Thursday, April 25, 2024
Homeविचारसामाजिक मुद्देभारतीयों ने 50 सालों से J&K की माँ-बहन एक कर दी है: सामने आए...

भारतीयों ने 50 सालों से J&K की माँ-बहन एक कर दी है: सामने आए ‘शिकारा’ वाले चोपड़ा के पुराने बयान

दर्शकों के अनुसार, 'शिकारा' मूवी कश्मीरी पंडितों की जगह जिहादियों के प्रति ज्यादा संवेदना व्यक्त करती दिखती है। दर्शकों ने यह भी कहा है कि इस मूवी में कट्टरपंथी इस्लाम पर लीपापोती करने के लिए तथ्यों के साथ खिलवाड़ किया गया है और उन्हें तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।

मूवी ‘शिकारा’ ने दावा किया था कि वो कश्मीरी पंडितों की अनकही कहानी कहेगी। अब यही फ़िल्म कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार को कमतर दिखाने के आरोपों का सामना कर रही है। उम्मीद थी कि कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार को नकारने के संगठित प्रयासों के खिलाफ, बम्बइया फिल्म इंडस्ट्री पहली बार शिकारा मूवी के जरिए अपनी भूमिका का निर्वहन करेगी।

लेकिन हुआ इसके उलट। लोगों की अपेक्षाओं पर खरी न उतरने के कारण शिकारा मूवी आलोचनाओं के केंद्र में है। एक कश्मीरी पंडित लड़की ने मूवी देखते हुए अपना संयम खो डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा को खूब जली कटी सुनाई। उन्हें शांत करते हुए विधि विनोद चोपड़ा ने कहा,”सत्य के दो पहलू होते हैं।” हर किसी का अपना दृश्टिकोण होता है, विभिन्न विचार हो सकता है। शिकारा डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा यहीं पर नहीं रुके और उस कश्मीरी पंडित लड़की के दुःख का मजाक उड़ाते लहजे में कहने लगे कि मैं आपके लिए शिकारा का सीक्वल बनाऊँगा।

इस प्रकार का असंवेदनशील बयान चोपड़ा के वैचारिक झुकाव की तरफ भी इशारा करने वाला है। विधु विनोद चोपड़ा के वैचारिक झुकाव पर स्थिति तब और भी साफ हो जाती है जब 2000 में आई उनकी फिल्म ‘मिशन कश्मीर’ की स्क्रिप्ट लिखने वाले सुकेतु मेहता की किताब ‘मैक्सिमम सिटी: बॉम्बे लॉस्ट एंड फाउंड’ को कोई पढ़ने बैठता है। मेहता अपनी किताब में चोपड़ा को उद्धृत करते हुए लिखते हैं, “The Indians have f**ked Kashmir. मैं कश्मीरी हूँ, मुझे पता है। They have been f**king Kashmir for fifty years.”

मेहता अपनी किताब में लिखते हैं कि विनोद चाहते थे कि फिल्म के द्वारा कश्मीरियत के विचार को आम लोगों तक दुबारा पहुँचाया जाए जहाँ एक ही देश में समुदाय विशेष के लिए हजरत बल दरगाह और हिन्दुओं के लिए शंकराचार्य मंदिर में पूजा करने की बराबर जगह हो।

मेहता के शब्दों में विधु विनोद चोपड़ा के लिहाज से कश्मीर एक खुशनुमा बाग़ जैसा ही था जहाँ अलग अलग समुदायों के लोग ‘बूमरो बूमरो’ गाया करते थे कि तभी केंद्र सरकार रंग में भंग डालने पहुँच गई। मिशन कश्मीर नामक फिल्म इसी विचार से बनी होने के कारण न सिर्फ इस्लामिक आतंकवाद के लिए ज़रूरी जस्टिफिकेशन मुहैय्या करती है बल्कि कश्मीर में चल रहे आतंकवाद पर पर्दा डालती हुई भी दिखती है।

मेहता अपनी किताब में लिखते हैं कि इस फिल्म के लिए स्क्रिप्ट लिखते समय विधु विनोद चोपड़ा समुदाय विशेष की भावनाओं का ख्याल रखने, पोलिटिकली करेक्ट बने रहने पर खासा जोर देते थे।

