डियर बरखा जी,
मुझे नहीं मालूम जाने-अनजाने में किसने आपका फोन नंबर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। लेकिन मुझे यह जानकर बहुत दुख हुआ कि इस नंबर का गलत इस्तेमाल करके आपको उत्पीड़ित किया गया। मैं आपकी तकलीफ को अच्छे से समझ सकती हूँ क्योंकि मैं जानती हूँ कि किसी महिला का नंबर मिलने के बाद समाज में मौजूद अराजक तत्व उसका किस तरह से गलत इस्तेमाल करते हैं।
खैर, एक तो आप महिला और दूसरा आप पत्रकारिता जगत की सेलेब्रिटी हैं। आपका नंबर जब सोशल मीडिया पर किसी के द्वारा पोस्ट किया गया होगा, तो निश्चित ही कुछ लोगों ने आपको उत्सुकता में फोन किया होगा कि क्या आप वही बरखा हैं जिनको अब तक सिर्फ़ टेलीविजन पर बड़ी-बड़ी रिपोर्टिंग करते देखा गया… तो कुछ ने केवल ‘उसी’ लिहाज़ से आपके नंबर का इस्तेमाल किया, जिसका प्रमाण आपने ट्विटर पर उन स्क्रीनशॉट्स को डालकर दिया।
ट्विटर पर आपके द्वारा किए गए पोस्ट वाकई हमारे समाज की उस घटिया समुदाय की हकीकत है… जो छोटी बच्ची से लेकर महिलाओं तक का पर्याय केवल योनि के रूप में ही आँकता है। ऐसे घटिया, नीच, ओछी हरकतों को सोशल मीडिया तक लाया जाना ही चाहिए। ताकि बाक़ी के लोग भी सतर्क रहें। आपके द्वारा ट्विटर पर डाले गए स्क्रीनशॉट की मैं जितनी प्रशंसा करूँ उतना ही कम है। इनकी न केवल सोशल लिंचिंग होनी चाहिए, बल्कि कानूनी रूप से भी इनके ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
लेकिन इस स्क्रीनशॉट के साथ आपके ट्वीट न केवल मुझे बेमेल लगे बल्कि सवाल उठाने वाले भी लगे। यह घटना जितनी निंदनीय और शर्मनाक है, उससे भी कहीं शर्मनाक आपका यह ट्वीट है…
![](https://i0.wp.com/hindi.opindia.com/wp-content/uploads/sites/6/2019/02/barkha-harassment.png?resize=636%2C685&ssl=1)
मैं निराधार होकर यह बात बिलकुल भी नहीं कह रही हूँ। आप खुद सोचिए! कुंठित समाज के घटिया समुदाय के किसी एक शख्स ने आपको अपने लिंग की तस्वीर भेजी और अपनी अति-बेहयायी का प्रमाण दिया। इस पर एक्शन लिया जा सके, इसके लिए आप वर्चुअल स्पेस पर हुए यौन शोषण को अपने सोशल मीडिया पर लेकर आईं। क़ाबिले-तारीफ़ है यह तरीका ताकि लोग सतर्क हो सकें।
लेकिन, आपके इस ट्वीट में राष्ट्रवाद शब्द का प्रयोग क्यों किया गया, वो मेरी समझ से बाहर है…? क्या आपके लिए इस बेहयायी का पर्याय राष्ट्रवादी हो जाना है? हैरानी है मुझे कि आपको जिस जगह पर यौन शोषण शब्द का इस्तेमाल करना था, आप वहाँ पर राष्ट्रवादी शब्द प्रयोग कर रही हैं।
एक अंजान व्यक्ति आपके निजी नंबर पर अश्लील तस्वीर साझा करता है। लेकिन इससे आपको कैसे पता चलता है कि उसकी यह घटिया हरकत राष्ट्रवाद के नाम पर है? या मैं ये समझ लूँ कि आप देश के राजनैतिक माहौल में इतनी डूब चुकी हैं कि अब सिर्फ़ आपको आपके साथ हुए हर वाकये के पीछे राष्ट्रवाद ही जिम्मेदार लगता है।
कायदे से मुझे आज आपकी इस हिम्मत के लिए सराहना चाहिए था, क्योंकि अक्सर लड़कियाँ इस तरह के यौन शोषण को समझ ही नहीं पाती हैं और घबरा के सोशल मीडिया से दूरी बनाना शुरू कर देती हैं। लेकिन, आपके इस पोस्ट पर राष्ट्रवाद शब्द का इस्तेमाल करने से आपको सराहने की मेरी सारी इच्छाएँ ही खत्म हो गईं या यह कहूँ कि वो इच्छा ही मर गई।
आप अपना अजेंडा क्लियर करिए आपको सामाजिक बुराईयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाते हुए सामने आना है, या सोशल मीडिया के प्लैटफॉर्म पर अपने पाठकों और फॉलोवर्स को हर बुराई में सिर्फ़ राष्ट्रवादियों का चेहरा ही दिखाना है।
आप शायद खुद इस बात को नहीं समझ पा रही हैं कि आपके एक पोस्ट का असर आपके पाठकों की मानसिकता पर कितने बड़े रूप में पड़ेगा। आप इस पूरे मामले को यौन शोषण न कहकर राष्ट्रवाद का रूप बता रही हैं। जरा सोचिए, आप वर्चुअल दुनिया में किन चीजों का निर्माण कर रही हैं, और किन शब्दों के पर्यायों से लोगों को वंचित रख रही हैं।
जिसने भी आपको यह तस्वीर भेजी है, वो शख्स निःसंदेह ही सलाखों के पीछे भेजा जाना चाहिए लेकिन शोषण के आरोप में… राष्ट्रवाद का इन घटिया चीज़ों से कोई लेना-देना नहीं है।
बतौर नारी होने के साथ-साथ आप इस देश की जागरूक और बेहद समझदार नागरिक भी हैं। आपकी भाषा और चुने हुए शब्दों से बहुत बड़ी आबादी के लोग अपनी सोच का निर्माण करते हैं। यौन शोषण में और राष्ट्रवाद में फर्क समझिए। अपने पाठकों के लिए राष्ट्र की भावनाओं को तहस-नहस मत करिए। जो उस गलीच आदमी ने आपके साथ किया, वो राष्ट्रवादी होने के नाम पर नहीं किया, उसने अपनी तथाकथित मर्दानगी को दिखाने के लिए ऐसा किया।
आपका इस तरह का पोस्ट दो शब्दों के मायनों को समाज में गलत ढंग से प्रेषित कर रहा है। संप्रेषण की गलती के कारण इन दो शब्दों के घाल-मेल से न जाने कितने लड़के-लड़कियाँ गलतफहमी का शिकार हो जाएँगे। मैं आपसे यही कहना चाहती हूँ कि आप कुछ लोगों के लिए खबरों का पर्याय बन चुकी हैं, उनको अपनी विचारधारा और राजनैतिक समझ के चलते बरगलाने का काम न करें। जो है उसे वही कहकर, बताकर, लिखकर सबके बीच भेजिए। ताकि आप द्वारा भेजे संदेश में और वास्तविकता में लोगों को सवाल उठाने का मौका न मिले।