कानपुर हिंसा में इस्लामी कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की संलिप्तता के सबूत मिले हैं। इस हिंसा के मुख्य आरोपित हयात जफर हाशमी के घर से पुलिस ने ये दस्तावेज बरामद किए हैं। इसके साथ ही पुलिस ने 5 अन्य आरोपितों को भी गिरफ्तार किया है। इस तरफ इस मामले गिरफ्तार आरोपियों की संख्या 29 हो गई है।
पुलिस कमिश्नर विजय मीणा का कहना है कि PFI से जुड़े कुछ दस्तावेज मिले हैं, जिनकी जाँच की जा रही है। ये कागजात आरोपित हयात जफर हाशमी के घरों से बरामद किए गए हैं। पुलिस की अब तक की जाँच में इस घटना का मास्टरमाइंड हयात ही है। हयात ने 3 जून को PFI को कॉल भी किया था।
जाँच में ये बात सामने आई है कि हयात जफर की एक कॉल पर हजारों लोग इकट्ठा हुए और उसके बाद विभिन्न क्षेत्रों में हिंसा भड़क गई। पुलिस के मुताबिक, बवाल के बाद मुख्य आरोपी कानपुर छोड़कर भाग गए थे। एक आरोपित जावेद एशियन वायर पोस्ट यूट्यूब चैनल चलाता है। इसने लखनऊ के हजरतगंज स्थित इसके ऑफिस में अपने साथियों के साथ छिपा हुआ था।
आरोपित जावेद के पास से 6 मोबाइल फोन और कुछ अहम दस्तावेज मिले हैं। इसके साथ ही पुलिस आरोपितों के बैंक खातों की जाँच कर रही है, ताकि PFI के साथ किसी भी प्रकार के लेनदेन का पता लगाया जा सके।
कमिश्नर मीणा का कहना है कि इस घटना में शामिल हर किसी को गिरफ्तार किया जाएगा, भले ही वो कहीं और भाग जाए। उन्होंने कहा कि आरोपितों की संपत्ति जब्त की जाएगी और उन पर बुलडोजर चलाया जाएगा। बता दें कि इस मामले में पुलिस गुंडा ऐक्ट और रासुका के तहत कार्रवाई कर रही है।
क्या है PFI
21 मई 2022 को केरल के अलाप्पुझा में PFI ने एक रैली का आयोजन किया था, जिसमें एक छोटे बच्चे को हिंदुओं के खिलाफ जहर उगलते हुए सुना गया था। उसका वीडियो इंटरनेट पर खूब वायरल हुआ था। वीडियो में लड़के को एक आदमी ने अपने कंधों पर उठाया हुआ है।
इस दौरान वह लड़का कहता है, “चावल तैयार रखो। यम (मृत्यु के देवता) आपके घर आएँगे। यदि आप सम्मानपूर्वक रहते हैं, तो आप हमारे स्थान पर रह सकते हैं। अगर नहीं, तो हम नहीं जानते कि क्या होगा।”
पीएफआई का हिंसा करने का काफी पुराना इतिहास है। नागरिकता संशोधन अधिनियम के मद्देनजर हिंदू विरोधी दिल्ली दंगों और देश भर में हिंसा की जाँच के दौरान, पीएफआई की भूमिका संदिग्ध रही है और पीएफआई के कई सदस्यों को दंगों में शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया गया था।
इसके अलावा, साल 2020 में कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने देश के विभिन्न हिस्सों में दंगों और हिंसा के लिए उकसाने के आरोपित किसानों के विरोध को अपना समर्थन दिया और प्रदर्शनकारियों को संविधान के संरक्षण के लिए संघर्ष करने के लिए कहा था।
पीएफआई और SIMI जैसे कट्टरपंथी इस्लामी संगठन विभिन्न राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की फंडिंग के लिए कुख्यात हैं। दिसंबर 2019 में CAA के विरोध प्रदर्शनों के दौरान गृह मंत्रालय के साथ शेयर की गई एक खुफिया रिपोर्ट ने कुछ ‘राजनीतिक दलों’ की तरफ इशारा किया था और SIMI जैसे कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था।
इस तरह के आपत्तिजनक नारे को केरल में रहने वाले हिंदुओं और ईसाइयों को सीधे तौर पर धमकी के रूप में देखा गया। चरमपंथी संगठन PFI ने चेतावनी हिंदू-ईसाइयों को धमकाते हुए कहा था कि अगर वे रास्ते पर नहीं आते हैं तो उन्हें मौत की सजा दी जाएगी।
इसके अलावा, PFI के कई सदस्यों पर धनशोधन निरोधक अधिनियम (मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत मामला दर्ज कर उनके ठिकानों पर छापेमारी हो चुकी है। आयकर विभाग ने 15 जून 2021 को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का 80जी पंजीकरण रद्द कर दिया था। आयकर विभाग ने कहा कि इस्लामी संगठन समुदायों के बीच ‘सद्भावना’ और ‘भाईचारे’ को खत्म कर रहा है।
हयात जफर का कट्टरपंथी इतिहास
राशन कोटे का दुकान चलाने वाला हयात जफर हाशमी सांप्रदायिक नफरत फैलाने का उस्ताद माना जाता है। यह पहले भी कई मौकों पर शहर में नफरत के बीज बो चुका है। इतना ही नहीं, इस्लाम के नाम पर हिंदू-मुस्लिम के बीच खाई को बढ़ाते हुए जफर हाशमी शहर में कई बार उपद्रव करा चुका है।
इतना ही नहीं, अपने मंसूबों के लिए इसने अपनी माँ और बहन तक इस्तेमाल कर लिया। हाशमी ने मकान खाली कराने को लेकर अपनी माँ और बहन को उकसाया और उन्हें जिलाधिकारी कार्यालय भेजा था। यहाँ पर दोनों ने इसके कहने पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा ली थी। बाद में उपचार के दौरान दोनों की मौत हो गई थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, हयात जफर हाशमी सोशल मीडिया पर खूब सक्रिय रहता है और लोगों को उकसाते रहता है। NRC और CAA के विरोध के नाम पर हुए बवाल के दौरान भी इसने सक्रिय भूमिका निभाई थी। इसी तरह यह विरोध प्रदर्शनों का अगुआ रह चुका है।
पिछले साल 21 अक्टूबर को हयात जफर हाशमी ने मूलगंज से मेस्टन रोड, शिवाला बाजार, रामनारायण बाजार होते हुए फूलबाग तक जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला था। इस जुलूस को लेकर उसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ था। हालाँकि, यह सोशल मीडिया पर समाजसेवी होने का खूब दिखावा करता है।
यति नरसिंहानंद के बयान और जितेंद्र त्यागी बने वसीम रिजवी द्वारा कुरान की आयतों को लेकर कोर्ट में दी गई याचिका को लेकर भी जफर हाशमी ने खूब बवाल काटा था और जमकर लोगों से विरोध प्रदर्शन करवाए थे। हाशमी के जहरीले बोल वाले कॉन्ग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवार इमरान प्रतापगढ़ी के साथ भी ताल्लुक हैं।
हयात ने कैसे रची साजि
दरअसल, 26 मई को एक न्यूज चैनल पर ज्ञानवापी मामले को लेकर डिबेट के दौरान मुस्लिम नेताओं के आपत्तिजनक बयान पर भाजपा नेता नुपुर शर्मा ने विरोध जताया था। उन्होंने कहा था कि अगर मुस्लिमों के पैगंबर मोहम्मद को लेकर वह भी कुछ कहेंगी तो बुरा लगेगा। नूपुर शर्मा के बयान पर कई मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति जताई।
इसके बाद 27 मई को मौलाना मोहम्मद अली जौहर फैंस एसोसिएशन के अध्यक्ष हयात जफर हाशमी ने इसके विरोध में कानपुर बाजार बंद करने का ऐलान किया। नूपुर के बयान पर कानपुर में पोस्टर लगाए गए। वहीं, 28 मई को हयात ने जेल भरो आंदोलन का आह्वान किया।
मुस्लिम इलाकों के हजारों लोगों ने हयात को समर्थन देते हुए एक बैठक की। इसके बाद प्रशासन से बातचीत के बाद हयात ने 5 जून तक बंदी और जेल भरो आंदोलन टाल दिया, लेकिन बाजार में लगे 3 जून के बंदी के पोस्टर नहीं हटाए गए। 2 जून को बेकनगंज इलाके में फिर दुकानों को बंद करने की अपील की गई।
शुक्रवार को मस्जिदों की तकरीरों में मौलानाओं ने कहा कि वे पैगंबर मुहम्मद पर की गई किसी भी टिप्पणी को बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसके बाद नमाज पढ़कर निकले लोगों ने जबरन दुकानें बंद करानी शुरू कर दीं। दूसरे पक्ष ने दुकानें बंद करने से मना किया तो उन पर पत्थरबाजी की जाने लगी। इस तरह यह मामले कानपुर के कई इलाकों में एक साथ हुआ।
जाहिर सी बात है कि बिना साजिश के कई इलाकों में इस तरह की घटना एक साथ नहीं हो सकती। एक तरफ हयात जफर ने प्रशासन से बंदी को टालने की बात कहकर खुद को पुलिस का सहयोगी साबित किया और दूसरी तरफ अपने कैडरों के माध्यम से घटना को अंजाम दिलवाया।