Friday, April 19, 2024
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नीतीश मंत्रिमंडल का दूसरा विकेट गिरा, कानून मंत्री के बाद कृषि मंत्री का भी इस्तीफा: खुद को बताया था ‘चोरों का सरदार’, पिता हैं RJD के प्रदेश अध्यक्ष

"पूरी घटना के पीछे मुख्य कारण यह है कि गरीब लोगों को यूरिया नहीं मिली। अगस्त में हाहाकार मचा था। गरीबों को यूरिया मिलने में काफी दिक्कतें आई थीं।"

बिहार के कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह के इस्तीफे के बाद अब कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने भी रविवार (2 अक्टूबर, 2022) को कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। सुधाकर सिंह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और चारा घोटाले के दोषी लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से विधायक हैं। बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) और राजद के बीच गठबंधन सरकार बनने के बाद उन्हें कृषि मंत्री बनाया गया था।

इससे पहले शनिवार (1 अक्टूबर, 2022) को सुधारकर सिंह ने एक बयान में कहा था कि वह अपने विभाग में भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे के हिसाब से काम नहीं होने देंगे। दरअसल, सुधाकर सिंह बिहार में कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम और ‘मंडी’ प्रणाली को बहाल करने की अपनी माँग की ओर इशारा कर रहे थे।

सुधाकर सिंह ने कहा था, “राज्य के कृषि मंत्री होने के नाते, मैं राज्य में ‘महागठबंधन’ सरकार के गठन के बाद कृषि विभाग में भाजपा के एजेंडे को जारी रखने की अनुमति नहीं दूँगा।” एपीएमसी अधिनियम और 2006 में समाप्त हुई मंडी प्रणाली के बारे में बोलते हुए उन्होंने यह भी कहा था, “एपीएमसी अधिनियम और 2006 में ‘मंडी’ को खत्म करना किसान विरोधी निर्णय था। राज्य में ‘महागठबंधन’ सरकार को हमारे गठबंधन सहयोगियों द्वारा मतदाताओं से किए गए वादों को पूरा करने के लिए काम करना चाहिए।”

उन्होंने बिहार के कृषि विभाग में भ्रष्टाचार पर बोलते हुए कहा था, “मेरे विभाग के सभी अधिकारी चोर हैं और इस तरह विभाग के प्रमुख होने के नाते, मैं चोरों का मुखिया हूँ।” उन्होंने आरोप लगाते हुए यह भी कहा था कि बिहार सूखे का सामना कर रहा है और धान के खेत सूखे हैं। उन्होंने बताया था कि उनके विभाग द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट से पता चला है कि 86 फीसदी खेतों में धान का रोपड़ किया गया है, यह आँकड़ा वास्तविक नहीं लग रहा है इसलिए इस मुद्दे को उठाया है।

सुधाकर सिंह ने यह भी कहा था, “हमारे (कृषि) विभाग का एक भी विंग ऐसा नहीं है जहाँ भ्रष्टाचार नहीं हो। सरकार बदल गई है, लेकिन काम करने का तरीका वही है। सब कुछ पहले जैसा ही है।”

गौरतलब है कि गत महीने एक मीटिंग के दौरान सुधाकर सिंह द्वारा शिकायत किए जाने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कथित तौर पर मीटिंग छोड़कर चले गए थे। कयास लगाए जा रहे हैं कि सुधाकर सिंह मुख्यमंत्री द्वारा किए गए इस तरह के बर्ताव से भी नाराज रहे हों। ये भी जानने लायक बात है कि सुधाकर सिंह राजद के प्रदेश अध्यक्ष और लालू परिवार के विश्वस्त वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह के बेटे हैं। तेज प्रताप यादव को जगदानंद सिंह से खासी समस्या रहती है, जिसे वो कई बार सार्वजनिक भी कर चुके हैं।

राज्य के कृषि मंत्री पद से सुधाकर सिंह के इस्तीफे के बाद राजनीति तेज हो गई है। इस इस्तीफे पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल ने मीडिया से कहा है, “जो नीतीश कुमार की गुलामी नहीं करेगा, उसे ये हटा देंगे। पूरी घटना के पीछे मुख्य कारण यह है कि गरीब लोगों को यूरिया नहीं मिली। अगस्त में हाहाकार मचा था। गरीबों को यूरिया मिलने में काफी दिक्कतें आई थीं। कृषि मंत्री ने इसी बात को बोल दिया था कि लूट मची हुई है। नीतीश को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया है कि कोई अफसरशाही के खिलाफ बोले। यही हुआ, ऐसे में वह टिप्पणी बर्दाश्त न कर सके और हटा दिया।”

बता दें, सुधाकर सिंह का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब वह चावल घोटाले के आरोपों से घिरे हुए हैं। साथ ही, यह भी जानना जरूरी है कि बिहार कैबिनेट से यह दूसरा इस्तीफा है। इससे पहले राज्य के कानून मंत्री कार्तिकेय कुमार ने भी इस्तीफा दे दिया था। कुल मिलाकर देखें तो बिहार में महागठबंधन सरकार बने दो महीने भी पूरे नहीं हुए हैं और अब तक दो मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं। इसका सीधा मतलब है कि भले ही नीतीश या लालू कुछ भी दावे करें लेकिन सूबे की राजनीति में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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