Friday, April 19, 2024
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‘सोमनाथ मंदिर गलत कामों का अड्डा’ – मौलाना साजिद रशीदी अब माँग रहा माफी… क्योंकि गुजरात में FIR हो गई दर्ज

"सोमनाथ मंदिर का इतिहास ये है कि वहाँ के लोगों ने जाकर ग़ज़नवी को बताया था कि वहाँ आस्था और देवी-देवताओं के नाम पर क्या हो रहा है। वहाँ लड़कियों को कैसे लापता कर दिया जाता है।"

पिछले माह जनवरी 2023 में एक टीवी इंटरव्यू के दौरान गुजरात के सोमनाथ मंदिर के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले मौलाना साजिद रशीदी के खिलाफ FIR दर्ज हो गई है। यह केस श्री सोमनाथ ट्रस्ट के जनरल मैनेजर विजय सिंह चावड़ा की शिकायत पर दर्ज हुआ है।

शिकायत में रशीदी पर धार्मिक भावनाओं को भड़काने और 2 समुदायों के बीच शत्रुता फैलाने का आरोप है। यह केस गुरुवार (9 जनवरी 2023) को दर्ज हुआ है। केस दर्ज होने के बाद मौलाना साजिद रशीदी अब माफी माँग रहे हैं।

मौलाना रशीदी ऑल इंडिया इमाम एसोशिएशन के अध्यक्ष भी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह केस गिर सोमनाथ जिले में दर्ज हुआ है। शिकायतकर्ता के मुताबिक सोमनाथ मौलाना साजिश रशीदी की टिप्पणी से मंदिर से जुड़े भक्तों की भावनाएँ आहत हुई हैं। अपनी शिकायत में विजय सिंह ने पुलिस से साजिश रशीदी पर कार्रवाई की माँग की है।

अक्सर बहस के दौरान हिन्दू आस्थाओं और प्रतीकों पर नकारात्मक टिप्पणी करने वाले रशीदी पर IPC 153- A और 295- A के तहत कार्रवाई हुई है। इस मामले में गिर सोमनाथ जिले के पुलिस अधीक्षक मनोहर सिंह जडेजा ने जाँच किए जाने की जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें जानकारी मिली है कि साजिद रशीद पहले भी आपत्तिजनक टिप्पणियाँ करते रहे हैं।

क्या कहा था रशीदी ने

जनवरी 2023 में मौलाना साजिश रशीदी ने ANI से बात करते हुए विदेशी आक्रांता महमूद ग़ज़नवी की शान में कसीदे गढ़े थे। तब उन्होंने कहा, “जैसे गज़नवी को लोग कहते हैं कि उसने सोमनाथ का मंदिर तोड़ा। जबकि इतिहास ये है कि वहाँ के लोगों ने जाकर ग़ज़नवी को बताया था कि वहाँ आस्था और देवी-देवताओं के नाम पर क्या हो रहा है। वहाँ लड़कियों को कैसे लापता कर दिया जाता है। और उसके बाद भी गजनवी ने वहाँ बाकायदा पता करवाया और CID भेजी। तब जाकर सोमनाथ के मंदिर पर चढ़ाई की। उन्होंने सोमनाथ के मंदिर को तोड़ने का काम नहीं किया बल्कि वहाँ जो गलत कार्य हो रहे थे उसको खत्म करने का काम किया।”

क्या है सोमनाथ मंदिर का इतिहास

सोमनाथ मंदिर न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी मौजूद हिन्दुओं की आस्था का प्राचीन समय से मुख्य केंद्र रहा है। इतिहासकारों के मुताबिक 11वीं सदी में विदेशी आक्रांता महमूद गज़नी ने यहाँ हमला करके लूटपाट की थी। बताया जाता है कि जाते-जाते गज़नी ने मंदिर को तोड़ डाला था और यहाँ के सेवादारों व पुजारियों की हत्या कर दी थी। स्वतंत्रता के बाद इसका पुनर्निर्माण तत्कालीन गृहमंत्री सरदार बल्लभभाई पटेल के प्रयासों से हो पाया था।

भाजपा के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने गज़नी के समकालीन उदबू की लिखी किताब तारीख उल यामिनी का हवाला दिया। उन्होंने बताया कि उदबू के अनुसार मंदिर लूटने के बाद गज़नवी से मूर्तियों को न तोड़ने की अपील की गई थी। इस पर गज़नवी का जवाब था कि वो मंदिर जरूर तोड़ेगा, ताकि क़यामत के दिन वो बुत फरोश के तौर पर जाना जाए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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