उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में भारत-नेपाल सीमा से सटे गाँवों में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के एक कार्यक्रम में करीब 500 सिखों की घर वापसी हुई है। ये लोग पहले सिख धर्म छोड़कर ईसाई बन गए थे। शुक्रवार (23 मई 2025) को बेल्हा और टाटरगंज गाँवों में आयोजित इस समारोह में सिख समुदाय के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए।
रिपोर्ट के मुताबिक, विहिप ने इन गाँवों में दो दिन तक कैंप लगाकर लोगों को सिख धर्म में वापस लाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया। इस दौरान पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया।
विहिप के संगठन मंत्री प्रिंस गौड़ ने बताया कि नेपाल सीमा से सटे गाँवों में जाकर लोगों से मुलाकात की गई और उन्हें सिख धर्म की महत्ता समझाई गई। कई परिवारों ने स्वेच्छा से घर वापसी का फैसला लिया। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी भी अमृतपान जैसे धार्मिक कार्यक्रमों के जरिए 160 परिवारों को सिख धर्म में वापस ला चुकी है। वहीं, कुछ लोगों का सामाजिक बहिष्कार भी किया गया, जो दूसरों को धर्मांतरण के लिए उकसा रहे थे।

बता दें कि पीलीभीत के हजारा थाना क्षेत्र के गाँवों जैसे बेल्हा, टाटरगंज, बमनपुरी और सिंघाड़ा में लंबे समय से धर्मांतरण की शिकायतें सामने आ रही थीं। स्थानीय सिख संगठनों का दावा है कि नेपाल से आए पादरियों और कुछ स्थानीय पास्टरों ने आर्थिक लालच और चंगाई सभाओं के जरिए सिखों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया। ऑल इंडिया सिख पंजाबी वेलफेयर काउंसिल के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में 3,000 से ज्यादा सिखों का धर्म परिवर्तन हुआ। इनमें से 160 परिवारों की सूची प्रशासन को सौंपी गई थी।
मामले की गंभीरता को देखते हुए नवनियुक्त डीएम ज्ञानेंद्र कुमार सिंह ने धर्मांतरण के आरोपों की जाँच के लिए विशेष जाँच टीम (एसआईटी) गठित की है। पुलिस ने एक सिख महिला मंजीत कौर की शिकायत पर आठ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया, जिन पर धर्मांतरण के लिए दबाव डालने और खेतों को नुकसान पहुँचाने का आरोप है। मंजीत ने बताया कि उनके पति को पहले ही ईसाई बनाया गया था और अब उन पर और उनके बच्चों पर भी दबाव बनाया जा रहा था।