Friday, April 26, 2024
Homeरिपोर्टमीडियान्यूजलॉन्ड्री की बेशर्मी: दूसरे मजहब को पाक-साफ बताने के लिए हिन्दू युवक के अगवा...

न्यूजलॉन्ड्री की बेशर्मी: दूसरे मजहब को पाक-साफ बताने के लिए हिन्दू युवक के अगवा होने की खबर पर उठाए सवाल

यहाँ यह पूछा जाना भी मुनासिब है कि यदि हिन्दुओं की एक भीड़ मस्जिद में तोड़-फोड़ करे और इस दौरान एक मुस्लिम दंपती अपने बच्चे को भीड़ द्वारा अगवा करने का दावा करते हुए एफआईआर दर्ज कराए, तब भी मीडिया उस एफआईआर की रिपोर्टिंग पर इसी तरह शर्मिंदगी महसूस करेगी?

दिल्ली के चाँदनी चौक इलाके के हौज काजी में 30 जून 2019 को जो कुछ हुआ उसने ‘गंगा-जमुनी तहजीब’ के घिनौने चेहरे को बेनकाब कर दिया। इस्लामी भीड़ ने हौज काजी के एक मंदिर में घुसकर न सिर्फ मूर्तियों को तोड़ा बल्कि कथित तौर पर मंदिर में पेशाब की। इस विवाद की शुरुआत पार्किंग को लेकर झगड़े से हुई। स्थानीय हिन्दुओं का कहना है कि जिस हिन्दू व्यक्ति के साथ पार्किंग को लेकर बहस हुई थी उसे पीटा गया और उसके घर की महिलाओं को बाहर खींचकर प्रताड़ित किया गया।

सांप्रदायिक तनाव के बीच एक 17 साल के हिन्दू लड़के के गायब होने की खबर दबा दी गई। घटना के तीन दिन बाद जब 2 जुलाई को मैं इस इलाके में पहुँची तो स्थानीय हिन्दू खौफजदा थे। एक कोने में गायब हुए लड़के की माँ एफआईआर के साथ बेटे का रस्ता ताक रही थी। लड़के के पिता बेटे के नहीं मिलने पर अपनी जान देने की बात कर रहे थे।

मुस्लिम बहुल आबादी से घिरी उस छोटी सी हिन्दू बस्ती के लोगों के साथ की गई ज्यादतियों का हमने ब्यौरा जुटाया और उस घटना को लेकर दुसरे समुदाय का पक्ष भी जाना।

हालॉंकि, लड़के के गायब होने की खबर को मीडिया में पर्याप्त जगह नहीं दी गई। अब हिन्दुओं के खिलाफ होने वाली ज्या​दतियों की अनदेखी के लिए कुख्यात वेबसाइट न्यूजलॉन्ड्री ने एक रिपोर्ट प्रकाशित कर इसे झूठा साबित करने की कोशिश की है। वेबसाइट की लेख का शीर्षक है, “मुस्लिम भीड़ द्वारा एक लड़के को अगवा करने की खबर फुस्स”। वीना नायर ने यह रिपोर्ट लिखी है। लेख में उन्होंने ऑपइंडिया की रिपोर्ट के मकसद पर सवाल उठाते हुए कहा है कि आखिरकार जब लाल कुँआ में हालात पूरी तरह सामान्य हो चुके थे तो लड़का कैसे ‘अगवा’ किया जा सकता है।


NewsLaundry headline

न्यूजलॉन्ड्री की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑपइंडिया ने लड़के के अगवा होने का दावा किया था और लड़के के घर लौटने के बाद उसके इस दावे की हवा निकल गई है। एक बेहद असंवेदनशील टिप्पणी में न्यूजलॉन्ड्री ने कहा है कि-

पहले यह साफ कर दूँ कि ऑपइंडिया ने अपनी तरफ से कुछ भी ‘दावा’ नहीं किया है। हमने एफआईआर के आधार पर केवल सूचनाएँ दी न कि उसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया।


