आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर का प्रबंधन करने वाला तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने मंदिर के 18 गैर-हिंदू कर्मचारियों के खिलाफ ऐक्शन लिया है। TTD के अध्यक्ष बीआर नायडू ने इन कर्मचारियों को हटाने का आदेश दिया है। ये सभी गैर-हिंदू धार्मिक गतिविधियों में शामिल हैं। इस पर AIMIM के मुखिया और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि इससे गलत संदेश जाएगा।
ट्रस्ट ने 18 कर्मचारियों के सामने दो शर्तें रखी हैं- या तो वे किसी दूसरे सरकारी विभाग में स्थानांतरण करवा लें या फिर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) ले लें। नायडू का कहना है कि ऐसा कदम मंदिर की पवित्रता को बनाए रखने के लिए उठाया जा रहा है। अब इन लोगों के मंदिर एवं उससे संबंधित विभाग में भाग लेने पर रोक रहेगी।
TTD द्वारा 1 फरवरी 2025 को जारी कार्यकारी आदेश के अनुसार, इन 18 कर्मचारियों में से 6 टीटीडी द्वारा संचालित विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षक हैं। इसके अलावा एक उप-कार्यकारी अधिकारी (कल्याण), एक सहायक कार्यकारी अधिकारी, एक सहायक तकनीकी अधिकारी (विद्युत), एक छात्रावास कार्यकर्ता, दो इलेक्ट्रीशियन और दो नर्स शामिल हैं।
जिन लोगों को हटाया गया है, उनके नाम हैं- तिरुपति के एसवी आयुर्वेदिक कॉलेज में प्रोफेसर डॉक्टर केवी विजय भास्कर रेड्डी और प्रिंसिपल डॉक्टर रेणु दीक्षित, तिरुपति के एसपीडब्ल्यू डिग्री एवं पीजी कॉलेज में लेक्चरर के सुजाता और प्रिंसिपल जी असुंथा, एसजीएस आर्ट्स कॉलेज में लेक्चरर के प्रताप, एसवी आर्ट्स कॉलेज में लेक्चरर के मानेकशॉ दयान एवं अनुबंध कर्मचारी एनसी भीमन्ना शामिल हैं।
इसके अलावा, TTD के कल्याण विभाग के डिप्टी एग्जीक्यूटिव अधिकारी ए आनंद राजू और TTD के ही नीलामी विभाग के सहायक कार्यकारी अधिकारी ए राजशेखर बाबू को तबादला के लिए कहा गया है। स्थानांतरित किए गए अन्य लोगों में श्री वेंकटेश्वर कर्मचारी प्रशिक्षण अकादमी (एवीईटीए) के निदेशक कार्यालय की वीबी कोमला देवी शामिल हैं।
इसके अलावा, टीटीडी के बिजली विभाग में इलेक्ट्रीशियन एम शेखर, बीआईआरआरडी अस्पताल की हेड नर्स टी कल्याणी और स्टाफ नर्स ए सौभाग्यम और एस रोजी, एसवी पुअर होम में मेडिको नर्सिंग अधिकारी टी नारायण स्वामी, सहायक तकनीकी अधिकारी (इलेक्ट्रिकल) जी असरवदम और सेंट्रल हॉस्पिटल, तिरुपति में रेडियोग्राफर जी गोपी शामिल हैं।
आंध्र प्रदेश के धर्मस्व मंत्री अनम रामनारायण रेड्डी ने बताया कि जो कर्मचारी ‘गैर-हिंदू धार्मिक गतिविधियों में शामिल’ का मतलब है कि ऐसे कर्मचारी या तो ईसाई हैं या फिर मुस्लिम और वे हिंदू मान्यताओं का अनुसरण नहीं करते। दरअसल, नवंबर 2024 में TTD की बैठक में गैर-हिंदुओं को मंदिर एवं उससे संबंधित विभाग से स्थानांतरित करने का प्रस्ताव पास किया गया था।
सांसद ओवैसी का सवाल
