भारत का तिरंगा अब उन इलाकों में भी शान से लहरा रहा है, जहाँ कभी हिंसा और आतंकवाद का साया हुआ करता था। बात चाहे माओवादी-नक्सली हिंसा से जूझ रहे छत्तीसगढ़ की हो या आतंकवाद से जूझ रहे कश्मीर की।
जम्मू-कश्मीर में जहाँ कभी घर-घर से अफजल जैसे आतंकी निकलते थे, अब उन्हीं घरों में तिरंगा लहराया जा रहा है। 26 जनवरी के मौके पर कश्मीर के शोपियाँ जिले से नई तस्वीरें सामने आई। यहाँ आतंकियों के परिवार वाले भी गणतंत्र दिवस पर तिरंगे के साथ खड़े नजर आए। यह तस्वीर इस बात का सबूत है कि अब घाटी बदल रही है।
न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक, दशकों तक आतंकवाद की चपेट में रहे इस इलाके में भारत के संविधान और तिरंगे के प्रति प्यार ने एक नई कहानी लिखी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अब शांति और विकास का माहौल है। यह बदलाव अनुच्छेद 370 हटने के बाद तेजी से नजर आया है। शोपियाँ में आतंकियों के परिवार वाले न केवल तिरंगा फहरा रहे हैं, बल्कि ‘जय हिंद’ के नारे भी लगा रहे हैं।

वहीं, छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में भी एक नई शुरुआत देखने को मिली। नक्सल प्रभावित इलाकों में पहली बार तिरंगा फहराया गया। CRPF की 74वीं बटालियन के जवानों और गाँववालों ने मिलकर तिरंगा फहराया। कभी नक्सलियों के गढ़ रहे सुकमा के तुमलपाड़ गाँव में अब विकास और शांति की बयार बह रही है। इस कार्यक्रम में CRPF कमांडेंट हिमांशु पांडे भी शामिल हुए।
#WATCH | Sukma, Chhattisgarh | For the first time, the National flag was unfurled in Tumalpaad, previously affected by naxalism, by the jawans of CRPF 74th Battalion and Villagers. Commandant Himanshu Pandey was also present.
— ANI (@ANI) January 26, 2025
(Video source: CRPF 74Bn) pic.twitter.com/rPZZYWTMhj
दोनों घटनाएँ इस बात का प्रतीक हैं कि आतंकवाद और नक्सलवाद से जूझ रहे भारत के ये इलाके अब अमन-चैन की ओर बढ़ रहे हैं। घाटी और नक्सल प्रभावित इलाकों में तिरंगे का लहराना सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि बदलते भारत की तस्वीर है।
बता दें कि साल 2023 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कश्मीरी आतंकियों के परिवारों से जुड़े लोगों ने अपने घरों पर तिरंगा लहराया था, जिसके वीडियो भी वायरल हुए थे। उस समय हिज्बुल मुजाहिद्दीन के सक्रिय रहे आतंकी जावेद मट्टू के भाई रईस तिरंगा लहराते दिखे थे।