आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने कहा है कि तिरुमाला के भगवान श्री वेंकटेश्वर मंदिर में सिर्फ हिंदुओं को ही काम करना चाहिए। जो कर्मचारी दूसरे धर्मों में आस्था रखते हैं, उन्हें सम्मान के साथ दूसरी जगह ट्रांसफर किया जाएगा। ये बातें उन्होंने अपने नाती एन देवांश नायडू के जन्मदिन पर मंदिर दर्शन के दौरान कही।
बता दें कि कुछ महीने पहले ही तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) बोर्ड ने 18 कर्मचारियों को ‘गैर-हिंदू धार्मिक गतिविधियों’ में हिस्सा लेने के कारण ट्रांसफर कर दिया था। नायडू ने कहा, “अगर ईसाई या मुस्लिम भाई-बहन हिंदू जगहों पर काम नहीं करना चाहते, तो उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए उन्हें दूसरी जगह भेजा जाएगा।”
नायडू ने ये भी ऐलान किया कि तिरुपति में 35 एकड़ जमीन पर होटल बनाने का फैसला रद्द कर दिया गया है। ये जमीन पिछले वाईएसआर कॉन्ग्रेस सरकार ने देवलोक, एमआरकेआर और मुमताज बिल्डर्स को दी थी। उनका कहना है कि ये कदम मंदिर की पवित्रता बचाने के लिए उठाया गया, क्योंकि लग्जरी होटलों के खिलाफ लोगों ने सख्त विरोध जताया था। इसके अलावा उन्होंने बताया कि राज्य के कई गाँवों में लोग अपने यहाँ वेंकटेश्वर मंदिर चाहते हैं। इसके लिए एक ट्रस्ट बनाया जाएगा, जो फंड जुटाएगा। नायडू ने कहा, “एनटी रामाराव के समय अन्न दानम शुरू हुआ था, अब प्राण दानम शुरू किया गया है। तीसरे कदम के तौर पर मंदिर बनाएँगे।”
मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने देश भर की राजधानियों में भी भगवान वेंकटेश्वर के मंदिर बनाने का प्लान बताया। इसके लिए सभी मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी जाएगी। 1 फरवरी को ट्रांसफर हुए 18 कर्मचारियों में 6 टीटीडी के स्कूलों के टीचर थे। बाकी में एक डिप्टी एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (वेलफेयर), असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, असिस्टेंट टेक्निकल ऑफिसर (इलेक्ट्रिकल), हॉस्टल वर्कर, दो इलेक्ट्रीशियन और दो नर्स शामिल थे।
टीटीडी के एक अधिकारी ने कहा, “सभी को उनकी सहमति से दूसरी जगह भेजा गया। अब तिरुमाला में गैर-हिंदू कर्मचारी नहीं हैं।” ये फैसला टीटीडी बोर्ड की उस बैठक के बाद लिया गया, जिसमें गैर-हिंदुओं को ट्रांसफर करने और राजनीतिक बयानों पर रोक लगाने की बात हुई थी। नायडू का ये कदम भक्तों की भावनाओं और मंदिर की परंपराओं को ध्यान में रखकर लिया गया है।