प्रयागराज महाकुंभ 2025 संपन्न हुए एक सप्ताह होने को है, लेकिन दुनिया का सबसे बड़ा यह धार्मिक आयोजन आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ाने में सहायक हो रहा है। यह बात एक रिसर्च एजेंसी ने कही है। केयरएज की रिपोर्ट के अनुसार, महाकुंभ वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में खपत की माँग को बढ़ावा देगा। इससे व्यापार, आतिथ्य और परिवहन जैसे कई क्षेत्रों को लाभ होगा।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाली तिमाहियों में आर्थिक गति में तेजी आएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में माँग में सुधार, कम कर, नीतिगत दरों में कटौती, खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट और सार्वजनिक पूँजीगत व्यय में वृद्धि जैसे कारकों से इस आर्थिक तेजी को और समर्थन मिलेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि महाकुंभ उत्सव के कारण चौथी तिमाही में कई क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा।
दरअसल, वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में भारत का की वृद्धि दर पिछली तिमाही के 5.6 प्रतिशत से बढ़कर 6.2 प्रतिशत हो गई है। केयरएज की इस पोर्ट में तिमाहियों के लिए उत्साहजनक संभावना के बारे में बताया गया है। हालाँकि, वैश्विक अनिश्चितताएँ, व्यापारिक तनाव और निवेश में सुस्ती इस गति को बनाए रखने में सबसे बड़े जोखिम बने हुए हैं।
शुक्रवार (28 फरवरी 2025) को जारी सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आँकड़ों से पता चला है कि ग्रामीण केंद्रों में निजी खपत माँग में सुधार हुआ है। यह 5.9 प्रतिशत के मुकाबले तीसरी तिमाही में बढ़कर 6.9 प्रतिशत हो गई। अगर GDP की बात करें तो तीसरी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत रही। दूसरी तिमाही में यह वृद्धि दर 5.6 प्रतिशत थी।
अगर क्षेत्रवार बात की जाए तो कृषि विकास में लगातार सुधार जारी रहा। यह तीसरी तिमाही में सालाना आधार पर 5.6 प्रतिशत की दर से बढ़ा। दूसरी तिमाही में यही वृद्धि दर 4.1 प्रतिशत थी। दरअसल, खरीफ फसलों के उत्पादन में शानदार वृद्धि और रबी फसलों की स्वस्थ एवं शानदार बुवाई में बढ़ोत्तरी से कृषि गतिविधियों को मदद मिली है।
सेवा क्षेत्र अपनी व्यापक गति बनाए रखी। यह क्षेत्र तीसरी तिमाही में सालाना आधार पर 7.4 प्रतिशत की दर से बढ़ा, जो दूसरी तिमाही में 7.2 प्रतिशत था। सेवा क्षेत्र की वृद्धि में सुधार व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण सेवाओं की शानदार वृद्धि के कारण हुआ। सेवा क्षेत्र के इन में यह वृद्धि दूसरी तिमाही में 6.1 प्रतिशत थी, जो बढ़कर तीसरी तिमाही में 6.7 प्रतिशत हो गया।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि महंगाई का कम दबाव होने और कम करों के लाभ मिलने से खपत की माँग में मजबूती आएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) फरवरी में पहले ही नीतिगत रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती कर चुका है। वित्त वर्ष 26 में 25-50 आधार अंकों की और कटौती की उम्मीद है। इससे निजी पूँजीगत व्यय और माँग को सपोर्ट मिलेगा।