Friday, April 19, 2024
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बैरंग घर लौटेंगी तृप्ति देसाई, अय्यप्पा स्वामी को चुनौती देने की अकड़ साल भर में दूसरी बार हवा

“हम आज संविधान दिवस पर सबरीमाला मंदिर जाएँगे। हमें मंदिर जाने से न तो राज्य सरकार और न ही पुलिस रोक सकती है। चाहे हमें सुरक्षा मिले या न मिले, हम आज मंदिर जाएँगे।”

सबरीमाला के देवता स्वामी अय्यप्पा को चुनौती देने और उनके मंदिर के नियम भंग कर प्रवेश करने का तृप्ति देशाई का मंसूबा एक साल में दूसरी बार धराशायी हो गया है। उन्होंने इसका ठीकरा केरल पुलिस पर कथित तौर पर फोड़ा है और कहा है कि पुलिस उन्हें सुरक्षा नहीं दे रही है। मीडिया खबरों के अनुसार तृप्ति देसाई कोच्चि हवाई अड्डे से अपने गृह नगर पुणे बैरंग लौट रही हैं। इसके पहले आज (मंगलवार, 26 जुलाई, 2019 को) सुबह वे इस घोषणा के साथ कोच्चि पहुँची थीं कि चाहे सुरक्षा मिले या न मिले, वे मंदिर में घुस कर रहेंगी।

उन्होंने यह घोषणा सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के आलोक में की थी, जिसमें पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने अपने कार्यकाल के अंतिम मुकदमे में करीब दो हफ्ते पहले सुप्रीम कोर्ट के ही पिछले आदेश को पलट दिया था। उनकी अध्यक्षता में पाँच जजों की बेंच ने अपने सितंबर, 2018 के फैसले पर प्रभावी रूप से रोक लगाते हुए मंदिर की प्रथा को तात्कालिक रूप से बहाल कर दिया था और अंतिम निर्णय के लिए मुकदमे को बड़ी बेंच के पास पास भेज दिया था। गौरतलब है कि प्रथा के अनुसार 10 से 50 वर्ष के आयु वर्ग की (रजस्वला उम्र की) महिलाएँ सबरीमाला के मंदिर में प्रवेश नहीं करती हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उनकी उपस्थिति से मंदिर के देवता स्वामी अय्यप्पा की नैष्ठिक ब्रह्मचारी साधना में विघ्न पड़ता है।

वहीं तृप्ति देसाई और अन्य नारीवादियों का गिरोह इसे पीरियड्स से जोड़कर महिलाओं के खिलाफ भेदभाव, अन्धविश्वास आदि बताता रहा है। महाराष्ट्र के शनि शिगनापुर में भी आध्यात्मिक कारणों से महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक का अपमान कर मंदिर में जबरन घुस चुकीं तृप्ति ने नवंबर, 2018 में सबरीमाला में जबरन प्रवेश की घोषणा की थी। लेकिन जब वे कोच्चि पहुँचीं, तो उन्हें लोगों के विरोध के कारण वहीं से उलटे पैर लौटना पड़ा था।

सितंबर, 2018 के मंदिर की प्रथा को अमान्य करार देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मंदिर की परंपराओं को जबरन तोड़ने के लिए केरल की कम्युनिस्ट राज्य सरकार द्वारा बिंदू और कनकदुर्गा नाम की एक अन्य महिला को सबरीमाला मंदिर में घुसा दिया गया था। वे दोनों कथित तौर पर सीपीएम कार्यकर्ता थीं और उनके साथ पुलिसकर्मी भी थे, जो धर्मस्थल के अंदर सादे कपड़ों में थे। सबरीमाला मंदिर में उपस्थित भक्तों ने आरोप लगाया था कि इन दोनों को इस साल 2 जनवरी को सुबह-सुबह वीआईपी प्रवेश द्वार से चोरी-छिपे आँख बचाकर प्रवेश करवाया गया था।

सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला आने के बाद एक बार फिर तृप्ति ने 15 नवंबर को कहा था कि वो 20 नवंबर के बाद सबरीमाला जाएँगी। आज कोच्चि पहुँचने तृप्ति ने कहा था, “हम आज संविधान दिवस पर सबरीमाला मंदिर जाएँगे। हमें मंदिर जाने से न तो राज्य सरकार और न ही पुलिस रोक सकती है। चाहे हमें सुरक्षा मिले या न मिले, हम आज मंदिर जाएँगे।” लेकिन आज भी उनका मंसूबा पिछले नवंबर की तरह अय्यप्पा भक्तों ने पूरा नहीं होने दिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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