TTD के निर्णय को लेकर सांसद असुद्दीन ओवैसी ने सवाल आपत्ति जाहिर की है। उन्होंने सोशल मीडिया साइट X (पूर्व में ट्विटर) पर अपने पोस्ट में लिखा, “बताया जा रहा है कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ने 18 ऐसे कर्मचारियों की पहचान की है जो हिंदू परंपराओं का पालन नहीं करते या गैर-हिंदू हैं। टीटीडी का तर्क है कि चूँकि यह एक हिंदू संस्था है, इसलिए गैर-हिंदुओं को इसमें काम नहीं करना चाहिए।”
Take a look at the AP Hindu Endowments Act: a Trustee cannot be a non-Hindu; no Commissioner or Assistant Commissioner etc can be a non-Hindu; even the inspector under Section 12 cannot be a non-Hindu. The Act under section 96 says the same thing about TTD
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) February 5, 2025
Now what is the Waqf…
उन्होंने आगे कहा, “हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन चंद्रबाबु नायडू को यह बताना चाहिए कि उनकी पार्टी ने संयुक्त कार्यसमिति में भाजपा के वक्फ विधेयक का समर्थन क्यों किया। विधेयक में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में कम-से-कम दो गैर-मुस्लिमों का होना अनिवार्य किया गया है। विधेयक में यह अनिवार्यता भी हटा दी गई है कि परिषद और बोर्ड में मुस्लिमों का बहुमत होना चाहिए।”
वक्फ संशोधन विधेयक को बीच में लाते हुए ओवैसी ने आगे कहा, “आंध्र प्रदेश हिंदू बंदोबस्ती अधिनियम पर एक नज़र डालें: ट्रस्टी गैर-हिंदू नहीं हो सकता, कोई आयुक्त या सहायक आयुक्त आदि गैर-हिंदू नहीं हो सकता, धारा 12 के तहत निरीक्षक भी गैर-हिंदू नहीं हो सकता। धारा 96 के तहत अधिनियम टीटीडी के बारे में भी यही बात कहता है। अब वक्फ बिल क्या कह रहा है? इसमें गैर-मुस्लिम होने चाहिए।”
The relevant sections of the AP Hindu Endowments Act are section 3(2) [Commissioner or below cannot be a non-Hindu], section 12 [Inspector must be a Hindu], section 19(1)(j) [Trustee can be removed if they aren’t Hindu]. Sections 28 [a trustee can be removed if they are not…
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) February 5, 2025
AIMIM सांसद ने कहा, “मुस्लिम सीडब्ल्यूसी और मुस्लिम वक्फ बोर्ड के कम से कम दो सदस्य गैर-मुस्लिम होने चाहिए। सीडब्ल्यूसी या वक्फ बोर्ड का बहुमत गैर-मुस्लिम हो सकता है। सीडब्ल्यूसी या वक्फ बोर्ड का बहुमत गैर-मुस्लिम हो सकता है। पहले ये सदस्य चुने जाते थे, अब उन्हें सरकार द्वारा नामित किया जाएगा, और सरकार गैर-मुस्लिम बहुमत वाले सीडब्ल्यूसी/बोर्ड को रखने में बहुत सक्षम है।”
ओवैसी ने कहा कि अगर हिंदू बंदोबस्त पर केवल हिंदुओं का ही शासन होना चाहिए और वहाँ केवल हिंदुओं को ही कर्मचारी होना चाहिए तो मुस्लिम वक्फ के खिलाफ यह भेदभाव क्यों किया जा रहा है? उन्होंने कहा, “अब टीटीडी गैर-हिंदू कर्मचारियों को भी नहीं चाहता है, लेकिन वक्फ में न केवल अनिवार्य रूप से गैर-मुस्लिम होने चाहिए, बल्कि वे सदस्यों में बहुमत भी हो सकते हैं!”