उत्तर प्रदेश के गोंडा में एक जज ने अपने अर्दली को बिस्किट और चाय और परोसने में ही गड़बड़ी पर कड़ी फटकार लगाई है। उसे आधिकारिक तौर पर नोटिस भी जारी किया गया है। इस अर्दली से इस ‘घोर त्रुटि’ के लिए जवाब भी माँगा गया है। इस नोटिस का फोटो सोशल मीडिया में वायरल है।
सोशल मीडिया पर यह नोटिस गोंडा के अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश के नाम से वायरल है। यह पत्र राकेश कुमार नाम के एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को जारी किया गया है जो जज का अर्दली (एक तरह का चपरासी) है। वायरल नोटिस में 30 मई, 2025 की तारीख लिखी हुई है।
इस वायरल नोटिस में जज इस बात के लिए अर्दली से जवाब माँग रहे है कि वह जज के कहने के बावजूद चाय के साथ बिस्किट क्यों नहीं लाया। इसके अलावा इस बात पर भी सफाई पेश करने की बात कही गई है कि जज के सामने गन्दी और खराब दालमोठ क्यों पेश की गई।
इस वायरल नोटिस में लिखा है, “यह कि आज दिनांक 30/05/2025 को लन्च समय में मेरे विश्राम कक्ष में सिविल जज / FTC नवीन गोण्डा सुश्री शर्मिष्ठा साहू मिलने आयी थी जिस पर मेरे द्वारा आपको चाय/बिस्कुट लाने हेतु कहा गया, जबकि आपके द्वारा केवल दो चाय लायी गयी।”

आगे इस नोटिस में लिखा है, “मेरे द्वारा पुनः बिस्कुट लाने के लिए कहा गया, किन्तु आपके द्वारा बिस्कुट न लाकर पुरानी खराब स्थिति में जिसमें से गन्दी गंध आ रही थी, दालमोठ रखी गई, जबकि आलमारी में दो डिब्बे में अच्छी स्थिति में बिस्कुट रखे हुए थे, बावजूद आपके द्वारा जानबूझकर खराब पुरानी दालमोट रखी गयी, जो कि फेंकने की स्थिति में थी।”
इस नोटिस में राकेश कुमार से स्पष्टीकरण 31 मई, 2025 तक माँगा गया था। इस पूरी घटना को नोटिस में ‘जानबूझकर’ की गई ‘घोर त्रुटि’ बताया गया था। इस नोटिस के बाद कर्मचारी पर क्या एक्शन हुआ, यह स्पष्ट नहीं है। हालाँकि, इस नोटिस के सामने आने के बाद लोग सरकारी तौर तरीके की आलोचना कर रहे हैं।
यह ऐसा कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले 2023 में इलाहाबाद हाई कोर्ट से भी एक ऐसा ही मामला मामला आ चुका है। एक ट्रेन के लेट होने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक जज ने नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण माँग लिया था। उन्हें यह समस्या थी कि पैंट्री और पुलिस वाले ने उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं दिया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम चौधरी को ट्रेन यात्रा के दौरान असुविधा हुई थी। यह यात्रा 8 जुलाई 2023 (शनिवार) को नई दिल्ली से प्रयागराज के बीच पुरुषोत्तम एक्सप्रेस में की गई थी। हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार के लिखे लेटर के अनुसार इस दिन ट्रेन 3 घंटे लेट थी।
लेटर में बताया गया कि न्यायाधीश द्वारा बार-बार बुलाए जाने के बावजूद TTE सहित किसी भी रेलकर्मी द्वारा कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया था। इस नोटिस में GRP स्टाफ और पैंट्री कार मैनेजर से स्पष्टीकरण माँगा गया था। बाद के इस घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने भी नाराजगी जाहिर की थी।