Friday, May 3, 2024
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हिंदुओं के पड़ोस में शौकत मंसूरी ने घर खरीदा… पहले भजन हराम हुआ, फिर वह सब कुछ हुआ जो आप सोच रहे हैं

2008 में जब शौकत मंसूरी मोहल्ले में रहने आया तो पड़ोसियों से घुलने-मिलने और उनका भरोसा जीतने के लिए उसने उपहार में साड़ी और बर्तन बाँटे। 2011 में इसी शौकत ने सामुदायिक क्षेत्र में लोगों को बैठने से रोकने के लिए पड़ोस के कुछ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया।

गुजरात का भरूच। इसी शहर के सोनी फलियो (Soni Faliyo) इलाके में है बहादुर बुराज। यह इलाका अब अशांत क्षेत्र अधिनियम के अंतर्गत आता है। इसी इलाके में 2008 में शौकत मंसूरी ने एक घर खरीदा। उसके घर के पास ही जलाराम बापा मंदिर (Jalaram Bapa Temple) है। मंदिर में हर शाम 6:30 से 8 बजे के बीच घरों में इस्तेमाल किए जाने वाले सामान्य स्पीकर पर भजन बजाया जाता। इसकी आवाज इतनी तेज नहीं होती थी कि आसपास रहने वालों को परेशानी हो। यह मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के सुनने के लिए पर्याप्त था।

करीब तीन साल पहले शौकत को मंदिर में होने वाले भजन से परेशानी होने लगी। उसने शिकायत की। इसी इलाके में रहने वाले मे​हुल पटेल ने ऑपइंडिया को बताया कि भजन और आरती का विरोध करने के लिए शौकत का बेटा एक बड़ा सा डीजे स्टाइल वाला स्पीकर लेकर आ गया। इस पर उसी समय इस्लामी उपदेश बजाने लगा जब मंदिर में भजन-आरती का समय होता।

पटेल के अनुसार उस समय पुलिस ने भी हिंदुओं को ही दोषी ठहरा दिया। फिर अशांत क्षेत्र अधिनियम लागू हुआ। इलाके में कई घरों की खरीद-बिक्री कानून की खामी का फायदा उठाकर किया गया। उन्होंने बताया कि 2008 में जब शौकत मंसूरी मोहल्ले में रहने आया तो पड़ोसियों से घुलने-मिलने और उनका भरोसा जीतने के लिए उसने उपहार में साड़ी और बर्तन बाँटे। 2011 में इसी शौकत ने सामुदायिक क्षेत्र में लोगों को बैठने से रोकने के लिए पड़ोस के कुछ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया।

भारत के छोटे शहरों के हर इलाके में ऐसे सार्वजनिक जगह होते हैं जहाँ बच्चे खेलते हैं। बुजुर्ग क्रिकेट से लेकर राजनीति तक पर चर्चा करते हैं। भजन गाते हैं और इस तरह की तमाम दूसरी चीजें करते हैं। लेकिन शौकत ने यहाँ आने वाले लोगों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया। यहाँ तक कि बच्चों का क्रिकेट खेलना बंद करवा दिया।

पटेल कहते हैं, “मैं एक निम्न मध्यम वर्ग की पृष्ठभूमि से आता हूँ। एक बार किसी ने उसकी गाड़ी की सीट फाड़ दी तो उसने मुझ पर आरोप लगा दिया और मेरे खिलाफ मामला दर्ज कराया। मैंने महीनों मानसिक प्रताड़ना झेली। उस समय मैं पढ़ाई कर रहा था और यह मेरे लिए मुश्किल समय था।”

अब हालत यह है कि हिंदुओं ने ‘बिक्री के लिए है’ का बैनर लगा रखा है। इस संबंध में पटेल बताते हैं, “हमने पुलिस को मंदिर में एक स्पीकर लगाने के लिए एक आवेदन दिया था। ठीक वैसे ही जैसे मस्जिदों में स्पीकर होते हैं। इससे मंसूरी नाराज हो गया और एक दिन मंदिर में तैयारी के लिए जाने वाले लड़कों में से एक को रोक लिया। मंसूरी और उसके तीन अन्य मुस्लिम पड़ोसियों, जो उसके रिश्तेदार भी हैं, ने पुलिस से शिकायत कर प्राथमिकी दर्ज कराई। हमने भी उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई।”

जून 2021 में शौकत मंसूरी और अन्य के खिलाफ की गई शिकायत

शिकायत में स्थानीय लोगों ने ने बताया कि वे हर शाम 30 मिनट से एक घंटे तक भजन बजाते हैं। उनका आरोप है कि शौकत मंसूरी, इकबाल मंसूरी, शगुफ्ता इकबाल मंसूरी, इमरान मंसूरी और तस्लीम इमरान मंसूरी ने भजन बजाने गए शख्स से इसे बंद करने को कहा। शिकायत में कहा गया है, “आज वे फिर से भीड़ में आए और भजन बंद कर दिया। उन्होंने कहा कि भजन इस्लाम में हराम है। भजन और आरती ‘हमारे इलाके’ में बंद होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम मुसलमान यहाँ रहते हैं और यहाँ भजन नहीं बजनी चाहिए। जलाराम साईं मंदिर और शिव मंदिर कई वर्षों से है और ये मुस्लिम, हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करना चाहते हैं।”

बाद में 11 जून 2021 को शौकत मंसूरी, इमरान मंसूरी, तसलीम मंसूरी और शगुफ्ता मंसूरी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। पुलिस ने बताया कि मामला दर्ज कर जाँच जा रही है।

हालाँकि, पटेल का आरोप है कि शिकायत दर्ज होने के बाद मंसूरी और उसके रिश्तेदार फिर से उन्हें धमकी देने आए। इसके बाद उन्होंने एक और अर्जी दी। दूसरी शिकायत के अनुसार, जिसकी एक प्रति ऑपइंडिया के पास है, उबेद मंसूरी, शगुफ्ता मंसूरी, जुलेखा मंसूरी, शौकत मंसूरी की पत्नी और दो अन्य मुस्लिम महिलाओं ने शिकायत दर्ज कराने वाले दर्पण चौहान, चेतन पटेल और गौरांग राणा पर दबाव बनाने की कोशिश की। शिकायत में कहा गया है कि जब उन्होंने पीछे हटने से इनकार किया तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई।

आवेदन में कहा गया है, “पिछले 8-10 वर्षों से डर पैदा करने के लिए वे महिलाओं और बच्चों को आगे कर देते हैं। इस वजह से हम असुरक्षित महसूस करते हैं। शौकत मंसूरी की हिंदू विरोधी मानसिकता है और वह लैंड-जिहाद करना चाहता है और क्षेत्र में हिंदू समुदाय को अल्पसंख्यक बनाना चाहता है। अशांत क्षेत्र अधिनियम के लागू होने के बावजूद उसने अपने परिवार के सदस्यों को हिंदू परिवारों से घर खरीदने के लिए कहा है। भजन जारी रखने पर वे हमें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दे रहे हैं। उसने धमकी दी है कि वह इलाके को मुस्लिम बहुल बना देगा।” आगे कहा गया है, “यदि हमें या हमारे परिवार के किसी सदस्य को कुछ होता है, तो यही लोग जिम्मेदार होंगे।”

इस घटना के तीन महीने बाद सोनी फलियो के निवासियों ने घर के बाहर ‘बिक्री के लिए है’ के बैनर लगा रखे हैं।

क्या है अशांत क्षेत्र अधिनियम

जिला प्रशासन, सांप्रदायिक सद्भाव और शांति बनाए रखने के लिए उन क्षेत्रों को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित कर सकता है जो जनसांख्यिकी परिवर्तन के लिहाज से अतिसंवेदनशील हैं। इन क्षेत्रों में अचल संपत्ति के हस्तांतरण के लिए एक विस्तृत प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। विक्रेता को आवेदन में यह उल्लेख करना होता है कि वह अपनी मर्जी से संपत्ति बेच रहा है। अचल संपत्ति का हस्तांतरण केवल कलेक्टर द्वारा संपत्ति को खरीदने वाले और बेचने वाले द्वारा किए गए आवेदन पर हस्ताक्षर करने के बाद ही हो सकता है। इस तरह के किसी भी आवेदन के बाद कलेक्टर को औपचारिक जाँच करनी होती है। अधिकारियों को मौके पर खुद जाकर सार्वजनिक तौर पर जानकारियाँ इकट्ठी करनी होती है। प्रभावित लोगों से लिखित में भी स्वीकृति भी लेनी होती है। इस अधिनियम के तहत वे लोग भी शामिल हैं जो उस संपत्ति के आस-पास रहते हैं। सभी प्रक्रियाओं का पालन होने और उससे संतुष्ट होने के बाद ही कलेक्टर संपत्ति के हस्तांतरण की मँजूरी दे सकते हैं।

(मूल रूप से यह रिपोर्ट निरवा मेहता ने अंग्रेजी में लिखी है। पूरी रिपोर्ट आप यहाँ क्लिक कर पढ़ सकते हैं)

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Nirwa Mehta
Nirwa Mehtahttps://medium.com/@nirwamehta
Politically incorrect. Author, Flawed But Fabulous.

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