FIR filed by Keshav’s parents

न्यूजलॉन्ड्री का कहना है कि उनका रिपोर्टर 3 जुलाई को हौज काजी गया था। सांप्रदायिक तनाव में हालात करीब-करीब हर घंटे बदलते रहते हैं। ऐसे में न्यूजलॉन्ड्री का यह दावा कि ऑपइंडिया ने लड़के के गायब होने की खबर तब की जब “सब कुछ नियंत्रण में था” बेवकूफाना है। दो जुलाई को जब मैं मौके पर थी, हिन्दुओं और समुदाय विशेष के बीच मार-पीट होते-होते बची थी। जब गायब लड़के का पिता अपना दर्द बता रहा तो वहाँ पर इकट्ठा होकर दुसरे समुदाय ने ‘अल्लाहु अकबर’ के नारे लगाने लगे। इसके जवाब में पहले से ही उत्तेजित और घबराए हिन्दुओं ने भी ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए। लाल कुँआ की गली में वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध था और जगह-जगह बैरीकेड लगे थे। इलाके के बहुसंख्यक मजहब के समूहों में खड़े होकर हालात पर चर्चा के सिवा कोई और बात नहीं कर रहे थे। दूसरी ओर हिन्दू भी उस दुर्गा मंदिर में जिसमें तोड़-फोड़ की गई थी के सामने वाली गली में अपने तरीके से विरोध जता रहे थे।

इसमें कोई दो मत नहीं है कि लड़का गायब था। केशव सक्सेना को सांप्रदायिक हिंसा के तीन दिन बाद तक भी उसके माँ-बाप ने नहीं देखा था। यह लड़का आखिरकार तीन तारीख की शाम को अपने घर पहुँचा, यानी तनाव के चौथे दिन। यदि हौज काजी में हालात सामान्य होने का न्यूजलॉन्ड्री का दावा सही भी है (जैसा है नहीं), तो भी क्या लड़के के गायब होने की खबर को अन्य मीडिया संस्थानों की तरह ऑपइंडिया को भी दबा देनी चाहिए थी?

न्यूजलॉन्ड्री के लेख का मुख्य मकसद हौज काजी की सच्चाई बयाँ करने वाले रिपोर्टों का माखौल उड़ाने के साथ-साथ लड़के के खुद गायब होने की कहानी को हवा देकर उसके माता-पिता के दुखों का बेशर्मी से मजाक उड़ाना भी है। रिपोर्ट में कहा गया है, “एफआईआर के अनुसार भीड़ ने मंदिर में तोड़-फोड़ की और रात के 11.30 बजे लड़के को “अगवा” कर लिया। पुलिस और चश्मदीदों के अनुसार मंदिर में तोड़-फोड़ आधी रात के बाद की गई। लड़के ने खुद कहा है कि वह सुबह के 10.30 बजे अपनी गली से बाहर गया था। किसी मीडिया संस्थान ने इन विसंगतियों पर गौर नहीं किया।”

ऐसे में हर किसी को उस हालात पर गौर करना चाहिए जिसमें एफआईआर दर्ज कराई गई। खून की प्यासी हिंसक इस्लामी भीड़, जिसने मंदिर में तोड़-फोड़ और कथित तौर पर मंदिर में पेशाब की, मूर्तियाँ तोड़ दी। स्थानीय हिन्दुओं का कहना है कि गली का मुख्य दरवाजा समय रहते बंद नहीं किया गया होता तो वे मारे गए होते। ऐसे हालात में एक 17 साल का लड़का गायब हो जाता है। अपने बच्चे के गायब होने का दावा करने वाले माता-पिता को झूठा और ऑपइंडिया जैसे पोर्टल तथ्यों की पड़ताल नहीं करते, यह साबित करने के लिए न्यूजलॉन्ड्री की रिपोर्ट में एफआईआर में दर्ज समय की विसंगतियों का सहारा लिया गया है। ऐसा करके अपरोक्ष तौर पर यह कहने की कोशिश की गई है कि यदि ऑपइंडिया ने “तथ्यों” पर गौर किया होता तो लड़के के गायब होने की ​रिपोर्ट नहीं करता।

अब, यह तर्क दिया जा रहा है कि माँ-बाप को दिनभर केशव सक्सेना की खबर नहीं थी। इसलिए, सामुदायिक तनाव के दौरान जब उन्हें लगाा कि उनका बच्चा गायब है, वे उसके सकुशल होने को लेकर व्याकुल हो गए। एफआईआर में गायब होने का जो समय बताया गया है उससे उनकी यही चिंता झलकती है।

शायद, अपने बच्चे के गायब होने पर चिंतित और नाराज माँ की आड़ लेकर न्यूजलॉन्ड्री यह कहने की कोशिश कर रहा है कि बच्चे के गायब होने के मामले की रिपोर्टिंग होनी ही नहीं चाहिए थी।

