Saturday, October 12, 2024
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घर में थूकते हैं मुस्लिम, पुलिस ले जाती है मोबाइल: प्रताड़ना से तंग राँची की ऋचा भारती, परिवार ने कहा- ‘गोली मार दो’

झारखंड में सरकार बदलते ही ऋचा भारती को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया गया है। उनकी माँ की तबियत बेहद ख़राब है। उनके पिता के दिन थाने के चक्कर काटते बीत रहे हैं। स्थानीय मुस्लिम परिवार को मार भगाने की बात करते हैं।

“मुझे तो हिंदुस्तान में रहने में ही डर लग रहा है। क्या झारखण्ड पाकिस्तान बन गया है? अगर हमें इस तरह से प्रताड़ित किया जाता रहा तो हम कहाँ जाएँगे?”

ये शब्द हैं ऋचा भारती के पिता के। राँची की वही ऋचा भारती, जिन्हें अदालत ने कुरान बाँटने की अजोबोग़रीब और विवादित सज़ा दी थी। उन्हें व उनके पूरे परिवार को जानबूझ कर प्रताड़ित किया जा रहा है। ये काम झारखण्ड पुलिस कर रही है, वो भी झारखण्ड सरकार के इशारों पर। गुरुवार (अप्रैल 23, 2020) को अचानक से 5-6 पुलिसवाले उनके घर आए और ऋचा भारती का मोबाइल फोन ले गए। मुद्दा क्या था, कारण क्या है, शिकायत किसने की- पुलिस ने ये सब कुछ भी नहीं बताया।

पुलिस से जब ऋचा भारती के पिता प्रकाश पटेल ने कहा कि वो कोई कागज़ दिखाएँ, जिसमें मोबाइल फोन जब्त करने का आदेश हो तो पुलिस कुछ नहीं दिखा पाई। बिना किसी सर्च वॉरंट वगैरह के पुलिस घर में घुस गई और परिवार के सभी सदस्यों का मोबाइल फोन खँगालने लगी। प्राइवेट मैसेजों का भी पड़ताल की है। ऋचा के भाई का फोन लेकर छानबीन की गई। वो लोग बार-बार पूछते रहे कि किसकी शिकायत पर ये हो रहा है, तो कुछ नहीं बताया गया।

पुलिस सिर्फ़ इतना बताती रही कि उन्हें मोबाइल लेना है और चेक करना है। ये पहली बार नहीं हुआ है। कुछ हफ़्तों पहले भी पुलिस आई थी और ऋचा भारती की माँ का मोबाइल फोन लेकर चली गई थी। तब भी कोई कारण नहीं बताया गया। मोबाइल फोन वापस लेने के लिए प्रकाश पटेल बार-बार थाने का चक्कर लगाते रहे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। थाना में कहा जाता रहा कि जब्ती सूची बना दी गई है। वो रेडमी ए-1 हैंडसेट था।

अप्रैल 23 को साइबर क्राइम की डीएसपी भी आई थीं, जिन्होंने कहा कि वो लिखित में देने को तैयार हैं कि पुलिस मोबाइल फोन लेकर जा रही है। लेकिन, ये नहीं बताया गया कि किसकी शिकायत पर यह सब किया जा रहा है। ऋचा ने ऑपइंडिया से बातचीत करते हुए आशंका जताई है कि ट्विटर पर कुछ समुदाय विशेष के लोगों ने सरकरी नेताओं और पुलिस को टैग कर के कुछ शिकायत की होगी, जिसके बाद अचानक से पुलिस यूँ कार्रवाई करने लगी।

ऋचा के पिता प्रकाश व्यथा सुनाते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि उनके और उनके परिवार के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है कि उन्हें अब हिंदुस्तान में रहने में भी शर्म आ रही है। वो बताते हैं कि जब मोबाइल फोन जब्त कर के ले जाया गया, तो वो भी थाने पहुँचे ताकि पता चल सके कि मामला क्या है। उन्हें थाने में कोई नहीं मिला। फिर उसी दिन शाम को 15-20 की संख्या में पुलिसकर्मी फिर से ऋचा के घर पहुँचे।

