Tuesday, March 19, 2024
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हजार राउंड गोलीबारी, 16 मौतों की आशंका: राजद नेता के प्रभाव वाले इस इलाके में माफिया के सामने पुलिस भी बेबस, हथियार वालों को ₹60000 तक का वेतन

जब सोन नदी में पानी बढ़ जाता है तो छपरा, भोजपुर, पटना के चारों तरफ से यहाँ नावों का आवागमन शुरू होता है। यहाँ से हर दिन हजारों नावों पर बालू की तस्करी होती है। प्रत्येक नाव पर प्रति क्यूबिक फीट 500 रुपए की दर से रंगदारी शुल्क वसूल किया जाता है। इसी वसूली के लिए माफियाओं में गैंगवार होता है।

बिहार में सत्ता बदलते ही जो काम पर्दे के पीछे हो रहा था, वह अब खुलेआम होने लगा है। माफिया सक्रिय हो गए हैं और हत्याएँ आम हो गईं। बिहार में पिछले जंगलराज की विशेषताएँ थीं, वो सब अब नजर आने लगी हैं। इस आधार पर कहा जा सकता है कि बिहार में ‘जंगलराज-2’ का आगाज हो गया है।

जंगलराज कहने के पीछे इसके उद्देश्य की सार्थकता है। जंगलराज में माफियाओं का राज चलता है और पुलिस को उनसे बचकर रहना पड़ता है। पिछली बार भी यही होता था, इस बार भी यही हो रहा है। भोजपुर, पटना और सारण (छपरा) के गंगा और सोन नदी के दियारा क्षेत्र माफियाओं का अड्डा बन गया है और यहाँ पुलिस भी जाने से घबराने लगी है।

पिछले कुछ दिनों से सोन नदी के बालू घाट पर वर्चस्व को लेकर दो गिरोहों में इतनी गोलियाँ चलीं कि पूरा इलाका थर्रा गया। यहाँ भोजपुर से सटे पटना जिले के मनेर इलाके के अमनाबाद गाँव के बालू घाट से लोगों ने 500 गोलियों के खोखे बटोरे। कहा जा रहा है कि इसमें करीब 1000 राउंड गोलियाँ चली हैं। घटनास्थल पर आधा दर्जन से अधिक जगहों पर खून के धब्बे थे।

इस गोलीकांड में अब तक 16 लोगों के मारे जाने की बात कही जा रही है। हालाँकि, पुलिस सिर्फ एक मौत का दावा कर रही है। वहीं, मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि बिहटा के गोरेयास्थान के शत्रुघ्न राय और दब्यापुर भूधर टोला के लालदेव राय की इसमें मौत हो गई है। ये दोनों सिपाही गुट के बताए जाते हैं।

शत्रुघ्न राय की बेटी का कहना है कि उसके पिता और लालदेव अपनी नाव लेकर बालू लादने गए थे, लेकिन उनकी हत्या कर दी गई और लाश को बालू में दफन कर दिया गया है। बेटी का कहना है कि जब वह पुलिस के पहुँची और हत्या की बता कही तो पुलिस ने भगाते हुए कहा कि भागो कोई हत्या नहीं हुई है। पुलिस पर मृतकों की संख्या छिपाने के आरोप लग रहे हैं।

उधर भोजपुर जिले के कमलेश कुमार के भी मारे जाने की बात कही जा रही है। कमलेश मजदूरी करता है और वह रास्ते से अपने गाँव लौट रहा था। इसी दौरान उसे गोली लगी। गोली लगने के बाद माफिया उसे लेकर जाने लगे, लेकिन उसके परिजन जैसे तैसे लेकर भागे।

लोगों का कहना है कि इस कांड में कम से कम 16 लोग मारे गए हैं और माफियाओं ने उनकी लाशों को बालू में गड्ढा खोदकर दफन कर दिया है। स्थानीय लोगों की माँग है कि घटनास्थल पर डॉग स्क्वॉयड को लाया जाए। इससे दफन मृतकों का राज खुलेगा।

कहा जा रहा है कि यहाँ वर्चस्व को लेकर दो गुटों में पिछले तीन महीनों से छिटपुट गोलीबारी हो रही है। इसमें कार्बाइन से लेकर एके-47 तक अत्याधुनिक हथियार का इस्तेमाल किया गया है। कुछ हथियारों की रेंज इतनी है कि नदी के उस पार से चलाई गई गोली इधर के इलाके को भी पार कर गई।