जबकि, न्यूजलॉन्ड्री की रिपोर्ट खुद यह बताती है कि उस दिन समुदाय विशेष ने केशव सक्सेना की भी पिटाई की थी। जैसा कि ऑपइंडिया की रिपोर्ट भी बताती है कि लड़के ने बताया कि समुदाय विशेष के कुछ लोगों ने उससे पूछा कि क्या वह दुर्गा मंदिर वाली गली में रहता है और क्या वह हिन्दू है। जब उसने हिन्दू होने की बात बताई तो उसे पीटा गया। न्यूजलॉन्ड्री की रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख है कि पार्किंग विवाद के बाद जब भीड़ इकट्ठा होने लगी तो कुछ लड़कों ने (जो शायद मुस्लिम थे) केशव को पीटा। वह उसी वक्त भाग खड़ा हुआ।

न्यूजलॉन्ड्री की रिपोर्ट में जो तथ्य पेश किए गए हैं वे भी बताते हैं कि लड़के का गायब होना हौज काजी में सांप्रदायिक तनाव से जुड़ा हुआ है। माँ ने जब एफआईआर दर्ज कराई तब उनका यह दावा कि सांप्रदायिक तनाव की वजह से उनका बेटा गायब हुआ है, गलत नहीं था। न्यूजलॉन्ड्री को खुद से यह पूछना चाहिए कि खून-खराबे के ऐसे हालात में एक माँ अपने बच्चे के गायब होने का भला और क्या कारण समझ सकती थी। क्या यह कि उसका बच्चा घर से भाग गया है? या यह कि वह अपने दोस्तों के साथ खेल रहा होगा? किसी माँ-बाप के लिए यह सोचना कैसे असामान्य हो सकता कि उनका बच्चा उन्मादी भीड़ के हत्थे चढ़ गया होगा?

पर न्यूजलॉन्ड्री की बेशर्मी देखिए, वह केशव की माँ मोना से सवाल कर रहा है कि उसने ऐसा क्यों सोचा कि समुदाय विशेष की भीड़ ने उसके बेटे को अगवा कर लिया। इसके अलावा वह उस वक्त और क्या सोच सकती थी? जरा सोचिए, घर लौटने के बाद केशव के अलग बयान के बावजूद क्या मीडिया का काम अगवा होने की रिपोर्ट करना नहीं है? क्या बच्चे के लौट आने का हवाला देकर मीडिया यह कह सकती है कि गायब होने की एफआईआर का उल्लेख नहीं किया जाना चाहिए था?

यहाँ यह पूछा जाना भी मुनासिब है कि यदि हिन्दुओं की एक भीड़ मस्जिद में तोड़-फोड़ करे और इस दौरान एक मुस्लिम दंपती अपने बच्चे को भीड़ द्वारा अगवा करने का दावा करते हुए एफआईआर दर्ज कराए, तब भी मीडिया उस एफआईआर की रिपोर्टिंग पर इसी तरह शर्मिंदगी महसूस करेगी?

दिलचस्प यह है कि हिन्दू बच्चे के गायब होने की एफआईआर की ऑपइंडिया की रिपोर्ट को नीचा दिखाने की कोशिश कर रही न्यूजलॉन्ड्री को मुस्लिम संगठनों मसलन, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एआईएसए), अमन बिरादरी और कारवां-ए-मोहब्ब्त की एफआईआर पर कोई एतराज नहीं है।

न्यूजलॉन्ड्री की रिपोर्ट कहती है:-

नतीजतन, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एआईएसए), अमन बिरादरी और कारवां-ए-मोहब्ब्त के प्रतिनिधियों ने हौज काजी थाने में गलत सूचनाएँ फैलाने के लिए मीडिया संस्थानों के खिलाफ शिकायत की। शिकायत में विशेष रूप से ऑर्गेनाइजर की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए यह आरोप लगाया गया है कि वह “हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच दुश्मनी और दुर्भावना” को बढ़ावा दे रहा है। शिकायत में टाइम्स नाउ, बिजनेस स्टैंडर्ड और हिन्दुस्तान टाइम्स जैसे संस्थानों का उल्लेख करते हुए कहा गया कि वे मंदिर में तोड़-फोड़ करने के मामले में संलिप्त लोगों की संख्या को “बढ़ा-चढ़ाकर” पेश कर रहे हैं।

दिल्ली पुलिस के डीसीपी (सेंट्रल) मंदीप सिंह रंधावा से शिकायत की गई और उन्होंने सब कुछ नियंत्रण में होने का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा, “मैं इसे सांप्रदायिक नजरिए से नहीं देखता। मेरा काम सच और झूठ का पता लगाना है और हम ऐसा ही करेंगे।”

दिलचस्प यह है कि न्यूजलॉन्ड्री की रिपोर्ट के अनुसार हिन्दू बच्चे के गायब होने की रिपोर्ट उसके माता-पिता द्वारा दर्ज कराना “सांप्रदायिक” है, लेकिन उसी रिपोर्ट में मंदिर में तोड़-फोड़ करने वालों के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर तथ्य पेश करने का दावा करने वाली शिकायत “हकीकत”?