बिना कुछ किए पीड़ित परिवार के साथ एकदम अपराधी की तरह व्यवहार किया गया। क़रीब एक घंटे तक साइबर क्राइम वालों ने घर के सारे मोबाइल फोन्स की जाँच की। उन्होंने जो-जो कहा, परिवार ने वो सब कर के जाँच में सहयोग किया। ऋचा की माँ की तबियत काफी खराब है। इन सब के बीच उनकी तबियत और बिगड़ गई। उन्हें डॉक्टर ने बेड रेस्ट की सलाह दी है। उनका कुछ दिनों पहले ट्यूमर का ऑपरेशन हुआ था। इसके अलावा एक और सर्जरी हुई थी।

पुलिस की पूछताछ के दौरान ही उनकी तबियत अचानक से बिगड़ गई। इसके बाद पुलिस के ही सहयोग से ऋचा की माँ को किसी तरह हॉस्पिटल भेजा गया। वहाँ उनका इलाज चला, जिसके बाद उन्हें डिसचार्ज कर दिया गया। ऋचा के द्वारा क़ुरान बाँटने वाले प्रकरण के बाद ऋचा भारती के नाम से कई फेक फेसबुक एकाउंट्स बन गए हैं। उन्होंने थाने में ज्ञापन देकर उन फेक एकाउंट्स के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की गुहार लगाई लेकिन पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया।

सबसे बड़ी बात तो ये है कि इलाक़े में समुदाय विशेष के बीच ऋचा भारती के परिवार के ख़िलाफ़ चर्चा आम हो गई हैं। एक व्यक्ति ने बताया कि उनके मेडिकल स्टोर पर शहजाद नामक आदमी ऋचा और उनके परिवार को लेकर कुछ आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहा था। उसने जब पुलिस द्वारा ऋचा के घर छानबीन किए जाने की ख़बर सुनी तो अफवाह उड़ा दी कि उन्हें पुलिस पकड़ के ले गई है। साथ ही वो बातें कर रहा था कि वो सब मिल कर ऋचा के परिवार को मार-पीट कर भगा देंगे।

ऋचा के परिवार के ख़िलाफ़ समुदाय विशेष के कुछ लोग मार-पीट कर भगाने की बात कर रहे थे, ऐसा एक मेडिकल स्टोर वाले ने बताया। इस सम्बन्ध में भी परिवार ने पुलिस को सूचित किया था। कुछ दिनों पहले की ही बात है जब ऋचा का परिवार छत पर बैठा हुआ था और उनकी चचेरी बहन किनारे पर खड़ी थी। तभी दूसरे समुदाय के दो-चार युवक वहाँ से गुजर रहे थे और बातें कर रहे थे कि यही ऋचा का घर है। इसके बाद उन्होंने घर के दरवाज़े पर ही थूक दिया।

उन्होंने क़रीब 4-5 बार घर के दरवाज़े पर थूक फेंका था। जब तक परिवार के लोग वहाँ पहुँचते, वो लोग वहाँ से भाग निकले। परिवार का कहना है कि उन्हें लगातार उकसाया जा रहा है ताकि वो जवाब में कुछ करें तो उसे बात का बतंगड़ बनाया जा सके। परिवार का आरोप है कि उनके साथ स्थानीय पुलिस जरा भी सहयोग नहीं कर रही है। ताज़ा मोबाइल फोन जब्ती वाली घटना के अगले दिन जब ऋचा के पिता थाने में आवदेन देने गए तो उन्हें थाना प्रभारी द्वारा प्रताड़ित किया गया।

थाना प्रभारी ने 3 बार उनसे थाने का चक्कर कटवाया और बाद में आवेदन लेने से भी इनकार कर दिया। आवेदन में पुलिस तरह-तरह की गलतियाँ निकालती रही। बाद में डीएसपी को शिकायत किए जाने के बाद पुलिस ने आवेदन तो लिया लेकिन उसमें काफ़ी कुछ बदलाव कर दिया। बिना शिकायतकर्ता की मर्जी के उस आवेदन के साथ छेड़छाड़ किया गया। ये काँके पिठौरिया थाना क्षेत्र की घटना है। पीड़ित परिवार ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से हतस्क्षेप की माँग की है, जो इस पर चुप हैं।

भयभीत है परिवार: ऋचा भारती ने पुलिस को दिया आवेदन

ऋचा के पिता प्रकाश पटेल ने बताया कि जब वो पुलिस से शिकायत करते हैं तो पुलिस झिड़क के कहती है कि हम क्या करें, आपके कारण सभी को गोली मार दें? बाद में तंग आकर प्रकाश पटेल ने थाना प्रभारी से कह दिया कि वो दूसरों को क्यों गोली मारेंगे, उनके पूरे परिवार को ही गोली मार दें। हालाँकि, अभी ऋचा का फोन लौटा दिया गया है लेकिन पुलिस द्वारा की जा रही प्रताड़ना के कारण परिवार अब भी सदमे में है।

ऋचा के पिता ने कहा कि जमशेदपुर में फल विक्रेताओं के दुकानों से हिन्दू वाला बैनर हटाने की बात हो या बंगाल में हिन्दुओं के मारे जाने की ख़बर, इन सब को सुन कर और उनके परिवार के साथ हो रहे व्यवहार को लेकर ऐसा लगता ही नहीं है कि वो किसी धर्मनिपरपेक्ष राष्ट्र में रह रहे हैं। ऐसा लगता है, जैसे कोई इस्लामिक मुल्क़ में रह रहे हों। परिवार का कहना है कि अगर ऋचा के ख़िलाफ़ एक भी बनावटी सबूत मिल जाता तो उन्हें फिर से जेल में ले जाकर डाल दिया जाता।

ऋचा भारती के परिवार ने की सुरक्षा की माँग: थाना को दिया आवेदन

हमने जब ऋचा के पिता से पूछा कि वो किसी भी आरोपित का नाम पुलिस को क्यों नहीं बता रहे हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि जब वो नाम नहीं दे रहे हैं तो उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है तो अगर उन्होंने नाम दे दिया तो उनके ख़िलाफ़ और भी बड़ी साज़िश रची जाएगी। पिठौरिया के थानाध्यक्ष से भी ऑपइंडिया ने संपर्क किया, जिन्होंने आरोपों को नकार दिया। उन्होंने कहा कि ऋचा के परिवार की पुलिस जितनी मदद कर रही है, वो उतना ज्यादा ‘नौटंकी’ कर रहे हैं।

उन्होंने कहा की ऋचा की माँ की तबियत ख़राब होने पर उन्हें पुलिस की गाड़ी से ही इलाज के लिए भेजा गया। परिवार का कहना है कि डीएसपी के सहयोग के कारण ऐसा संभव हुआ, जो महिला ही हैं। थानाध्यक्ष ने कहा कि पुलिस उनके घर के पास से दिन भर में कई बार लॉकडाउन पेट्रोलिंग के दौरान गुजरती है, इसीलिए उनके द्वारा किए जा रहे ‘डर’ के दावों में कोई दम नहीं है। आवेदन में छेड़छाड़ होने की बात से भी उन्होंने इनकार कर दिया।

ऋचा भारती ने एक वीडियो भी जारी किया है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि समुदाय विशेष के कुछ लोगों के ट्वीट्स के आधार पर बार-बार उनके घर आकर पुलिस उनके मोबाइल फोन्स की छानबीन करती है। ऋचा ने पुलिस से कहा कि वो उन पर कार्रवाई करें, जो इधर-उधर थूक फेंक रहे हैं, जो हमारे जवानों का सम्मान नहीं कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि झारखण्ड में सरकार बदलते ही हिन्दुओं के साथ दुर्व्यवहार शुरू हो गया है।

जब परिवार बार-बार कह रहा है कि उनके घर के आसपास संदिग्ध लोगों का आना-जाना बढ़ गया है और समुदाय विशेष के स्थानीय लोग उन्हें मार भगाने की बात कर रहे हैं, फिर पुलिस कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रही या सरकार उन्हें सुरक्षा क्यों नहीं प्रदान कर रही? उलटा किसी के आरोपों को ‘नौटंकी’ बता कर ख़ारिज कर देना कहाँ तक सही है? वो भी तब जब परिवार ख़ुद कई दूसरी परेशानियों से जूझ रहा है।

जुलाई 2019 में एक मामले में राँची की अदालत ने ऋचा को कुरान बाँटने का आदेश दिया था। ऋचा ने इस शर्त को मानने से इनकार कर दिया था और कहा था कि आज अदालत उन्हें कुरान बाँटने को कह रही है, कल को इस्लाम मज़हब अपनाने को भी कहा जा सकता है। ऋचा ने पूछा था कि क्या कभी किसी अदालत ने किसी आरोपित को रामायण या भगवद्गीता बाँटने को कहा है? बाद में विरोध के बाद राँची की अदालत ने अपना आदेश वापस ले लिया था।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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