Tuesday, March 19, 2024
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‘ASI वाले ज्ञानवापी में घुस नहीं पाएँगे, आप मारे जाओगे’: काशी विश्वनाथ के पक्षकार हरिहर पांडेय को धमकी

"पांडेय जी मुकदमे में आपने आदेश तो करा लिया है, लेकिन एएसआई वाले ज्ञानवापी में घुस नहीं पाएँगे। आप और आपके सहयोगी मारे जाएँगे।"

काशी विश्वनाथ के पक्षकार हरिहर पांडेय को जान से मारने की धमकी मिली है। पुलिस मामले की पड़ताल कर रही है और पांडेय की सुरक्षा में दो सिपाही तैनात कर दिए गए हैं। वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में पुरातात्विक सर्वेक्षण को मँजूरी देने के बाद धमकी मिली है।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार फोन करने वाले ने हरिहर पांडेय से कहा कि वे भले मुकदमा जीत गए हैं। लेकिन अब वे और उनके साथी मारे जाएँगे। उसने यह भी कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई वाले घुस नहीं पाएँगे। न्यूज 18 की रिपोर्ट में धमकी देने वाले का नाम यासीन बताया गया है।

अनजान नंबर से धमकी भरा कॉल आने के बाद हरिहर पांडेय ने पुलिस कमिश्नर से इसकी शिकायत की। सीओ दशाश्वमेध ने घर जाकर उनका का बयान लिया और शिकायत के आधार पर उनकी सुरक्षा में दो पुलिसकर्मी लगाए गए हैं।

हरिहर पांडेय के अनुसार, 8 अप्रैल को जब सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश दिया, तो उनके पास उसी शाम मोबाइल पर कॉल आई। फोन करने वाले ने खुद की पहचान दालमंडी निवासी यासीन के तौर पर बताई। उसने कहा, “पांडेय जी मुकदमे में आपने आदेश तो करा लिया है, लेकिन एएसआई वाले ज्ञानवापी में घुस नहीं पाएँगे। आप और आपके सहयोगी मारे जाएँगे।”

दशाश्वमेध सीओ अवधेश पांडेय ने बताया कि हरिहर पांडेय की शिकायत के बाद पुलिस इस मामले में जाँच कर रही है। फोन पर किसने धमकी दी इसका पता लगाया जा रहा है। फिलहाल उन्हें सुरक्षा दे दी गई है।

बता दें कि 8 अप्रैल को काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट से पुरातात्विक सर्वेक्षण को लेकर फैसला आया था। कोर्ट ने कहा था कि सर्वेक्षण का सारा खर्चा सरकार करेगी। इस मामले में हिंदू पक्षा ने दावा किया है कि विवादित ढाँचे के फर्श के नीचे करीब 100 फीट ऊँचा विशेश्वर का स्वयम्भू ज्योतिलिंग है और ढाँचे की दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं के चित्र बने हुए हैं।

उल्लेखनीय है कि 1991 में काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मामले में वाराणसी की कोर्ट में मुकदमा दाखिला हुआ था। याचिकाकर्ताओं ने ज्ञानवापी में पूजा की अनुमति माँगी थी। याचिका में कहा गया था कि 250 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने यहाँ मंदिर का निर्माण कराया था।

हरिहर पांडेय ने इस संबंध में बताया कि प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग लॉर्ड विशेश्वरनाथ की ओर से पंडित सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और उन्होंने बतौर वादी वर्ष 1991 में सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर किया था। अदालत में मुकदमा दायर होने के कुछ वर्ष बाद पंडित सोमनाथ व्यास और रामरंग शर्मा की मौत हो गई थी। अब वही इस मुकदमे के पक्षकार के तौर पर बचे हुए हैं।

बता दें कि इस केस पर 1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया। साल 2019 में फिर से सुनवाई शुरू हुई। 2 अप्रैल को अदालत ने दोनों पक्षों की सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया और 8 अप्रैल को अपना निर्णय सुनाया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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