जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में वामपंथी गुंडों के हमले में कई छात्र घायल हुए। कई प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया है कि क़रीब 500 की संख्या में नकाबपोश उपद्रवियों ने एबीवीपी के छात्रों को निशाना बनाया। हॉस्टल के कमरे को तोड़ कर छात्रों को निकाल कर पीटा गया। हालाँकि, कई सेलेब्रिटीज व वामपंथी गिरोह के सदस्यों ने उलटा एबीवीपी पर ही हिंसा का आरोप लगाया लेकिन उनकी पोल खोली गई। जेएनयू छात्र संगठन की अध्यक्ष आइशा घोष हिंसक भीड़ का नेतृत्व करती हुई देखी गईं। जेएनयूएसयू की पूर्व अध्यक्ष गीता कुमारी को नकाबपोशों के साथ हमले की साज़िश रचते हुए देखा गया।
सारे वीडियो, फोटो व वामपंथी गैंग के व्हाट्सप्प चैट सामने आने के बाद लगातार उनकी पोल खुलती चली गई। हाल ही में तिहाड़ से लौटे कॉन्ग्रेस नेता पी चिदंबरम ने बयान दिया है कि जेएनयू में हिंसा के समय पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने पूछा कि जब हिंसा हो रही थी, तब पुलिस कहाँ थी? महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि उन्हें नकाबपोशों को देख कर 26/11 मुंबई हमले की याद आ गई। स्वरा भास्कर ने वीडियो बना कर लोगों को जेएनयू गेट पर पहुँचने को कहा कर पुलिस पर उदासीनता बरतने का आरोप लगाया।
याद कीजिए, ये वही लोग हैं जो कुछ दिनों पहले कह रहे थे कि जामिया में पुलिस क्यों घुसी? ये वही लोग हैं, जिन्होंने ये स्वीकार किया था कि जामिया हिंसा में ‘बाहरी लोग’ शामिल थे लेकिन जब उन्हीं ‘बाहरी लोगों’ से निपटने के लिए पुलिस कैम्पस में घुसी तो इन्हीं लोगों ने पुलिस का आत्मवश्वास गिराने के लिए उसकी निंदा की। ये वही लोग हैं, जिन्होंने जामिया कैम्पस में 700 फ़र्ज़ी आईडी कार्ड मिलने की बात पर चुप्पी साध ली थी। ये वही गैंग है, जो चीख-चीख कर कह रहा था कि उपद्रवी जो भी करें, पुलिस को संयम बरतना चाहिए। आज वो पुलिस को क्यों खोज रहे हैं?
क्या पुलिस इन वामपंथियों के बयान का इंतज़ार करेगी, तब कार्रवाई करेगी? कहाँ जाना है और कहाँ नहीं जाना है, ये वरिष्ठ अधिकारियों की जगह आराम से बैठे स्वरा भास्कर, अनुराग कश्यप और पी चिदंबरम तय करेंगे क्या? कॉन्ग्रेस ने अपने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट कर के पूछा कि दिल्ली पुलिस क्या कर रही थी? या वही लोग हैं, जो जामिया हिंसा के वक़्त पुलिस की उलटी-सीधी फेक तस्वीरें वायरल करके दावा कर रहे थे कि पुलिस ही आगजनी और दंगे कर रही है। क्या इनलोगों के पास पुलिस से सवाल पूछने का हक़ बचा है?
JNU students blocked the road as Delhi Police entered the campus. Students can be seen shouting slogans at them here: ‘ye jo dehshat karti hai, uske pichhe wardi hai’. @newslaundry pic.twitter.com/lLbHW8LUHG
— Ayush Tiwari (@sighyush) January 5, 2020
जब जामिया में पुलिस घुसती है तो ये पुलिस की निंदा करते हैं। जब जेएनयू में पुलिस नहीं जाती है, तो भी ये पुलिस की निंदा करते हैं। ऐसा दिल्ली पुलिस के साथ इसीलिए किया जाता है, क्योंकि वो गृह मंत्रालय के अंदर आती है। अमित शाह गृहमंत्री हैं और केंद्र में भाजपा की सरकार है, इसीलिए दिल्ली पुलिस को बार-बार निशाना बनाया जाता है। हिंसा की ख़बरें सामने आने के बाद जब दिल्ली पुलिस जेएनयू कैम्पस में गई, तब उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया। दिल्ली पुलिस के ख़िलाफ़ वामपंथी छात्रों ने नारेबाजी की। क्या इसीलिए वो पुलिस को बुलाना चाहते थे?
पुलिस को घेर कर नारेबाजी करने वाले वामपंथी छात्रों के आका पूछ रहे हैं कि पुलिस क्या कर रही थी? जब यही पुलिस जामिया में सीसीटीवी फुटेज लेने जाती है ताकि निष्पक्ष जाँच हो सके, तो यही छात्र फुटेज नहीं लेने देते। जामिया प्रशासन भी सीसीटीवी फुटेज नहीं देता। पुलिस अपना काम सुचारु रूप से करें, उसके लिए उसका सहयोग करना पड़ता है। पुलिस की दिन-रात निंदा करने वालों को कोई हक़ नहीं है ये कहने का कि पुलिस जेएनयू में क्यों नहीं घुसी। और जब घुस कर पुलिस ने फ्लैग मार्च किया, तो उन्हीं छात्रों ने पुलिस के साथ बदतमीजी की।
कल को दिल्ली पुलिस जाँच करेगी, कार्रवाई करेगी और वामपंथी गुंडों के नाम सामने आते ही मीडिया उनके घर भागेगा। मीडिया ये दिखाने में व्यस्त हो जाएगा कि फलाँ आरोपित के तो माँ-बाप ही ग़रीब हैं, वो भला शॉल में पत्थर छिपा कर छात्रों पर हमला कैसे कर सकता है? आरोपितों के टूटे-फूटे घरों को दिखाया जाएगा, लड़कियों पर हमला करने वाला पढ़ाई में कितना तेज़ था, ये दिखाया जाएगा। तब भी पुलिस की निंदा होगी। वही लोग करेंगे, जो आज पूछ रहे हैं कि पुलिस कहाँ है?
पुलिस तो जेएनयू में लगे देशद्रोही नारों की जाँच भी कर रही है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि दिल्ली सरकार उन छात्रों को बचाने में लगी हुई है, जिन्होंने देश के टुकड़े करने के नारे लगाए। जिन्होंने आतंकी अफजल गुरु के पक्ष में नारे लगाए। शाह ने पूछा कि केजरीवाल सरकार उन्हें क्यों बचा रही है? क्या दिल्ली सरकार दिल्ली पुलिस के काम में बाधा नहीं पहुँचा रही? यही अरविन्द केजरीवाल का ये बयान आता है कि पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए। पुलिस कैसे कार्रवाई करेगी जब सरकार उसके काम में टाँग अड़ाएगी? अंत में हर हाल में पुलिस की फिर से निंदा की जाएगी।
Delhi Police commissioner must be held accountable for attacks on JNU students: P Chidambaram
— Press Trust of India (@PTI_News) January 6, 2020
दिल्ली पुलिस के सामने पत्रकारों के साथ बदतमीजी की गई। ‘आजतक’ के कैमरामैन के साथ धक्का-मुक्की की गई। ‘रिपब्लिक’ के पत्रकार के साथ मारपीट की गई। जब ये सब हुआ, तब पुलिस भी वहीं पर मौजूद थी। छात्रों को आगे कर के वामपंथी अपने एजेंडा चला रहे हैं, ऐसे में दिल्ली पुलिस क्या करेगी? पुलिस के साथ सहयोग नहीं किया जा रहा। बाहर वामपंथी नेता व सेलेब्रिटी पुलिस की निंदा कर रहे हैं, कैम्पस के अंदर वामपंथी छात्र पुलिस के साथ बदतमीजी कर रहे हैं। ऐसे में ठाकरे, केजरीवाल, स्वरा, चिदंबरम और कश्यप के बयान महज प्रोपेगंडा भर हैं।
जिस तरह से एक एबीवीपी की छात्रा की वेशभूषा में वामपंथियों ने हमले किए, जिससे ये प्रतीत हो कि एबीवीपी ही हिंसा कर रहे हैं- इससे पता चलता है कि साज़िश गहरी थी। हो सकता है कि फिर से पुलिस को सीसीटीवी फुटेज की जाँच करने में बाधा पहुँचाई जाए। ऐसा फिर से हो सकता है कि वामपंथी आरोपितों के गिरफ़्तार होते ही उनके घर-परिवार जाकर मीडिया दिखाए कि वो निर्दोष हैं। इसीलिए, दिल्ली पुलिस को बेवजह इन सबमें फँसाया जा रहा है। ये ‘अमित शाह की पुलिस’ है, इसीलिए इसे बलि का बकरा बनाया जा रहा है।