Saturday, April 20, 2024
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जिम कार्बेट में जिस ‘मजार जिहाद’ का ऑपइंडिया ने किया था पर्दाफाश, उस पर मेनस्ट्रीम मीडिया भी जागा: बोले CM धामी- खुद हटा लें, वरना सरकार सख्ती से हटाएगी

पहले की कार्रवाई में जब इन मजारों को ध्वस्त किया गया तो इनमें से किसी तरह का मानव अवशेष नहीं मिला था। इससे इस आशंका को पुष्टि मिलती है कि अवैध मजारों के जरिए सरकारी जमीनों पर कब्जा किया जाता है और फिर उसे वक्फ की संपत्ति बताकर सिर्फ मुस्लिमों की संपत्ति घोषित कर दी जाती है।

कुछ दिन पहले ऑपइंडिया ने रणनीतिक रूप से महत्वपर्ण जगहों पर अवैध मजार या दरगाह एवं मस्जिद-मदरसे बनाने को लेकर रिपोर्ट की एक पूरी श्रृंखला की थी। इसमें नेपाल सीमा से सटे जिलों में मजार और अवैध मस्जिद-मदरसे शामिल थे। बाद में यूपी की सरकार ने उनका संज्ञान लिया और उनका सत्यापन भी किया।

इसी तरह ऑपइंडिया ने उत्तराखंड के विभिन्न इलाकों में मजार बनाकर सरकारी जगहों पर अवैध कब्जे को लेकर रिपोर्ट की सीरीज की थी। जिन स्थानों पर अवैध मजार बनाकर कब्जा की गई हैं, उनमें प्रसिद्ध जिम कार्बेट नेशनल पार्क भी शामिल है। इन रिपोर्ट्स का पहले की तरह उत्तरांखड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने फिर संज्ञान लिया है। बता दें कि उत्तराखंड में सिर्फ कालू सैय्यद के नाम पर 10 अवैध मजारें हैं, जबकि सैय्यद बाबा के नाम से आधा दर्जन मजारें हैं।

धामी सरकार ने कहा कि प्रदेश में जहाँ कहीं भी सरकारी जमीन को कब्जा करके अवैध रूप से मजार या अन्य ढाँचे बनाए गए हैं, उनके खिलाफ सरकार ऐक्शन लेगी। उन्होंने कहा कि बेहतर हो कि जिन लोगों ने कब्जा किया है, वे स्वयं उस कब्जे को हटा लें। अगर सरकार हटाएगी तो कठोर कार्रवाई करेगी।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि लैंड जिहाद हो या मजार जिहाद, देवभूमि उत्तराखंड में कानून और धर्म के विरुद्ध कोई काम नहीं होगा। उन्होंने कहा, “हमने ऐसे 1000 जगहों का सर्वे कराया है, जहाँ अतिक्रमण किया गया है। अगर 6 महीने में इसे नहीं हटाया गया तो सरकार कार्रवाई करेगी।’

उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार द्वारा ऑपइंडिया की अवैध मजार वाली रिपोर्ट का संज्ञान लेेकर कार्रवाई करने की चेतावनी देने के साथ ही देश की मेनस्ट्रीम मीडिया ने भी इस मामले को उठाया है। आजतक न्यूज चैनल ने बकायदा इस पर एक स्टोरी की है।

ऑपइंडिया राज्य में हो रहे डेमोग्राफिक बदलाव, लैंड जिहाद, अवैध मजार और मदरसों को लेकर साल 2021 से समय-समय पर रिपोर्ट करता रहा है। सीएम धामी ने 22 मई 2022 को एक बयान में पहाड़ों पर बनती अवैध मजारों पर चिंता जताई थी। इस बार सरकार ने चेतावनी दी है।

मई 2022 की अपनी रिपोर्ट में ऑपइंडिया ने बताया था कि राज्य में कुकुरमुत्तों की तरह बढ़ने और उनके द्वारा अतिक्रमण करने के कारण राज्य को सुरक्षा खतरा पैदा हो गया है। कई जगहों पर डेमोग्राफिक बदलाव भी हो गए हैं। जिन जगहों पर डेमोग्राफिक बदलाव हुआ है, वहाँ अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए और रोहिंग्याओं के भी होनेे की आशंका है। परिणाम यह हुआ कि कई इलाकों में मुस्लिमों की जनसंख्या 1.5 प्रतिशत से बढ़कर 15 प्रतिशत तक हो गई है।

अवैध मजारों और नशे के खिलाफ काम कर रहे वयोवृद्ध संत स्वामी दर्शन भारती ने ऑपइंडिया को बताया था, “1985 तक यहाँ एक भी मस्जिद नहीं थी। हमारे यहाँ मुस्लिमों को मनिहारी कहा जाता है, जो औरतों के साज-श्रृंगार के सामान बेचने का काम करते हैं। अल्मोड़ा में एक स्थानीय स्वर्णकार ने पहली मस्जिद दया भाव से मनिहारियों को बनाने दी थी। उन्हें ये नहीं पता था कि इसके बाद यहाँ मस्जिदों की बाढ़ आ जाएगी। दया दिखाने वाले उस स्वर्णकार के परिजन आज भी देहरादून में रहते हैं, जिनका यहाँ नाम बताना उचित नहीं है।”

स्वामी दर्शन भारती ने ऑपइंडिया को बताया था कि उत्तराखंड में मुस्लिमों को सबसे अधिक बढ़ावा कॉन्ग्रेस की एनडी तिवारी के नेतृत्व में बनी सरकार में मिला था। उन्होंने कहा था, “एनडी तिवारी की सरकार में महापाप हुआ है। उनकी ही सरकार में नैनीताल के नैना देवी के मंदिर के ऊपर उत्तराखंड की सबसे बड़ी मस्जिद बना दी गई। मस्जिद पूरी तरह से अतिक्रमण करके सड़क पर बनाई गई है। मस्जिद के आगे मंदिर भी छोटा लगने लगा है।”

स्वामी दर्शन भारती के मुताबिक, आज पूरे उत्तराखंड में लगभग 2000 अवैध मजारें हैं। ये मजारें तमाम सरकारी जमीनों को कब्जाए हुए हैं। मज़ारों को सिंचाई विभाग, वन विभाग, PWD आदि जमीनों पर बनाया गया है। देहरादून नगर निगम और जिला पंचायत की 60 से 70 प्रतिशत सरकारी जमीनों पर मुस्लिमों का कब्ज़ा है। 

इसी तरह अगस्त 2022 में ऑपइंडिया ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि वन्य जीवों के लिए प्रसिद्ध उत्तराखंड के रामनगर में पड़ने वाले जिम कार्बेट नेशनल पार्क में मजारों के जरिए अवैध कब्जे किए गए हैं। पार्क में लगभग हर एक किलोमीटर पर मजार बनाकर सरकारी जमीनों का अतिक्रमण किया गया है। ऑपइंडिया ने रानीखेत मार्ग से लेकर झिरना इलाके तक के मजारों का रिपोर्ट दी थी।

बता दें कि ‘मजार जिहाद’ की रिपोर्टिंग के बाद उत्तराखंड की सरकार ने दिसंबर 2022 में कुछ मजारों पर बुलडोजर भी चलाया था। देहरादून और पौढ़ी जिलों के जंगलों में बने 15 मजारों को ध्वस्त कर दिया गया था। वन विभाग की जमीन पर बनी 17 मजारों को चिह्नित किया गया था, लेकिन कार्रवाई के दौरान दस्तावेज दिखाए जाने के बाद दो मजारों को छोड़ दिया गया था।

इसी तरह मार्च 2023 में एक बार फिर धामी सरकार ने अवैध मजारों पर कार्रवाई शुरू की थी। राज्य सरकार ने 12 मार्च 2023 को एक ही रात में 26 अवैध मजारों को ध्वस्त कर दिया गया था। ध्वस्त हुई मजारों में कुछ ऐसी भी थीं, जो राजधानी देहरादून के जंगली जानवरों के लिए रिजर्व क्षेत्र में बनी हुई थीं। 

बता दें कि जब इन मजारों को ध्वस्त किया गया तो इनमें से किसी तरह का मानव अवशेष नहीं मिला था। इससे इस आशंका को पुष्टि मिलती है कि अवैध मजारों के जरिए सरकारी जमीनों पर कब्जा किया जाता है और फिर उसे वक्फ की संपत्ति बताकर सिर्फ मुस्लिमों की संपत्ति घोषित कर दी जाती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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