उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में रविवार (6 अप्रैल, 2025) को रामनवमी के दिन गाजी सालार मसूद की मजार पर भगवा ध्वज लहराए गए। महाराजा सुहेलदेव से जुड़े संगठन के कार्यकर्ताओं ने ऐसा किया। तीन युवकों ने दीवार के सहारे मजार की छत पर चढ़ कर भगवा झंडे लहराए। इस दौरान नीचे अन्य हिन्दू कार्यकर्ता भगवा ध्वज लेकर खड़े थे। इन झंडों पर ‘ॐ’ लिखा हुआ था। मनेंद्र प्रताप सिंह इन युवकों का नेतृत्व कर रहे थे। उन्होंने ख़ुद को भाजपा का कार्यकर्ता भी बताया है। उन्होंने गाजी सालार मसूद को एक आक्रांता करार दिया।
गाज़ी सालार मसूद की दरगाह पर भगवा झंडे, गूँजा ‘जय श्री राम’
बकौल मनेंद्र प्रताप सिंह, तीर्थराज प्रयागराज में किसी आक्रांता की कब्र नहीं होनी चाहिए। उन्होंने उस दरगाह को त्वरित रूप से ध्वस्त किए जाने की माँग करते हुए कहा कि इस जगह को हिन्दुओं को पूजा-पाठ के लिए सौंप दिया जाना चाहिए। सूचना मिलने के बाद यूपी पुलिस मौके पर पहुँची, लेकिन तबतक ये युवक वहाँ से जा चुके थे। ‘सुहेलदेव सम्मान सुरक्षा मंच’ के कार्यकर्ताओं ने डीएम और एसपी को ज्ञापन भी दिया है। जिस गंगापार इलाक़े में ये घटना हुई, वो प्रयागराज शहर से 40 किलोमीटर की दूरी पर है।
इस घटना पर DCP कुलदीप गुणावत का कहना है कि वीडियो की जाँच कराई जा रही है और इसमें दिख रहे युवकों की तलाश हो रही है। दरगाह की छत पर खड़े होकर युवकों ने ‘जय श्री राम’ के नारे भी लगाए। शाम के करीब 4 बजे बाइक से भगवा ध्वज के साथ इन युवकों ने रैली भी निकाली। रैली में 20 युवक शामिल थे। मनेंद्र प्रताप सिंह ‘करणी सेना’ के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं, साथ ही वो इलाहाबाद सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र नेता भी रहे हैं। संगठन द्वारा प्रशासन को सौंपे गए पत्र में लिखा है कि बहरिया के सिकंदरा में गाजी सालार मसूद की दरगाह बनी हुई है।
गाजी सालार मसूद को आक्रांता और हिन्दुओं का हत्यारा बताते हुए लिखा गया है कि ये मजार अवैध है, ऊपर से वो कभी सिकंदरा आया ही नहीं था। दावा किया गया है कि यहाँ शिवकंद्रा वाले महादेव, सती बड़े पुरुख का मंदिर था। ज्ञापन में झाड़फूँक के जरिए महिलाओं से अभद्रता और हिन्दुओं का धर्मांतरण के अलावा जमीन पर अवैध कब्जा करने कराने का आरोप लगाया गया है। वहाँ शिव-सती का मंदिर और महाराज सुहेलदेव का पार्क बनाने की माँग की गई है।
#प्रयागराज में #रामनवमी के मौके पर महाराजा सुहेलदेव सम्मान सुरक्षा मंच के कार्यकर्ताओं ने सालार मसूद गाजी की दरगाह पर भगवा झंडे फहराए और नारेबाज़ी की।
— ANUPAM MISHRA (@scribe9104) April 6, 2025
"हंगामे की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन हंगामा करने वाले युवक फरार हो चुके थे। ये दरगाह गंगापार इलाके में प्रयागराज शहर… pic.twitter.com/yjzkitPHWy
बता दें कि मई में लगने वाले वार्षिक नेजा मेले पर रोक लगाते हुए पुलिस ने इस दरगाह पर ताला लगा दिया था। हालाँकि, अंदर काम चलने की वजह से ताला जड़ा गया था और पुलिस ने बताया था कि लोगों की आवाजाही पर कोई रोकटोक नहीं है। गुरुवार (जुमेरात) और रविवार के दिन यहाँ बड़ी भीड़ उमड़ती है। अखिलेश यादव ने इस घटना को लेकर भाजपा पर सांप्रदायिक सियासत करने का आरोप लगाया। वहीं कांग्रेस प्रवक्ता हसीब अहमद ने इसे भाजपा द्वारा सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करार दिया।
कौन था आक्रांता गाज़ी सालार मसूद?
याद दिलाते चलें कि सालार मसूद क्रूर आक्रांता था, जिसने बड़े पैमाने पर हिंदुओं का नरसंहार किया और मंदिरों को ध्वस्त किया। इसी कारण उसे ‘गाजी’ (इस्लाम के लिए काफिरों से लड़ने वाला) की उपाधि मिली थी। सालार मसूद गाजी भारत में आक्रमण करने के दौरान जहाँ-जहाँ डेरा डाला था, वहाँ-वहाँ आज मुस्लिमों द्वारा उर्स मनाया जाता है। इनमें मेरठ का नौचंदी मेला, पुरनपुर (अमरोहा) का नेजा मेला, थमला और संभल के मेले प्रमुख हैं।1400 साल पहले सालार मसूद का अब्बा ‘बूढ़े बाबा’ अपनी बीवी और बेटों के साथ अजमेर शरीफ आ गया था।
यहीं पर सालार मसूद गाजी का जन्म हुआ। कहा जाता है कि बच्चे के जन्म के बाद उसकी बीवी वापस अफगानिस्तान चली गई। वहीं, अबू सैयद सालार साहू गाजी बूढ़े बाबा अपने बेटे सैयद सालार मसूद गाजी के साथ बाराबंकी के सतरिख आ गया। यहाँ पर अबू सैयद मर गया और दफना दिया गया। महमूद गजनी के नेतृत्व में सन 1026 ईस्वी में सैयद सालार मसूद गाजी ने सबसे बड़ा हमला सोमनाथ मंदिर पर किया था। बहराइच जिला मुख्यालय के पास सालार मसूद का मुकाबला महाराजा सुहेलदेव से हुआ।
महाराजा सुहेलदेव ने 21 अन्य छोटे-बड़े राजाओं के साथ मिलकर उसका सामना किया और आखिरकार इस गाजी का उपाधि धारण करने वाले इस आक्रांता को मार गिराया। वहीं प्रयागराज में गाजी सालार मसूद की मजार पर भगवा ध्वज लहराए जाने पर ALTNews के संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर जैसों ने ‘दरगाह का अपमान’ बताया। हालाँकि, लोगों ने याद दिलाया कि वो एक आक्रांता की याद में बनाया गया ढाँचा भर है। लोगों ने कहा कि ये कोई मस्जिद नहीं है, इसीलिए इसे मस्जिद के अपमान की श्रेणी में नहीं डाला जा सकता है।
The structure on which people climbed is unislamic mausoleum of a barbaric invader. It isn’t a mosque. So please calm down. pic.twitter.com/Qq7YA3VY5q
— saket साकेत ಸಾಕೇತ್ 🇮🇳 (@saket71) April 7, 2025
नेजा मेले पर योगी सरकार लगा चुकी है रोक
बता दें कि संभल में गाजी सालार मसूद के नेजा मेले पर रोक लगा दी गई थी। संभल में हर साल नेजा मेला आयोजित किया जाता था। यह मेला आक्रान्ता महमूद गजनवी के भांजे सालार मसूद गाजी की याद में मनाया जाता था। इस बार भी मुस्लिम इसे इसी प्रकार आयोजित करना चाहते थे। हालाँकि, प्रशासन ने इससे इनकार कर दिया। मुस्लिम इस बीच दावा करते रहे कि यह मेला लगातार चलता आया है। इसके बाद ASP ने स्पष्ट कर दिया कि सारे ऐतिहासिक तथ्य सालार मसूद की क्रूरता साबित करते हैं।