Saturday, October 12, 2024
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गायत्री मंदिर की जमीन पर बना दी मस्जिद, अब बढ़ा रहे आकार: यूँ ही नहीं उबला जबलपुर का हिंदू समाज, VHP ने कहा- 10 दिन में एक्शन लो, नहीं तो करेंगे कारसेवा

मंदिर की जमीन पर मस्जिद बनाए जाने के मामले को लैंड जिहाद बताते हुए हिंदू समाज 3 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। अब मस्जिद का आकार और बड़ा किए जाने का आरोप लगाते हुए वीएचपी ने प्रशासन से इस पर तत्काल रोक लगाने की माँग की है।

मध्य प्रदेश के जबलपुर में पिछले दिनों गायत्री मंदिर की जमीन पर मस्जिद बनाने के मामले को लेकर हिंदू संगठनों ने जमकर विरोध किया था। कहा गया था कि अगर इस मामले में कार्रवाई नहीं हुई तो कारसेवा होगी। उस समय मुस्लिम समुदाय का कहना था कि ये दावा गलत है और वो जमीन उनकी ही है। हालाँकि अब दैनिक भास्कर की रिपोर्ट से सामने आया है कि मुस्लिम समुदाय ने जिस भूमि पर मस्जिद बनाया है वो रिकॉर्ड में साफ तौर पर हिंदू मंदिर के नाम पर दर्ज है।

पूरा मामला जबलपुर की रांझी तहसील में पड़ने वाले गाँव मड़ई का है। विश्व हिन्दू परिषद के विभाग संयोजक सुमित सिंह ठाकुर ने गुरुवार को बताया था कि खसरा नंबर 169 पर एक मस्जिद अवैध तौर पर बनाई गई। जब दैनिक भास्कर के रिपोर्टर ने इस विवाद की हकीकत जानने के लिए जमीन के रिकॉर्ड देखे तो सामने आया कि खसरे में मस्जिद की जमीन गायत्री बाल मंदिर और एक परिवार के नाम पर दर्ज है।

वहीं मुस्लिम समुदाय का कहना है कि उनकी मस्जिद तो 50 साल पहले बनी थी। विश्व हिन्दू परिषद इस मस्जिद को लैंड जिहाद बताते हुए 3 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। उनका कहना है कि मुस्लिम समुदाय धीरे-धीरे मस्जिद का आकार और बड़ा कर रहा है, जिस पर तत्काल रोक लगाने की आवश्यकता है। अगर ऐसा नहीं हुआ वो कारसेवा होगी।

बता दें कि गुरुवार को विश्व हिन्दू परिषद सहित अन्य कई हिन्दू संगठनों के सदस्य इस विवादित स्थल पर जमा हुए थे। उन्होंने इस दौरान नारेबाजी की थी। मामले की जानकारी मिलते ही प्रशासनिक अधिकारी तत्काल मौके पर पहुँचे थे। उन्होंने प्रदर्शनकरियों को शांत करवाया था और मामले की जल्द जाँच करके कार्रवाई का भरोसा दिया था। इस बीच हिन्दू संगठनों ने भी अपनी तरफ से प्रशासन को 10 दिनों का अल्टीमेटम देते हुए धरना खत्म किया था। उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर 10 दिनों में एक्शन नहीं हुआ तो विवादित मस्जिद पर कारसेवा की जाएगी।

हालाँकि मुस्लिम पक्ष हिन्दू संगठनों के इस दावे को बेबुनियाद बता रहा है। मस्जिद कमेटी के सचिव दिलशाद अली ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा कि भीड़ बढ़ने की वजह से कुछ निर्माण कार्य करवाया जा रहा है जिसे बेवजह विवाद का मुद्दा बनाया जा रहा है। दिलशाद ने मस्जिद को 50 साल पहले की बनी बताया। उन्होंने विश्व हिन्दू परिषद से कोर्ट में अपने दस्तावेज दिखाने की अपील की है।

दिलशाद ने जमीन के खसरे में ट्रस्ट का नाम चढ़ना किसी की गलती करार दे डाला है। हालाँकि सुमित ठाकुर ने दिलशाद के दावों को मनगढ़ंत बताया। उन्होंने कहा कि साल 2022 में मस्जिद पर स्टे है लेकिन अब तक उसे खाली नहीं किया गया। बकौल सुमित अगर कब्जेदार न हटे तो नवरात्रि में ढाँचा टूटा हुआ मिलेगा। उन्होंने इलाके में रोहिंग्या मुस्लिमों की भी घुसपैठ होने की आशंका जताई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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