Wednesday, February 26, 2025
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पुरानी पेंशन का वादा कर चुनाव जीत लिया, पर CM बनने के बाद भी स्टालिन ने नहीं किया लागू: अब तमिलनाडु में हजारों कर्मचारियों ने एक साथ ले ली छुट्टी, कामकाज ठप

सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ अनोखा विरोध जताते हुए एक साथ छुट्टी ले ली। यह विरोध डीएमके सरकार द्वारा चुनावी वादों को पूरा न करने को लेकर किया गया।

तमिलनाडु में सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों ने मंगलवार (25 फरवरी 2025) को सरकार के खिलाफ अनोखा विरोध जताते हुए एक साथ छुट्टी ले ली। यह विरोध डीएमके सरकार द्वारा चुनावी वादों को पूरा न करने को लेकर किया गया, खासकर पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली की माँग को लेकर।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, संयुक्त कार्रवाई परिषद (JACTO-GEO) के नेतृत्व में हजारों कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने हड़ताल करने पर रोक लगाई थी, इसलिए उन्होंने ‘शांतिपूर्ण विरोध’ का रास्ता अपनाया। सोमवार (24 फरवरी 2025) की रात सरकार के चार मंत्रियों के साथ बातचीत फेल होने के बाद कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से छुट्टी लेने का फैसला किया।

कर्मचारियों की अन्य माँगों में वेतन सुधार, माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों और प्राचार्यों के वेतन में बढ़ोतरी शामिल है। प्रदर्शनकारियों ने डीएमके सरकार को चेतावनी दी कि यदि उनकी माँगें पूरी नहीं हुईं, तो वे आगामी चुनावों में जवाब देंगे।

जेएसीटीओ-जीईओ के एक पदाधिकारी ने कहा, “डीएमके हमारे समर्थन से सत्ता में आई, लेकिन उन्होंने हमें मझधार में छोड़ दिया है। हमारी कोई भी माँग अब तक पूरी नहीं हुई है। हमें उम्मीद है कि आज के विरोध प्रदर्शन के बाद कम से कम वे हमें नोटिस करेंगे। अगर वे हमसे किए गए वादे पूरे नहीं करते हैं, तो हम उन्हें (अगले चुनावों में) सबक सिखाएँगे।”

सरकारी कर्मचारी दशकों से डीएमके के समर्थक रहे हैं, लेकिन पिछले दो वर्षों से वे सरकार से नाराज हैं। डीएमके ने चुनावों में OPS बहाल करने का वादा किया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। कर्मचारियों का कहना है कि डीएमके सरकार ने उन्हें धोखा दिया है।

चुनाव को देखते हुए मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने वरिष्ठ मंत्रियों को बातचीत के लिए भेजा, लेकिन JACTO-GEO ने स्पष्ट कर दिया कि वे OPS के अलावा कोई दूसरा समाधान स्वीकार नहीं करेंगे। डीएमके सरकार अब इस विरोध को शांत करने की कोशिश में जुटी है, क्योंकि बढ़ता आंदोलन सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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