उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में यति नरसिंहानंद के खिलाफ ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की याचिका का विरोध किया है। राज्य सरकार ने कहा कि यूपी पुलिस ने नरसिंहानंद के खिलाफ़ कार्रवाई की थी और अदालतों ने ही उन्हें ज़मानत दी है। जुबैर ने नरसिंहानंद के कथित ‘अपमानजनक’ बयान पर उसके ‘X’ पोस्ट को लेकर यूपी पुलिस की FIR के खिलाफ़ याचिका दायर की है।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) मनीष गोयल ने कहा कि जुबैर ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पोस्ट के माध्यम से एक नैरेटिव बनाया और जनता को भड़काने का प्रयास किया। उन्होंने जुबैर के ‘एक्स’ पोस्ट के समय पर भी सवाल उठाया और कहा कि कथित फैक्ट चैकर जुबैर ने आग में घी डालने का काम किया है।
Hearing commences
— Live Law (@LiveLawIndia) February 18, 2025
AAG Manish Goyal (for the state): The date of Yati's speech is 29th September, and the date of the tweet is 3rd October…here comes the element of mens rea because he says about his own will to post on social media#AllahabadHighCourt #MohammedZubair…
AAG गोयल ने न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की पीठ के समक्ष कहा, “उनका (जुबैर का) कहना है कि कोई गिरफ्तारी नहीं हुई और यति नरसिंहानंद के खिलाफ कमजोर धाराएँ लगाई गईं, लेकिन ऐसा नहीं है… यह कहना कि पुलिस अपना काम नहीं कर रही है गलत है… पुलिस अपना काम कर रही थी और अदालत ने उन्हें (यति को) जमानत दी है।”
गोयल ने आगे कहा कि भले ही मोहम्मद जुबैर ने ‘ग्लोबल भारत’ की एक खबर पर भरोसा करने का दावा किया हो, लेकिन उसके ट्वीट और लेख में काफी अंतर है। उन्होंने कहा, “भाषण में दूसरी बातें भी हैं। इसमें अवैध अप्रवासियों और अन्य मुद्दों पर भी बात की गई है, लेकिन याचिकाकर्ता (जुबैर) ने 4-5 लाइनें उठाकर वीडियो दिखाया है।” उन्होंने कहा कि नैरेटिव बनाने का इरादा जानबूझकर किया गया है।
गोयल ने कहा, “जुबैर के पोस्ट को 29,000 बार रीपोस्ट किया गया है। जुबैर ने एक पोस्ट को रीपोस्ट किया। ऐसा करके वे आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। वह खुलेआम घूम रहे हैं और यति नरसिंहानंद के बारे में नफ़रत फैला रहे हैं।” उन्होंने कहा कि यह सब कुछ एक थ्रेड में पोस्ट किया गया और किरेन रिजिजू को टैग किया गया। यह कानून को अपने हाथ में लेने, नैरेटिव बनाने और लोगों को भड़काने जैसा है।
उन्होंने पूछा, “कमज़ोर धाराएँ लगाना सिर्फ़ याचिकाकर्ता द्वारा बनाई गई धारणा है, जिसे एक नैरेटिव में तब्दील किया जा रहा है। वह कहता है कि जब उन्होंने (यति नरसिंहानंद) भाषण दिया था, तब वह ज़मानत पर थे। आपने अपनी पोस्ट में इसका ज़िक्र नहीं किया।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जुबैर के पास ऑल्ट न्यूज़ से ज़्यादा एक्स फ़ॉलोअर्स हैं और उनके चैनल से ज़्यादा उनके अकाउंट का प्रभाव है।
AAG ने कहा, “लोग आपको फ़ॉलो करते हैं और उन्हें लगता है कि आप जो कह रहे हैं वो सच है। अगर वो झूठ भी है तो भी वो उसे सच ही मानते हैं। ये अभिव्यक्ति की आज़ादी का विचार नहीं है। इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए आवाज़ उठाने वाले व्यक्ति की स्वायत्तता में कमी का सिद्धांत कहा जाता है क्योंकि उसके पास आपकी आवाज़ जैसी आवाज़ नहीं है।”
बता दें कि गाजियाबाद पुलिस ने अक्टूबर 2024 में मोहम्मद जुबैर के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि यति नरसिंहानंद के एक सहयोगी द्वारा शिकायत दर्ज किए जाने के बाद उन्होंने धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया। जुबैर ने एफआईआर के खिलाफ हाई कोर्ट में चुनौती दी।