महाराष्ट्र के पालघर में साधुओं की लिंचिंग के कुछ हफ्ते बाद ही वहाँ के बालिवली में स्थित एक मंदिर के पुजारियों पर हमले की एक नई घटना सामने आई है। खबर है कि वहाँ 3 अज्ञात लोगों ने मंदिर के पुजारियों पर आक्रमण करके मंदिर में तोड़फोड़ और लूटपाट की, जिन्हें पुलिस ने अब गिरफ्तार कर लिया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये घटना गुरुवार (मई 28, 2020) को देर रात 12:30 बजे घटी, जब हथियार से लैस तीन लोग वसई तालुका में बालिवली के जागृत महादेव मंदिर व आश्रम में घुसे।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हमलावरों ने मंदिर के मुख्य पुजारी संकरानन्द सरस्वती (Sankaranand Saraswati) और उनके सहायक पर हमला बोला। बाद में मंदिर की दानपेटी तोड़कर करीब 6,800 रुपए की चीजें लेकर फरार हो गए।
पुलिस का कहना है कि, हमले के समय दोनों पुजारी हमलावरों की चंगुल से खुद को छुड़ाने में कामयाब रहे। मगर, उनको थोड़ी चोटे आई हैं। पुलिस ने बताया कि हमले के बाद मुख्य पुजारी ने खुद को आश्रम के कमरे में बंद कर लिया था। जबकि उनका सहायक परिसर से ही भाग गया था।
बता दें, इस मामले में तीनों अज्ञातों के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 394 के तहत व अन्य उपयुक्त प्रावधानों के तहत मामला दर्ज हुआ था। जिसके बाद पुलिस ने इस संबंध में अब इन तीनों को गिरफ्तार कर लिया है।
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से एक आरोपित को पुलिस ने कल गिरफ्तार कर लिया था। जबकि बाकी 2 की गिरफ्तारी आज हुई। अभी तक प्राप्त सूचना के मुताबिक, ये तीनों अज्ञात स्थानीय हैं, जो हथियारों से लैस होकर मंदिर में लूट के इरादे से आए थे।
गौरतलब है कि इस घटना से कुछ दिनों पहले पालघर में जूना अखाड़ा के दो साधुओं और उनके एक ड्राइवर की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। उस दौरान 400 से ज्यादा लोगों की भीड़ ने हिंदू संतों पर आक्रमण किया था। मगर, पुलिस ने भीड़ पर फौरन उपयुक्त कार्रवाई करने की जगह ये स्पष्टीकरण दिया था कि भीड़ ने साधुओं को चोर समझकर मारा।
हालाँकि, बाद में एक वीडियो सामने आई, जिससे मालूम चला कि भीड़ ने पुलिस की गिरफ्त से छुड़ाकर ही हिंदू संतों को बेरहमी से मारा और पुलिस केवल मूक बनकर तमाशा देखती रही। घटना के तूल पकड़ने के बाद ये भी खुलासा हुआ था कि साधुओं की हत्या के पीछे कुछ राजनैतिक एंगल भी थे।
इसके अलावा, याद दिला दें अभी कुछ दिन पहले महाराष्ट्र के नांदेड़ में दो अन्य साधुओं का शव भी बरामद हुआ था। इनकी पहचान बालब्रहम्चारी शिवचार्या महाराज गुरू और भगवान शिंदे के रूप में हुई थी।