “पंजाब ने B.1.1.7 कोरोना वैरिएंट के मामलों के बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कोरोना के प्रसार के लिए 4 मुख्य कारक हैं, जिनमें शादियाँ और 1 फरवरी से 28 फरवरी तक किसानों का विरोध प्रदर्शन इसके लिए जिम्मेदार हैं। इसी के चलते मार्च में ही दिल्ली को 15000 गंभीर मामलों की चेतावनी दे दी गई थी।”

यूके स्ट्रेन सबसे पहले उन एनआरआई में पाया गया जो यूके से लौटे थे। रिपोर्टों के अनुसार, मार्च में कपूरथला और शहीद भगत सिंह नगर में पंजाब के कुल कोविड मामलों का 26 प्रतिशत केस पाए गए थे। पंजाब के दोआब क्षेत्र में शामिल इन दो जिलों में 19 मार्च को राज्य में कोविड से संबंधित कुल मौतों में से 25.6% हुई थीं। 5 अप्रैल को, यह पंजाब में लगभग 28% कोविड मौतों के लिए जिम्मेदार था।

दोआब को ‘एनआरआई बेल्ट’ के नाम से भी जाना जाता है। रिपोर्टों के अनुसार, इस क्षेत्र के एनआरआई भी आम आदमी पार्टी के बहुत बड़े समर्थक हैं। 2017 के राज्य विधानसभा चुनावों से पहले, विदेशों से आप समर्थकों ने इस क्षेत्र में आप उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया था। ऐसा माना जाता है कि कई एनआरआई रिश्तेदार जो दोआब में अपने पैतृक घरों में गए थे, अनजाने में अपने साथ यूके का वायरस लेकर आए थे। दोआब क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले चार जिलों में आप के दो विधायक हैं। किसानों के विरोध के कारण यह वायरस तब पंजाब के अधिकांश हिस्सों और बाद में दिल्ली में फैल गया था।

पंजाब में कोरोना ही नहीं ब्लैक फंगस के केस भी तेजी से बढ़े

कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब की कॉन्ग्रेसी सरकार ने कोरोना से लड़ने की बजाय शुरुआत में किसानों के विरोध को अपना समर्थन दिया था, लेकिन कोरोना के केस बढ़े तो इन्हीं प्रदर्शनकारी किसानों ने अब इसी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राज्य में बीते कुछ हफ्तों के दौरान कोरोना के साथ ही ब्लैक फंगस के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। गुरुवार (27 मई, 2021) को पंजाब में कोरोना के 3,914 नए मामले सामने आए, जबकि 178 लोगों की मौत हुई थी। वहीं बीते 24 घंटों में, म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) से संक्रमित चार और मरीजों की मौत हो गई, जिससे राज्य में मरने वालों की संख्या 27 हो गई।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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