इस किताब के लेखक और मिशन कश्मीर फिल्म के स्क्रिप्ट राइटर के खुद के विचार भी बेहद समस्या परक हैं। अपनी किताब में वो लिखते हैं, “फिल्म के कई सारे सीन्स से मैं खुद को रिलेट नहीं कर पाता। मैं चाहता था कि कश्मीरी आतंकवाद की जड़ में वहाँ की सामाजिक और आर्थिक स्थितियों पर भी बात हो। मैं अपने 1987 के कश्मीर दौरे पर भी बात करना चाहता था, जिसमें मैंने देखा है कि वहाँ की राज्य सरकार देश की सबसे भ्रष्ट राज्य सरकार है।” उन्होंने आगे लिखा है:

“वहाँ जिनसे मेरी बात हुई उनमें से ज्यादातर स्थानीय लोग भारत से अलग होने की ख्वाहिश रखते थे। साथ ही मैं कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद के भारत में विलय के संबंध में भारत की जो दोहरी नीति रही है, जिसमें हैदराबाद और जूनागढ़ का भारत में विलय कर लिया गया क्योंकि वहाँ की अधिसंख्य आबादी हिन्दू थी पर कश्मीर में महाराजा जो हिन्दू था और राज्य की जनता जो मुस्लिम बहुसंख्यक थी पर फिर भी कश्मीर का विलय भारत में कर लिया गया, आदि पर बात करना चाहता था लेकिन मेरी हैसियत उतनी नहीं थी इसलिए मैंने अपने पॉइंट पर बहुत जोर नहीं दिया।”

मैक्सिमम सिटी नामक यह किताब कई पुरस्कार जीत चुकी है। 2005 में पुलित्जर अवार्ड की फाइनलिस्ट, तथा किरियामा अवार्ड जीतने वाली यह किताब 2004 में इकोनॉमिस्ट द्वारा चुनी हुई किताबों में शामिल थी। इसे 2005 सामुएल जॉनसन पुरस्कार भी मिला था।

यह किताब जो कुछ भी बताती है विधु विनोद चोपड़ा के बारे में उसके बाद शिकारा को लेकर किसी भी प्रकार के आश्चर्य की अब कोई जगह शेष नहीं रह जाती। विधु विनोद चोपड़ा ने ‘शिकारा’ नामक फिल्म को उसी तरह ट्रीट किया है जिस दृष्टि से वह कश्मीर घाटी में इस्लामिक आतंकवाद को देखते हैं। और वह अपने वर्ल्ड व्यू में ‘मिशन कश्मीर’ से लेकर ‘शिकारा’ तक इसी विचारधारा से चलते रहे हैं। ऐसे आदमी की बनाई मूवी कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार के साथ कितना न्याय कर सकती थी, अब इस पर कोई संदेह नहीं है। इस कारण कश्मीरी पंडित अगर खुद को छला गया महसूस करते हैं, खुद के नरसंहार को किसी के द्वारा भुनाने की कोशिशों पर क्रोधित होते हैं, अपना संयम खो बैठते हैं भरे सिनेमा हॉल में, तो वह बेहद नैसर्गिक मानवीय प्रतिक्रिया है।

दर्शकों के अनुसार, ‘शिकारा’ मूवी कश्मीरी पंडितों की जगह जिहादियों के प्रति ज्यादा संवेदना व्यक्त करती दिखती है। दर्शकों ने यह भी कहा है कि इस मूवी में कट्टरपंथी इस्लाम पर लीपापोती करने के लिए तथ्यों के साथ खिलवाड़ किया गया है और उन्हें तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। मूवी पर यह भी आरोप है कि इसने कश्मीरी पंडितों की अनकही कहानी के नाम पर प्रेम कहानी दिखा, उनके जख्मों पर नमक रगड़ने का काम किया गया है।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

K Bhattacharjee
K Bhattacharjee
Black Coffee Enthusiast. Post Graduate in Psychology. Bengali.

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

माली और नाई के बेटे जीत रहे पदक, दिहाड़ी मजदूर की बेटी कर रही ओलम्पिक की तैयारी: गोल्ड मेडल जीतने वाले UP के बच्चों...

10 साल से छोटी एक गोल्ड-मेडलिस्ट बच्ची के पिता परचून की दुकान चलाते हैं। वहीं एक अन्य जिम्नास्ट बच्ची के पिता प्राइवेट कम्पनी में काम करते हैं।

कॉन्ग्रेसी दानिश अली ने बुलाए AAP , सपा, कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ता… सबकी आपसे में हो गई फैटम-फैट: लोग बोले- ये चलाएँगे सरकार!

इंडी गठबंधन द्वारा उतारे गए प्रत्याशी दानिश अली की जनसभा में कॉन्ग्रेस और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता आपस में ही भिड़ गए।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe