Sunday, May 4, 2025
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जामिया हिंसा: शरजील-सफूरा सहित 11 को बरी करने पर हाई कोर्ट का नोटिस, कहा- आगे जाँच होगी, ट्रायल कोर्ट की टिप्पणियों का असर नहीं

4 फरवरी 2023 को निचली अदालत ने शरजील इमाम समेत 11 लोगों को बरी किया था। निचली अदालत ने दिल्ली पुलिस के खिलाफ काफी सख्त टिप्पणी की थी और कहा था कि पुलिस असली आरोपितों तक पहुँचने में विफल रही और इनलोगों को बलि का बकरा बनाया है।

दिल्ली पुलिस ने जामिया हिंसा मामले में 11 लोगों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। सोमवार (13 मार्च 2023) को हाई कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया। साथ ही स्पष्ट किया है कि इस मामले की आगे की जाँच या केस पर ट्रायल कोर्ट की टिप्पणियों का कोई असर नहीं होगा। ट्रायल कोर्ट ने 2019 के हिंसा मामले में जिन लोगों को बरी कर दिया था उनमें शरजील इमाम, सफूरा जरगर और आसिफ इकबाल तन्हा भी शामिल हैं।

मामले की सुनवाई कर रहीं जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने हालाँकि निचली अदालत की टिप्पणियों को हटाने के लिए अंतरिम निर्देश पारित करने के दिल्ली पुलिस के आग्रह को स्वीकार से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “आगे की जाँच की जाएगी, इसलिए जाँच एजेंसी के खिलाफ की गई टिप्पणियों का आगे की जाँच या किसी आरोपित के मुकदमे पर कोई असर नहीं पड़ेगा।” मामले की अगली सुनवाई 16 मार्च को होगी।

दरअसल 4 फरवरी 2023 को निचली अदालत ने शरजील इमाम समेत 11 लोगों को बरी किया था। निचली अदालत ने दिल्ली पुलिस के खिलाफ काफी सख्त टिप्पणी की थी और कहा था कि पुलिस असली आरोपितों तक पहुँचने में विफल रही और इनलोगों को बलि का बकरा बनाया है। कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली पुलिस को बगावत और विरोध मे अंतर समझना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा था कि इनलोगों के मिलीभगत से यह हिंसा हुई है, इसका कोई प्रमाण नहीं है।

हाई कोर्ट में दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (AG) संजय जैन ने तर्क दिया कि ये टिप्पणियाँ आगे की जाँच को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकती हैं। साथ ही उन्होंने पुलिस जाँच जारी रखने और चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति देने के लिए एक अंतरिम आदेश की माँग की।

उन्होंने कहा, “मुझे निचली अदालत की टिप्पणियों से गंभीर समस्या है। क्या ये निष्कर्ष स्वीकार्य हैं? क्या वह एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रहे थे? आदेश एक सेल्फ गोल (SELF GOAL) करने जैसा है। और एक सेल्फ गोल करने के बाद, वह कहते हैं कि ‘मैं जीत गया’। वह कहते हैं कि दंगों ने तबाही मचाई। अगर यह तबाही थी, तो क्या पुलिस का यह कर्तव्य नहीं है कि वह उन लोगों को गिरफ्तार करे?”

क्या था मामला

मामला दिसंबर 2019 में जामिया मिलिया इस्लामिया और इसके आसपास हुई हिंसा से जुड़ा हुआ है। यहाँ कुछ छात्रों और स्थानीय लोगों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के विरोध में संसद की ओर मार्च करने का आह्वान किया था। मार्च ने हिंसक रूप ले लिया। पुलिस ने शांत करने का प्रयास किया तो उन पर पथराव किए गए और कुछ विरोध करने वाले छात्र कथित तौर पर विश्वविद्यालय में प्रवेश कर गए।

दिल्ली पुलिस ने कुल मिलाकर मामले में 12 लोगों को आरोपित बनाया था। इन 12 लोगों में शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा, सफूरा जरगर, मोहम्मद अबुजर, उमैर अहमद, मोहम्मद शोएब, महमूद अनवर, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद बिलाल नदीम, शहजर रजा खान और चंदा यादव और मोहम्मद इलियास शामिल थे। निचली अदालत में 4 फरवरी 2023 को हुई सुनवाई में केवल मोहम्मद इलियास को मामले में आरोपित माना और इमाम समेत अन्य को आरोपमुक्त कर दिया गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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