केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से सम्बद्ध संगठन ‘संकल्प’ के एक कार्यक्रम के दौरान जम्मू कश्मीर और अनुच्छेद 370 को लेकर कई अफवाहों का जवाब दिया और लोगों को सच्चाई से वाकिफ कराया। शाह ने आतंकियों के बारे में बड़ा बयान देते हुए कहा कि आतंकवादी कही भी हों, उन पर गोली चलेगी ही। उन्होंने सरदार पटेल की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने आज़ादी के बाद 600 से भी अधिक रियासतों को एक किया। शाह ने कहा कि उस समय कुछ लोगों ने बहुत कोशिश की कि भारत बिखर जाए लेकिन सरदार पटेल ने उन सबको भारत के साथ जोड़ा।
शाह ने कहा कि 630 रियासतों को एक करने का काम पटेल देख रहे थे जबकि 1 रियासत यानी जम्मू कश्मीर का कार्य प्रधानमंत्री कार्यालय देख रहा था। उन्होंने कहा कि 630 रियासतों को मिलाने में कोई दिक्कत नहीं आई लेकिन जम्मू कश्मीर पर मामला फँस गया। उन्होंने नेहरू की आलोचना करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर मसले को संयुक्त राष्ट्र में लेकर जाना हिमालयन मिस्टेक (बहुत बड़ी गलती) था, यह हिमालय से भी बड़ी ग़लती थी। उन्होंने कहा कि किसी भी देश में ऐसा नहीं होगा कि 2 झंडे, 2 संविधान और 2 प्रधानमंत्री हों।
Several misconceptions are still widely spread about Article 370 and Kashmir.
— BJP (@BJP4India) September 29, 2019
Clarity about this is very important, both among the people of Kashmir as well as the Rest of India: Shri @AmitShah pic.twitter.com/8LqaRklq6o
शाह ने बताया कि अनुच्छेद 370 के प्रभाव में आने से लेकर निरस्त होने तक, कुल 12 जन-आंदोलन हुए और भाजपा तथा जनसंघ ने अपने सहयोगी संगठनों के साथ मिल कर इन सभी आन्दोलनों में महत्वपूर्व भूमिका निभाई। अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 के लिए पहले सिविलियन बलिदानी जनसंघ के संस्थापक-अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी थे। उन्होंने याद दिलाया कि किस तरह शेख अब्दुल्ला को कॉन्ग्रेस की सरकार ने 11 सालों के लिए जेल में डाला है। उन्होंने कहा, “अभी तो हमारा जुमा-जुमा 2 महीना नहीं हुआ और आप चिल्ला रहे हो लेकिन आपने तो शेख अब्दुल्ला को 11 साल जेल में डाला था।“
इस दौरान अमित शाह ने मानवाधिकार का रोना रोने वालों से पूछा कि जम्मू कश्मीर में वीरगति को प्राप्त जवानों और उनके परिवारों का कोई ह्यूमन राइट नहीं है क्या? उन्होंने आँकड़े गिनाते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में आज़ादी के बाद से अब तक आतंकवाद के कारण 41,000 लोग मारे गए। शाह ने पूछा कि जब कश्मीर में सूफी संतों की परंपरा को उखाड़ फेंका गया, तब ह्यूमन राइट्स के चैंपियन कहाँ थे? उन्होंने पूछा कि जब कश्मीरी पंडितों को अपनी मातृभूमि से निकाल बाहर किया गया, तब मानवाधिकार के चैंपियन कहाँ थे?
उन्होंने ‘कश्मीरियत’ का नाम लेकर भाजपा और केंद्र सरकार की आलोचना करने वालों को करारा जवाब देते हुए बताया कि पूरे विश्व में सबसे ज्यादा भाषाएँ और बोलियाँ हमारे देश में हैं। उन्होंने पूछा कि गुजरात में अनुच्छेद 370 न होने से गुजराती समाप्त हो गई है क्या? उन्होंने आगे पूछा कि गुजरात का गरबा समाप्त हो गया क्या? बंगाल में अनुच्छेद 370 नहीं है तो दुर्गा पूजा और रविंद्र संगीत ख़त्म हो गया क्या? उन्होंने कहा कि जब बगैर अनुच्छेद 370 के देश की बाकी सारी संस्कृतियाँ फल-फूल रही हैं तो कश्मीर को इसकी क्या ज़रुरत है? अमित शाह ने कहा:
“मैंने जब संसद में पूछा कि अनुच्छेद 370 से जम्मू कश्मीर को क्या मिला, तो कोई भी नेता संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाया। जम्मू कश्मीर में दलितों को आरक्षण नहीं मिलता था। दिव्यांगों और महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया था। बच्चों को शिक्षा का अधिकार पूरे देश में तो था लेकिन जम्मू कश्मीर में यह नहीं था। यह सब अनुच्छेद 370 ने रोक कर रखा था। यह सब ह्यूमन राइट्स का उल्लंघन नहीं है क्या? अब तक अन्याय होता आया था, जिसे 5 अगस्त को नरेंद्र मोदी ने समाप्त कर दिया। अनुच्छेद 370 से सबसे बड़ा नुकसान था- भ्रष्टाचार। सारे राज्यों में एंटी-करप्शन ब्यूरो है लेकिन जम्मू कश्मीर में यह नहीं था।”
I want to ask the new champions of Human Rights that why did you not raise your voice for the 41,800 widows and their children?
— BJP (@BJP4India) September 29, 2019
Do these 41,800 people and their orphans have no human rights?: Shri @AmitShah pic.twitter.com/PYDpqk5eyp
अमित शाह ने आँकड़े गिनाते हुए कहा कि आज़ादी के बाद से भारत सरकार की ओर से अब तक जम्मू कश्मीर को 2,77,000 करोड़ रुपए भेजा जा चुका है। उन्होंने पूछा कि आखिर यह रुपया कहाँ गया, कौन खा गया? अमित शाह ने जम्मू कश्मीर में पर्यटन की संभावनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि यह एक विकसित राज्य बनेगा। उन्होंने बताया कि राज्य में अच्छे होटल नहीं थे क्योंकि कौन जाता बनाने? उन्होंने कहा कि गलतियाँ सबसे होती हैं लेकिन गलतियों को स्वीकार करने का सहस सार्वजनिक जीवन में होना चाहिए। इसी कार्यक्रम में अमित शाह ने इतिहास दोबारा से लिख कर सच्चाई सामने लाने की बात भी कही।
इस कार्यक्रम में आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉक्टर कृष्ण गोपाल शर्मा भी मंच पर उपस्थित थे। ‘संकल्प’ यूपीएससी की कोचिंग देता है और साथ ही छात्रों को राष्ट्रीयता का पाठ भी पढ़ाता है। इससे जुड़े कई छात्र सरकारी सेवाओं में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं और कार्यरत हैं।