गैंगवार को देखते हुए लोगों ने पुलिस को लगातार आवेदन दिया जाता रहा, लेकिन पुलिस शिथिल बनी रही। हालाँकि, जब मामला गंभीर हो गया तो एसपी सिटी के नेतृत्व में पुलिस ने कॉम्बिंग ऑपरेशन शुरू किया। उस दौरान पुलिस पर भी बालू माफियाओं ने हमला कर दिया।

पुलिस ने फायरिंग के मामले में अमनाबाद में श्रीराय नाम के एक व्यक्ति के घर छापेमारी करने गई थी तो पुलिस टीम पर गोली चला दी। इसके बाद फायरिंग करते हुए श्री राय, उसके दो बेटों- प्रवीण कुमार और नवीन कुमार, चचेरे भाई गोपाल राय और साथी भाग निकले। हालाँकि, भागते हुए पुलिस ने घर की तीन महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया। श्रीराय के घर से देसी कट्टा, गोलियाँ और कुछ रुपए बरामद किए गए हैं। 

कहा जा रहा है कि दोनों माफिया गुट के लोग 60,000 की सैलेरी पर लोगों की भर्ती कर रहे हैं। बस उसके पास हथियार होना चाहिए। यह हथियार वैध हो या अवैध, चलेगा। अनगिनत गोली माफिया की तरफ से उपलब्ध कराई जाती है। इसके बाद शुरू हो जाता है खूनी खेल।

दियारा क्षेत्र में फौजी और सिपाही गैंग की हुकूमत चलती है। यहाँ और गैंगवार आम बात है, लेकिन गैंग के सदस्य या गोली लगने से किसी बाहरी की मौत होने पर लाश वहीं दफन कर जाती है, ताकि कोई सबूत ना बचे। प्रशासन भी बदनामी से बचने के लिए ऐसी खबरों पर पर्दा डालता है। कहा जाता है कि इन गुटों पर नेताओं का भी हाथ है। यही कारण है कि पुलिस भी इस झमेले में नहीं पड़ती है।

सोन नदी के दियारे इलाके मे बिहटा प्रखंड के अमानबाद मौजे के 1/197 खेसरा में स्थित करीब 323 एकड़ भूमि 1987 में बालू का टापू बन गया है। इस पर वर्षों से अवैध बालू खनन का काम होता है और गोली बारी का प्रमुख कारण भी बनाता है। इसके किनारे का इलाका पटना व भोजपुर जिलों को जोड़ता है। दो जिलों की सीमा होने के कारण बालू माफिया इसका फायदा लंबे समय से उठा रहे हैं। दोनों जिलों की पुलिस यहाँ जाने से भी इनकार करती है।

जब सोन नदी में पानी बढ़ जाता है तो छपरा, भोजपुर, पटना के चारों तरफ से यहाँ नावों का आवागमन शुरू होता है। यहाँ से हर दिन हजारों नावों पर बालू की तस्करी होती है। प्रत्येक नाव पर प्रति क्यूबिक फीट 500 रुपए की दर से रंगदारी शुल्क वसूल किया जाता है। इसी वसूली के लिए माफियाओं में गैंगवार होता है।

इससे पहले फौजी और सिपाही गैंग के बीच गैंगवार में दोनों पक्षों के कई सदस्यों की जान जा चुकी है। तीन साल पहले फौजी की हत्या के बाद वर्चस्व को लेकर एक बार फिर गैंगवार छिड़ गया है। फौजी की हत्या में मनेर के सिपाही राय प्रमुख अभियुक्त था। इस बार के गैंगवार में श्री राय मुख्य अभियुक्त है।

बता दें कि पूरा इलाका दानापुर से सटा हुआ है। यह इलाका बाहुबली रीतलाल यादव का प्रभाव वाला माना जाता है। लालू यादव के बेहद करीबी रीतलाल को इस बार राजद (RJD) ने विधान पार्षद बना दिया है। पिछले महीने खनन विभाग (Mining Department Patna) के इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह ने पटना कोतवाली में रीतलाल के भाई के खिलाफ जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज कराया था।

राजेंद्र सिंह ने अपनी एफआईआर में कहा था कि अवैध बालू और ओवरलोडिंग के लिए उन्होंने एक ट्रक पर फाइन किया था। इसके बाद कुछ लोग खनन विभाग के जिला कार्यालय पहुँचकर उनका नंबर लिया और फोन पर हत्‍या की धमकी दी। उन्होंने बताया कि धमकी देने वाले ने अपना परिचय आरजेडी के बाहुबली विधायक रीतलाल यादव के भाई के रूप में दिया। वे रीतलाल यादव का नाम सुनकर डर गए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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