Sunday, April 28, 2024
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‘पानी की बोतलों में पेट्रोल भरकर किए हमले, महिला पुलिसकर्मियों के फाड़े कपड़े’: हल्द्वानी में घायलों की सेवा के लिए आगे आया ‘बजरंग दल’

उन्होंने बताया कि कैसे महिला सिपाही रो रही थीं, कह रही थीं कि कैसे वो जान बचा कर भागीं। कइयों ने कुछ घरों में घुस कर जान बचाई। जोगिन्दर सिंह राणा ने इस दौरान वाल्मीकि समाज के लोगों की तारीफ़ करते हुए कहा कि स्थानीय वाल्मीकि लोगों ने पुलिस के साथ मिल कर काम किया।

हल्द्वानी में अवैध मदरसा-मस्जिद को कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन बुलडोजर लेकर ध्वस्त करने पहुँचा तो भीड़ उग्र हो गई। पत्थरबाजी की गई, गोलीबारी की गई, बनभूलपुरा थाना व पेट्रोल पंप फूँक दिया गया, गाड़ियाँ क्षतिग्रस्त कर दी गईं और बुलडोजर का शीशा भी फोड़ दिया गया। पुलिसकर्मियों को ज़िंदा जलाने का प्रयास भी किया गया। हिन्दू कार्यकर्ताओं ने इस दौरान पीड़ितों की सहायता की, पुलिस की मदद की। कई महिला पुलिसकर्मियों को भी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

इस घटना के चश्मदीद रहे ‘बजरंग दल’ के एक कार्यकर्ता ने ऑपइंडिया से बातचीत कर के आँखों देखा हाल बताया। हल्द्वानी के रहने वाले जोगिन्दर सिंह राणा ने इसे एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना करार दिया। उन्होंने बताया कि जब से उन्होंने होश सँभाला है, तब से ऐसी घटना नहीं देखी। उन्होंने बताया कि 1992 में बाबरी ढाँचे के विध्वंस के समय दंगे भड़के थे, लेकिन तब भी ऐसी हिंसा नहीं हुई थी। उन्होंने बताया कि पुलिस पर पथराव किया गया, महिला सिपाहियों के कपड़े तक फाड़ डाले गए।

उन्होंने बताया कि कैसे बनभूलपुरा थाने और पेट्रोल पंप को आग के हवाले कर दिया। उन्होंने इसे भय पैदा करने वाली घटना करार दिया। जोगिन्दर सिंह राणा ने बताया कि गुरुवार (8 फरवरी, 2024) को रात के 10 बजे पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों से उनकी बातचीत हुई थी, तब उनका कहना था कि हल्द्वानी के 4 अस्पतालों में 100-150 गया पुलिसकर्मी भर्ती थे। हिन्दू कार्यकर्ताओं से पुलिस-प्रशासन ने निवेदन किया कि वो घायल पुलिसकर्मियों की देखरेख करें।

‘बजरंग दल’ के कार्यकर्ता ने बताया कि पुलिस से मुठभेड़ उस समय चल ही रही थी और उनलोगों का अस्पतालों में जाना खतरे से खाली नहीं था, लेकिन रात डेढ़ बजे तक वो लोग सेवाएँ देते रहे। उन्होंने कहा कि वो इस कारण चिंतित थे क्योंकि कुछ ही महीनों पहले नूँह में हिंसा हुई थी और जिहादियों ने अस्पताल में घुस कर भी पुलिस वालों को मारने का प्रयास किया था। इसीलिए, अस्पताल में हिन्दू कार्यकर्ता न सिर्फ सेवा कर रहे थे बल्कि सुरक्षा भी कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि ऐसी कोई विकट परिस्थिति आती तो हर हिन्दू कार्यकर्ता इससे निपटने में सक्षम था। उन्होंने कहा कि अगर आप पीड़ित हैं तो आप प्रशासन से शिकायत कर सकते हैं, लेकिन इन्होंने पुलिस पर हमले का रास्ता चुना जो लोकतंत्र पर हमला है। उन्होंने बताया कि कैसे महिला सिपाही रो रही थीं, कह रही थीं कि कैसे वो जान बचा कर भागीं। कइयों ने कुछ घरों में घुस कर जान बचाई। जोगिन्दर सिंह राणा ने इस दौरान वाल्मीकि समाज के लोगों की तारीफ़ करते हुए कहा कि स्थानीय वाल्मीकि लोगों ने पुलिस के साथ मिल कर काम किया।

हालाँकि, इस दौरान उन्होंने बाहर से यहाँ आकर बसने वालों के सत्यापन की माँग भी उठाई। उन्होंने बताया कि कैसे प्लास्टिक व काँच की बोतलों में पेट्रोल डाल कर बम बनाया गया। पुलिस वालों से मैगजीन भी छीन ली गई। कूड़े में पड़े बोतलों से पेट्रोल बम बनाया गया। उन्होंने बताया कि कूड़े के कारोबार करने वाले वही लोग हैं। ‘सभी मुस्लिम एक जैसे नहीं होते’ वाले नैरेटिव पर उन्होंने कहा कि उन्होंने पुलिस पर हमला करने वालों में इन सभी को शामिल देखा।

उन्होंने बताया कि कैसे बनभूलपुरा थाने में तैनात एक घायल मुस्लिम अधिकारी की सेवा ‘बजरंग दल’ वालों ने की, साथ ही उन्हें घर भी छोड़ा। जोगिन्दर सिंह राणा कहा, “अगर पुलिस वाले या वाल्मीकि समाज के लोग इन्हें नहीं रोकते तो स्थिति और ख़राब होती। 5-6 हजार लोगों की भीड़ थी। इतनी कम समय में इतनी मात्रा में पेट्रोल या पत्थर इकट्ठा कैसे हुआ, इसकी जाँच होनी चाहिए।” साफ़ है, हिन्दू कार्यकर्ताओं ने अपनी जान पर खेल कर पुलिस वालों का इलाज कराया, उनकी सुरक्षा भी की।

एक अन्य चश्मदीद दीपांशु ने ऑपइंडिया से बताया कि महिला कॉन्स्टेबल रो रही थीं, बता रही थीं कि उन्हें चोट लगी है। उन्होंने कहा, “सोचिए, किसी व्यक्ति के ऊपर ईंट पड़ेगी तो वो कितना रोएगा। बहुत दर्दनाक मंजर था। हमलावर छत से पत्थर फेंक रहे थे, टंकी में पानी की जगह पत्थर भरे थे। वीडियो सर्वे में कोई पत्थर नहीं मिला था, वो छिपा कर रखे गए थे। VHP और ‘बजरंग दल’ के कार्यकर्ताओं ने ब्लड डोनेट किया। इसमें प्रशासन की कोई गलती नहीं है। सरकारी आदेश पर वो ड्यूटी करने आए थे।”

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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