Saturday, April 20, 2024
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10वीं की छात्रा ने भगवान गणेश पर बनाए आपत्तिजनक मीम, हिंदुओं के प्रति नफरत से है भरी पड़ी

सवाल उठता है कि आखिर इन बच्चों के मन में ये जहर भर कौन रहा है। कहाँ से इनके दिमाग में इतनी गंदगी आती है? बच्ची की ये हरकत उसकी परवरिश पर भी सवाल उठाता है। क्या उनके परिवार में सभी धर्मों का सम्मान करना नहीं सिखाया जाता?

वह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के एक बेहद पुराने और प्रतिष्ठित कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ती है। 10वीं कक्षा की वह छात्रा है। वह आजकल दोस्तों के बीच हिंदुओं के प्रति अपनी नफरत को लेकर चर्चा में है।

उसने भगवान गणेश और जीसस को लेकर किए आपत्तिजनक पोस्ट की है। इस ओर हमारा ध्यान उसके ही कुछ सहपाठियों ने दिलाया। असल में जब सहपाठियों ने इसके लिए आपत्ति जाहिर की तो समुदाय विशेष से आने वाली इस इस छात्रा ने उनसे कथित तौर पर कहा कि हिंदू धर्म पर क्यों नहीं हॅंस सकते?

छात्रा द्वारा किया गया आपत्तिजनक पोस्ट

हालाँकि अब छात्रा ने अपना पोस्ट डिलीट कर दिया है। मगर उसका स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें देखा जा सकता है कि कक्षा 10 में पढ़ने वाली बच्ची के दिमाग में किस तरह की गंदगी और दूसरे धर्मों के प्रति नफरत भरी हुई है। यह बेहद दुखद और चिंतनीय है।

छात्रा द्वारा किया गया आपत्तिजनक पोस्ट

हमने इस बारे में स्कूल का पक्ष जानने के लिए प्रिंसिपल को कई बार फोन किया। मगर उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। इसके बाद हमने छात्रा की क्लास टीचर को फोन किया। जब हमने इस बारे में उनसे बात की तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की।

उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। छात्रा का व्यवहार पूछने पर वो कहती हैं कि वो उसे अच्छी तरह से नहीं जानती। अभी ऑनलाइन क्लासेस चल रही है, तो वो कभी आती है, कभी नहीं। 

जब उसकी क्लास के बच्चों ने उससे पूछा कि क्या उसी ने इस तरह का पोस्ट डाला है, तो उसने कहा कि हाँ, उसी ने ये पोस्ट डाला है और आगे भी डालती रहेगी। उसने कहा कि तुम लोग भी तो समुदाय विशेष पर बने मीम्स पर हँसते हो तो हिंदू धर्म के मीम पर क्यों नहीं हँस सकते।

मीम पोस्ट करने पत्र छात्रा का अपने दोस्तों को जवाब

फिलहाल छात्रा ने अपना इंस्टाग्राम अकाउंट प्राइवेट कर लिया है। उसकी क्लास की ही एक छात्रा ने ऑप इंडिया को बताया कि वो पहले भी अप्रत्यक्ष रूप से हिन्दुओं के खिलाफ मीम्स और पोस्ट डाला करती थी। वो बताती है कि किसी ने भी उसके धर्म के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा था, इसके बावजूद उसने इस तरह का पोस्ट डाला।

मीम पोस्ट करने पत्र छात्रा का अपने दोस्तों को जवाब

सवाल उठता है कि आखिर इन बच्चों के मन में ये जहर भर कौन रहा है। कहाँ से इनके दिमाग में इतनी गंदगी आती है? बच्ची की ये हरकत उसकी परवरिश पर भी सवाल उठाता है। क्या उनके परिवार में सभी धर्मों का सम्मान करना नहीं सिखाया जाता? क्या उन्हें नहीं बताया जाता कि जिस तरह उसे अपनी मजहब के प्रति आस्था है, बाकी धर्म के लोगों की भी अपनी आस्था होती है।

क्या उनके परिवार के लोगों की इस पोस्ट पर कोई आपत्ति नहीं होगी? इसके साथ ही स्कूल के शिक्षकों का इस बारे में पता न होना भी सवाल के दायरे में आता है। जब ये पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, तो फिर उनकी नजर में कैसे नहीं आया? 

14-15 साल की बच्ची के जेहन में इतनी कट्टरता कहाँ से आई होगी? वैसे ये पहली बार नहीं है, जब बच्चों के ऐसी कट्टरता सोशल मीडिया में दिखी हो। नागरिकता संशोधन कानून के पारित होने के समय भी आपने ऐसे अनगिनत वीडियो और फोटो देखा होगा, जिसमें बच्चे गालियाँ दे रहे हैं, देश के प्रधानमंत्री के ऊपर आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे हैं, आजादी के नारे लगा रहे हैं।

भला एक छोटा सा बच्चा, जिसे न तो आजादी का मतलब पता होगा और न ही सीएए का, वह कैसे इस तरह की बातें कर सकता है। हाल ही में एक वीडियो सामने आया था, जिसमें पाकिस्तान का लगभग 4-5 साल का बच्चा कहता है कि अगर इस्लामाबाद में मंदिर बना तो ये याद रखना मैं उन हिंदुओं को चुन-चुनकर मारूँगा।

हैरानी की बात है कि लोग इसे गर्व के साथ शेयर करते हैं और उसे शाबासी भी देते हैं। हिंदुओं के देवी-देवता पर आए दिन धड़ल्ले से टिप्पणी कर दी जाती है, मगर जब इस्लाम या पैगंबर टिप्पणी की जाती है, तो बात कत्लेआम तक पहुँच जाती है। कमलेश तिवारी की हत्या और हाल ही में बेंगलुरु में हुए दंगे तो याद ही होंगे आपको। तो क्या धर्मनिरपेक्षता, सर्वधर्म सद्भाव का बोझ सिर्फ हिंदुओं के कंधों पर है?

नोट: छात्रा की पहचान उजगार नहीं हो इसकी वजह से हमने स्कूल और शिक्षकों के नाम का भी जिक्र नहीं किया है। इस स्टोरी का मकसद हमारा ध्यान उस बेहद गंभीर समस्या की ओर खींचना है जो एक खास समुदाय के बच्चों को मजहबी तौर पर कट्टर बना रहा। जब आधुनिक स्कूल में पढ़ने वाली एक छात्रा के मन में दूसरे धर्म के लोगों के लिए इतनी नफरत भरी है तो आप समझ सकते हैं कि उनका क्या हाल होगा जो मुल्लों से तालीम ले रही हैं या फिर जो शिक्षा से दूर हैं।

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