भाजपा के 3 नेताओं के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के आरोप में FIR की माँग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर बुधवार को खुद अदालत में घिर गए। सीएए के ख़िलाफ प्रदर्शनकारियों को भड़काने का विडियो सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया । कोर्ट ने उनसे विवादित विडियो पर सफाई माँगी और चीफ जस्टिस ने कहा कि याचिकाकर्ता हर्ष मंदर के खिलाफ लगे आरोप बेहद गंभीर हैं। जब तक इन आरोपों पर सफाई नहीं आ जाती, हम उनकी याचिका पर सुनवाई नहीं करेंगे।
जानकारी के मुताबिक, आज दिल्ली हिंसा मामले में कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ एफआईआर की माँग से जुड़ी याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई शुरू होते ही सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाकर्ता हर्ष मंदर के वायरल भाषण की जानकारी कोर्ट को दी। इसमें उन्होंने कहा था कि यह सिर्फ एक संयोग है कि हम भारतीय हैं। हमने सुप्रीम कोर्ट का ट्रैक रिकॉर्ड देखा है। अंततः हमे इंसाफ सड़क पर ही संघर्ष कर मिलेगा। इस पर जस्टिस गवई ने हर्ष मंदर के भाषण की ट्रांसस्क्रिप्ट की माँग की।
इसके बाद तुषार मेहता ने कहा कि अगर कोर्ट चाहे तो वह याचिकाकर्ता हर्ष मंदर की स्पीच को कोर्ट में चला सकते हैं। हर्ष मंदर के वकील ने इससे इनकार करते हुए कहा कि ऐसी स्पीच के लिए उन्हें कोई नोटिस भी नहीं मिला है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि हम यह साफ कर देना चाहते हैं कि हम नोटिस जारी करेंगे और जब तक आपके भाषण को लेकर स्थिति साफ नहीं हो जाती, तब तक हम आपको नहीं सुनेंगे। आपके बजाए हम दूसरे याचिकाकर्ताओं को सुनेंगे। जानकारी के अनुसार, हर्ष मंदर को इस मामले में फटकार लगाते हुए कोर्ट ने अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर की गई अर्जी पर सुनवाई शुरू कर दी।
Delhi violence case: Supreme Court declines to hear Harsh Mander’s petition today. Court says that if this is how he feels about the courts then it will have to be decided first whether he should be given a hearing at all. https://t.co/HJEeSedu3a
— ANI (@ANI) March 4, 2020
गौरतलब है कि वायरल विडियो में प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए मंदर कहते हैं, “ये लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में नहीं जीती जाएगी, क्योंकि हमने सुप्रीम कोर्ट को देखा है- एनआरसी के मामले में, कश्मीर के मामले में, अयोध्या के मामले में। उन्होंने (सुप्रीम कोर्ट) इंसानियत, समानता और सेक्युलरिज्म की रक्षा नहीं की है।” वे आगे कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में हम कोशिश जरूर करेंगे। लेकिन इसका फैसला न संसद में होगा, न सुप्रीम कोर्ट में होगा, बल्कि ये फैसला सड़कों पर होगा।