Sunday, October 6, 2024
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ऐसे ही बंद नहीं हो जाता है आपका सोशल मीडिया अकाउंट, UP के सीतापुर से चल रहा गैंग: शादाब-महताब गिरफ्तार, हिंदूवादी हैंडल मुख्य टारगेट; 600+ अकाउंट शिकार

पुलिस ने इसे एक नए तरीके का ऑनलाइन क्राइम माना है। शादाब और महताब के द्वारा बनाए गए लगभग 20 फर्जी हैंडलों की अब तक पहचान हुई है। अपने गिरोह से सम्पर्क के लिए ये दोनों टेलीग्राम, व्हाट्सएप और ट्विटर का प्रयोग करते थे। इसके अलावा, ये अन्य तरीकों से भी एक-दूसरों को संपर्क में थे।

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में पुलिस ने रविवार (29 सितंबर 2024) को साइबर अपराध का बड़ा गिरोह चला रहे शादाब और महताब को गिरफ्तार किया है। दोनों अपने नेटवर्क के जरिए हिंदूवादी विचारधारा के सोशल मीडिया हैंडलों पर स्ट्राइक भेजकर उसे बंद करवाते थे। बाद में इसे खुलवाने के नाम पर मोटी उगाही की जाती थी। पकड़े गए आरोपितों के टेलीग्राम पर इस गैंग से जुड़े सैकड़ों लोग जुड़े पाए गए हैं।

मामला सीतापुर जिले के कोतवाली देहात का है। शुक्रवार (27 सितंबर 2024) को इंस्टाग्राम की @randombrigade प्रोफ़ाइल के एडमिन ने पुलिस में शिकायत दी। शिकायत में पीड़ित ने बताया कि कुछ दिनों पहले उनके पास इंस्टाग्राम यूजरनेम @soloxkakashi की आईडी से ऑडियो फोन और मैसेज आया। इस मैसेज में कॉपीराइट स्ट्राइक करके उसके इंस्टाग्राम हैंडल को सस्पेंड कराने की धमकी दी गई।

जब पीड़ित ने ऐसा नहीं करने की गुजारिश की तो उससे पैसों की डिमांड हुई। पैसे भेजने के लिए एक QR कोड भेजा गया, जिससे जुड़े बैंक का खाता निजामुद्दीन के बेटे महताब के नाम पर रजिस्टर्ड था। पीड़ित ने 3 अगस्त 2024 को खाते में 500 रुपए भेज दिए। इसके बाद भी पीड़ित से और पैसों की माँग की गई। इस बार पैसों की डिमांड के साथ पीड़ित और उसके परिवार को खत्म करने की धमकी दी गई।

धमकियों से पीड़ित डर गया और उसने 3 अगस्त को ही 2 बार में 1500 रुपए और भेजे। इसके बावजूद धमकियाँ जारी रहीं। पीड़ित ने 5 अगस्त को 1000 रुपए और 1 सितंबर को 750 रुपए और भेजे। पीड़ित से 3,750 रुपए वसूलने के बावजूद महताब ने पीड़ित से अमेजन या फ्लिप कार्ड से 70,000 रुपए का गिफ्ट माँगना शुरू कर दिया।

जब पीड़ित ने इतने पैसे देने में खुद को असमर्थ बताया तो महताब बोला, “मैं तुम्हारे इंस्टाग्राम एकाउंट को फर्जी कॉपीराइट बताकर तुम्हें बदनाम और तुम्हारी जिन्दगी बर्बाद कर दूँगा।” लगातार उगाही से परेशान होकर पीड़ित को अपनी व अपने परिवार की जान का खतरा सताने लगा। पीडित को यह भी लगा कि महताब ने फर्जी आईडी बनाकर उसकी तरह कई बेगुनाहों को परेशान किया होगा।