मंदिर में तोड़-फोड़ करने वाली मुस्लिम भीड़ और हिन्दुओं के पक्ष की रिपोर्टिंग को “हिन्दुओं और मुस्लिमों के बीच वैर बढ़ाने वाला” बताना बेशर्मी की हद है। जब एक मंदिर में तोड़-फोड़ हुई हो तो हम किस सद्भाव की बात कर रहे हैं? यकीनन, न्यूजलॉन्ड्री को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। जैसा उनकी रिपोर्ट से भी जाहिर है।

क्या न्यूजलॉन्ड्री यह चाहता है कि यह सब देखने के बाद हम भी उसकी तरह चुप रहें? एक गायब बच्चे के माँ-बाप जो कह रहे हैं, उसे अनसुना कर दें? क्या हमें भी अन्य “सेक्युलर” मीडिया हाउसों की तरह आँख मूँद कर उनका दुख-दर्द बयाँ नहीं करना चाहिए? क्या हमें मौके से लौट जाना चाहिए था? क्या उस माँ से यह कहना चाहिए था कि उसकी एफआईआर और अपने बच्चे को तलाशने के उसके प्रयास बेमानी हैं, क्योंकि अब “हालात काबू में” है और उसे इस घटना को भूल जाना चाहिए?

नीचे जो वीडियो हैं उसमें बच्चे के गायब होने से दुखी माँ-बाप का दर्द कैद है। जब यह रिकॉर्ड किया जा रहा था तो कई पत्रकार वहाँ आए और गए। उन्होंने उनसे मुँह फेर लिया और अपने बेटे के लिए परेशान एक माँ-बाप के दर्द को अनसुना कर दिया। सेक्युलर मीडिया चाहती है कि हम भी ऐसा ही करें। वे इसलिए नाराज हैं कि हमने ऐसा नहीं किया। इस घटना को लेकर केशव ने जो बयान दिया है उससे खुद कई सवाल खड़े होते हैं। मसलन, हरिद्वार के रास्ते में किसी स्टेशन पर जब वह रिश्तेदारों को मिला तो क्या संभव है कि उन्होंने उसके माता-पिता को फोन कर सूचना नहीं दी होगी? वह रेलवे स्टेशन पर क्यों था? क्या कुछ ऐसा है जिसे दबाने की कोशिश हो रही है?

पुलिस को ईमानदारी से इस बात की पड़ताल करनी चाहिए कि लड़का दो दिनों तक कहाँ था। लेकिन, लापता लड़के के गायब होने की खबर देने वाली रिपोर्ट को कठघरे में खड़ा करना एक चाल है ताकि हिन्दुओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को आवाज नहीं मिल सके। हम इन मंसूबों को पूरा नहीं होने देंगे।

(नूपुर शर्मा के इस मूल लेख का अनुवाद अजीत झा ने किया है)

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

Nupur J Sharma
Nupur J Sharma
Editor-in-Chief, OpIndia.

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

इस्लामी-वामी फिलीस्तीन समर्थकों का आतंक देख US भूला मानवाधिकारों वाला ज्ञान, भारत के समय खूब फैलाया था प्रोपगेंडा: अमेरिका का दोहरा चरित्र बेनकाब

यूएस आज हिंसक प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई कर रहा है, लेकिन यही काम जब भारत ने देश में कानून-व्यवस्था बनाने के लिए करता है तो अमेरिका मानवाधिकारों का ज्ञान देता है।

स्त्री धन पर सिर्फ पत्नी का हक, पति या सुसराल वालों का नहीं: सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, शख्स से कहा- बीवी को देने पड़ेंगे...

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में साफ कहा है कि महिला का स्त्रीधन उसकी पूर्ण संपत्ति है. जिसे अपनी मर्जी से खर्च करने का उसे पूरा अधिकार है। इस स्त्री धन में पति कभी भी साझीदार या हिस्सेदार नहीं बन सकता।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe