रोहिंग्या घुसपैठियों के बच्चों को अगर दिल्ली के सरकारी स्कूल एडमिशन नहीं देते हैं, तो वह हाई कोर्ट जा सकते हैं। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। रोहिंग्या घुसपैठियों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में एडमिशन दिलाने की माँग करने वाली याचिका पर यह आदेश दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सोमवार (17 फरवरी, 2025) को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस कोटीश्वर सिंह की बेंच ने की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “इन बच्चों के लिए सही रास्ता यह होगा कि वह उन सरकारी स्कूलों में एडमिशन के लिए आवेदन करें, जिनके लिए वह स्वयं को पात्र समझते हैं।”
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, “एडमिशन के हकदार होने पर और इसे ना दिए जाने की स्थिति में यह बच्चे दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थति में इन बच्चों की मदद वह लीगल संस्थान करेगा, जिसने इनके लिए याचिका डाली है।
क्या था मामला?
सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका सोशल जूरिस्ट अ सिविल राइट्स ग्रुप नाम के संगठन ने डाली थी। इस संगठन ने दावा किया था कि दिल्ली में सरकारी स्कूल आधार कार्ड ना होने के चलते इन रोहिंग्या बच्चों को एडमिशन नहीं दे रहे हैं। उसने एडमिशन दिए जाने के आदेश की माँग की थी।
पहले यह संगठन दिल्ली हाई कोर्ट पहुँचा था। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा था रोहिंग्या कोई शरणार्थी नहीं हैं और ना ही उन्हें सरकार ने यह दर्जा दिया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं से कहा था कि वह गृह मंत्रालय के पास अपनी माँग लेकर जाएँ ताकि इस पर कार्रवाई हो सके।
हाई कोर्ट ने कहा था कि यह मामलादेश की सुरक्षा और नागरिकता के प्रश्न से जुड़ा है। हाई कोर्ट ने इसी के साथ यह याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद यह संगठन सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 29 जनवरी, 2025 को इस मामले की सुनवाई करते हुए इस संगठन से उन बच्चों की जानकारी माँगी थी, जिन्हें एडमिशन से इनकार किया गया है।
संगठन ने 18 ऐसे बच्चों की सूची सुप्रीम कोर्ट सौंपी थी, जिस पर 17 फरवरी को उसने यह फैसला दिया और याचिका का निपटारा कर दिया। रोहिंग्या घुसपैठियों के इए नागरिकों जैसी माँग करने वाली यह अकेली याचिका नहीं है।
रोहिंग्या के समर्थन में बराबर पड़ रही याचिकाएँ
हाल ही में एक NGO ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि कोर्ट केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दे कि दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं को स्कूलों और अस्पतालों तक पहुँच दी जाए। याचिका में इन रोहिंग्या मुस्लिमों के लिए सरकारी अस्पतालों में मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ वाला वाले खाद्यान्न देने की माँग की गई थी।
NGO द्वारा दायर याचिका में केंद्र और दिल्ली सरकारों को निर्देश देने की माँग की गई है कि वे रोहिंग्या बच्चों को आधार कार्ड या भारतीय नागरिकता न होने के बावजूद मुफ्त शिक्षा दें। जनहित याचिका में आगे माँग की गई थी कि इन रोहिंग्या ‘शरणार्थियों’ को सरकार द्वारा पहचान पत्र माँगे बिना कक्षा 10, 12 और स्नातक सहित सभी परीक्षाओं में भाग लेने की अनुमति दी जाए।