आखिरकार उसने थाने में जाकर शिकायत की। आरोपित के कामों को अवैध वसूली बताते हुए पीड़ित ने महताब पर कड़ी कार्रवाई की माँग की थी। इस तहरीर पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 318 (4), 352, 351 (2), 308 (5) व 66- D IT एक्ट के तहत केस दर्ज कर के जाँच शुरू कर दी। ऑपइंडिया के पास शिकायत की कॉपी मौजूद है।

ऐसे देते थे अपराध को अंजाम

सीतापुर पुलिस ने इस केस की जाँच शुरू की तो महताब अंसारी के साथ शादाब का भी नाम सामने आया। ये दोनों सगे भाई हैं, जो सीतापुर के मूल निवासी हैं। फ़िलहाल के तौर पर दोनों आगरा में रहते हैं। इनके पास से 3 मोबाइल फोन भी बरामद हुए हैं। पुलिस ने बताया कि शादाब अपने भाई महताब के साथ मिलकर गूगल से Insta Pro 2 की Apk File डाउनलोड करता था।

इसके बाद वे अपने टारगेट की असली इंस्टाग्राम आईडी से फोटो और डाटा उठा लेते थे। दोनों आरोपित गूगल से दोबारा इंस्टाग्राम का कॉपीराइट का फॉर्म डाउनलोड करते थे। इसे वो भर के मेटा (META) प्लेटफॉर्म को शिकायत के तौर पर भेजते थे। शिकायत में META से पीड़ित की ही आईडी को फर्जी बताकर अपने द्वारा बनाई गई प्रोफ़ाइल को ही असली बता देते थे।

इसके बाद यह गिरोह असली आईडी वाले की प्रोफ़ाइल पर कॉपीराइट का दावा करते थे। ID को उड़ाने के नाम पर पीड़ित से पैसों की उगाही भी की जाती थी। पुलिस के अनुसार, शादाब और महताब अब तक लगभग 600 ID पर इसी तरह का कॉपीराइट क्लेम कर चुके हैं। इनमे से कईयों से पैसों की उगाही भी की जा चुकी है।

इन्ही पीड़ितों में से एक @randombrigade भी निकला, जिसने मामले की शिकायत पुलिस में दर्ज करवाई। पुलिस ने शादाब और महताब को गिरफ्तार कर लिया है। इन सभी द्वारा अब तक अपराध से वसूले गए पैसों की भी जानकारी जुटाई जा रही है। जाँच व कार्रवाई के लिए थाना पुलिस के साथ साइबर सेल को भी लगाया गया है।

हिंदूवादी हैंडल थे बड़े गिरोह के निशाने पर

सीतापुर के पुलिस अधीक्षक IPS चक्रेश मिश्रा ने इस गिरोह के आपराधिक तौर तरीकों को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि इस गिरोह के व्हाट्सएप व टेलीग्राम पर ग्रुप बने हुए हैं। इन्हीं ग्रुपों के जरिए एक साथ असली प्रोफ़ाइल के खिलाफ हजारों की संख्या में शिकायतें META और X से की जाती थीं। बकौल पुलिस अधीक्षक, इन शिकायतों का संज्ञान लेकर META और X एक्शन भी ले लेते थे।

पुलिस ने इसे एक नए तरीके का ऑनलाइन क्राइम माना है। शादाब और महताब के द्वारा बनाए गए लगभग 20 फर्जी हैंडलों की अब तक पहचान हुई है। अपने गिरोह से सम्पर्क के लिए ये दोनों टेलीग्राम, व्हाट्सएप और ट्विटर का प्रयोग करते थे। इसके अलावा, ये अन्य तरीकों से भी एक-दूसरों को संपर्क में थे।

पुलिस ने यह भी माना है कि शादाब और महताब के गिरोह द्वारा ज्यादातर दक्षिणपंथी हैंडलों को टारगेट किया जाता है। ऐसा करने के लिए इस गिरोह को कोई ऊपर से दिशा-निर्देश भी देता था, जिसके बारे में पुलिस जानकारियाँ जुटा रही है। मामले में अन्य जरूरी कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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