झारखंड में ‘लैंड जिहाद’ ऐसे भी: भीड़ बनकर आए मुस्लिम, मदरसे की जमीन बता 50 महादलित परिवारों का घर तोड़ा; पीटकर गॉंव से भगाया

पलामू में महादलितों पर हुआ हमला (तस्वीर साभार: दैनिक भास्कर)

झारखंड के पलामू में विशेष समुदाय के लोगों द्वारा 50 से ज्यादा महादलित परिवारों के सदस्यों को पीटे जाने का और उन्हें उनकी जमीन से बेदखल करने मामला सामने आया है। 

विशेष समुदाय का कहना है कि वो जमीन मदरसे की है जबकि मुसहर समुदाय कह रहा है कि 40 वर्ष से वो यहाँ रहते हैं। उनका नाम सर्वे में दर्ज हुआ था तब प्रशासन ने उन्हें रहने की जगह दी थी।

पूरी घटना कुजरुकला पंचायत के अंतर्गत मुरुमातू गाँव के पास की है। वहाँ टोंगरी पहाड़ी के नजदीक करीबन 40 दशक से खपरैल के नीचे मुसहर परिवार के लोग आराम से रहते थे। 29 अगस्त 2022 को समुदाय विशेष के लोग वहाँ आए और कच्चे घरों को जमींदोज करके मुसहर परिवारों से बदसलूकी करने लगे और उन पर गाँव छोड़ने का दबाव बनाने लगे।

मालूम हो कि समुदाय विशेष ने महादलित परिवारों के केवल घरों को ध्वस्त नहीं किया बल्कि ट्रैक्टर में बच्चों से लेकर बुजुर्गों को बैठाकर लोटो जंगल में छोड़ आए। इस दौरान सब लोग इधर-उधर भाग-भागकर रोते रहे लेकिन किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ा।

पुलिस पर अत्याचार को नजरअंदाज करने का आरोप

सबसे हैरान करने वाली बात इस पूरी घटना में यह है कि जहाँ पर महादलित परिवारों का ठिकाना था, वहीं से पांडू थाना मात्र 4 किमी दूरी पर था। फिर भी कोई पुलिसकर्मी महादलितों पर होते अत्याचार को रोकने नहीं आया। उलटा जब इस बाबत सवाल हुए तो कहा गया कि अगर मुसहर परिवार पुलिस से आकर मिलता तो वो कहीं खाली पड़े भूखंड में उनको रहने की जगह दे देते।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट बताती है कि थाना पुलिस केवल तब सामने आई जब ये दिखाना हुआ कि मुसहर परिवार सहमति से मुरुमातू को छोड़ रहे हैं। या फिर तब, जब मुसहर परिवारों को जंगल में छोड़ दिया गया और बाद में उनमें से कुछ लोग हिम्मत करके थाना शिकायत देने आए।

पांडू थाना प्रभारी धुमा किस्कू ने इस मामले पर कहा कि ये पूरा मामला जमीन विवाद से जुड़ा है। हमले के बाद मुसहर जाति के लोग थाना आए और मौखिक जानकारी दी। अभी तक लिखित शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। पुलिस मामले की जाँच कर रही है।

सोरेन सरकार में बढ़ी जिहादियों की हिम्मत: पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास

बता दें कि इस पूरे मामले में पीड़ितों का कहना है कि जहाँ वो लोग रहते थे वो भूखंड जीएम लैंड है। प्रशासन ने उनको सर्वे करवाकर वहाँ बसाया। मगर अब दूसरा समुदाय इसे मदरसे की जमीन बता रहा है। 

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा नेता रघुबर दास ने इस पर लिखा है,

“हिम्मतवाली सरकार में जिहादियों की हिम्मत बढ़ गई है। महादलित परिवारों को घरों को मदरसे की जमीन बताकर तोड़कर बेघर कर दिया और यह गूंगी-बहरी सरकार मौज मस्ती में लगी रही। यह साबित करता है कि सरकार के सरंक्षण में राज्य की डेमोग्राफी बदलने के लिए सुनियोजित तरीके से षड्यंत्र चल रहा है।”

वहीं झारखंड प्रदेश भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष विधायक अमर बाउरी ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राज्य में दलित और आदिवासी सुरक्षित नहीं है। ऐसा लग रहा है कि यह खबर अफगानिस्तान या पाकिस्तान की है। लेकिन सच तो यही है कि ये घटना झारखंड के पलामू की है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया