केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर निपटने के लिए जो भी करना आवश्यक था या फिर जिन भी चीजों की ज़रूरत थी, उसने पेशेवर तरीके से अपना दायित्व निभाते हुए वो सब किया है। मोदी सरकार ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर से पहले भी तैयारियाँ की गई थीं। मंगलवार (अप्रैल 27, 2021) को सुप्रीम कोर्ट में दायर 106 पन्नों के एफिडेविट में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ये बातें कही।
इसके अनुसार, केंद्र सरकार ने सभी राज्यों की सरकारों के साथ कई बार बैठक की और उनसे बार-बार आग्रह किया कि वो अपने-अपने राज्यों में सार्वजनिक स्थलों पर कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित कराएँ। MHA के एडिशनल सेक्रेटरी द्वारा तैयार किए गए इस एफिडेविट में सर्वोच्च न्यायालय के सामने कई तथ्य रखे गए हैं, क्योंकि कोरोना से जुड़े कई मामलों की सुनवाई वहाँ चल रही है।
केंद्र सरकार का कहना है कि संक्रमण चरम पर पहुँचने के बाद से गलत नैरेटिव चलाया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने इससे निपटने के लिए कुछ नहीं किया और इससे अनभिज्ञ बनी रही। जस्टिस DY चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक नवगठित पीठ ने इस एफिडेविट पर संज्ञान लिया। इसमें मोदी सरकार ने बताया है कि किस तरह कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित 15 राज्यों में ऑक्सीजन सप्लाई के लिए फैसले लिए गए।
सभी राज्यों में सक्रिय कोरोना मामलों को लेकर भविष्य के आँकड़ों का अनुमान लगाया गया था और उसी हिसाब से उन्हें ऑक्सीजन का कोटा मिला। बताया गया है कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश में मात्र 5 दिनों के भीतर माँग 100% बढ़ गई। केंद्र ने बताया है कि 7 कंपनियों को 74-90 लाख रेमेडेसिविर इंजेक्शन के निर्माण के लिए स्वीकृति दी गई थी। ये गंभीर या सामान्य कोरोना स्थिति में दिया जाता है, जो कुल सक्रिय मामलों का 20% ही है।
जहाँ तक Tocilizumab ड्रग की बात है, केंद्र सरकार ने कहा है कि भारत में इससे पहले ये दवा बनती ही नहीं थी। हालाँकि, भारत में इसके कई विकल्प मौजूद हैं जो उतने ही प्रभावशाली हैं। इस एफिडेविट में राज्यों के साथ हुई केंद्र की बैठक की सूची तारीख़ के साथ दी गई है और किस बैठक में क्या निर्देश दिए गए, ये भी है। सभी राज्य सरकारों को ज़रूरत के आधार पर निर्णय लेने को कहा गया था।
महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, केरल और पश्चिम बंगाल की सरकारों को 5-7 जनवरी 2021 के बीच ही पत्र लिख कर कोरोना के बढ़ते मामलों पर कड़ी नजर रखने को कहा गया था। इसी दौरान केंद्र की एक उच्चस्तरीय समिति ने केरल जाकर स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा की। केरल और महाराष्ट्र में फिर से ऐसी टीम भेजी गई। 24-25 फरवरी को सभी राज्यों/UTs में ऐसे टीमें भेजी गईं और उन्हें कोरोना मामलों पर नजर रखने को कहा गया।
सभी राज्यों को सर्विलांस के साथ-साथ प्रभावशाली रणनीति बनाने को भी कहा गया था। साथ ही ऐसे कार्यक्रमों को चिह्नित करने को कहा गया था, जिससे कोरोना के फैलने की आशंका हो। केंद्र ने एक बड़ी बात कही है कि कोरोना की दूसरी लहर से निपटने से जुड़ी तैयारियों को लेकर उसने 9 बैठकें पहले ही की थीं। इन बैठकों में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या PMO की तरफ से कोई प्रतिनिधि शामिल होते थे।
Centre submits an affidavit to the Supreme Court over #COVID19 situation in the country, assuring that PM #NarendraModi and Union Home Minister #AmitShah are directly monitoring the #oxygen supply situation on ‘war footing’. #NewZeeDigital https://t.co/FJ69yRNh8z
— Zee News English (@ZeeNewsEnglish) April 27, 2021
इस एफिडेविट में बताया गया है कि किस तरह ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए युद्धस्तर पर हो रही तैयारियों में खुद पीएम मोदी और HM अमित शाह शामिल थे। साथ ही कहा गया है कि सभी राजनीतिक दल इसमें सहयोग कर रहे हैं। गैस निर्माताओं को ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए लाइसेंस दिए गए। स्टील प्लांट्स में ऑक्सीजन उत्पादन शुरू किया गया। ऑक्सीजन के औद्योगिक प्रयोग को कम किया गया और टैंकरों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई।
केंद्र सरकार ने बताया है कि किसी त्रासदी की स्थिति में बनी राष्ट्रीय योजना में चरण दर चरण विवरण नहीं होते और रोजाना की कार्यवाही को एजेंसियाँ और स्थानीय प्रशासन सुनिश्चित करता है। केंद्र ने कहा है कि हमारे स्वास्थ्य सिस्टम पर अभूतपूर्व संकट आया है, जिससे निपटने के लिए त्वरित और ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। केंद्र ने हाई कोर्ट में चल रहे मामलों को भी SC में स्थानांतरित करने का निवेदन किया, ताकि अलग-अलग आदेशों से तैयारियों पर असर न पड़े।