Thursday, April 25, 2024
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जलियाँवाला बाग के नए लुक पर रो रहे कॉन्ग्रेसी-वामपंथी: राहुल गाँधी का गुस्से वाला ट्वीट, कॉन्ग्रेसी CM ने कहा- ‘अच्छा दिख रहा’

"जलियाँवाला बाग के शहीदों का ऐसा अपमान वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं जानता। मैं एक शहीद का बेटा हूँ- शहीदों का अपमान किसी क़ीमत पर सहन नहीं करूँगा। हम इस अभद्र क्रूरता के खिलाफ हैं।"

भारत के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज जलियाँवाला बाग स्मारक के नए स्वरुप को लेकर विपक्षी दलों के साथ-साथ वामपंथियों ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। पूरा विवाद प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शनिवार (28 अगस्त, 2021) को जलियाँवाला बाग़ के पुनर्निर्मित परिसर के उद्घाटन बाद सामने आया है। जबकि इस उद्घाटन सत्र में पंजाब के CM कैप्टेन अमरिंदर सिंह भी उपस्थित थे। उस दिन PM मोदी ने अमृतसर स्थित जलियाँवाला बाग स्मारक स्थल पर विकसित चार संग्रहालय दीर्घाओं का भी लोकार्पण किया।

जहाँ सरकार के इस कदम की बड़े पैमाने पर सराहना हो रही थी वहीं अब वामपंथी इतिहासकारों, विपक्षी नेताओं और कॉन्ग्रेस से जुड़े लोगों ने सोशल मीडिया पर मोदी सरकार के इस काम पर उन्हें घेरने की कोशिश की है और आरोप लगाया कि ऐतिहासिक धरोहरों से मोदी सरकार छेड़छाड़ कर रही है।

कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी ने भी एक ट्वीट में इसे शहीदों का अपमान बताया। इस पूरे मामले पर राहुल गाँधी ने खुद को ‘शहीद का बेटा’ बताते हुए एनडीटीवी इंडिया की खबर शेयर करते हुए लिखा है, “जलियाँवाला बाग के शहीदों का ऐसा अपमान वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं जानता। मैं एक शहीद का बेटा हूँ- शहीदों का अपमान किसी क़ीमत पर सहन नहीं करूँगा। हम इस अभद्र क्रूरता के खिलाफ हैं।”

जबकि उनके इसी ट्वीट से इत्तेफाक न रखते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री ने जलियाँवाला बाग में हुए नए परिवर्तन को बहुत अच्छा बताया है। उन्होंने कहा, “मैं नहीं जानता क्या हटाया गया है मेरे लिए जो भी हुआ है अच्छा दिख रहा है।”

वहीं इस मामले में वामपंथी इतिहासकार इरफान हबीब ने लिखा- “यह स्मारकों का निगमीकरण है। आधुनिक संरचनाओं के नाम पर यह अपना असली मूल्य खो रहे हैं।” वहीं वामपंथी नेता सीताराम येचुरी ने भी ट्वीट करते हुए लिखा है, “केवल वे जो स्वतंत्रता संग्राम से दूर रहे, वे ही इसी प्रकार का कांड कर सकते हैं।”

वामपंथी इतिहासकार एस इरफान हबीब ने एक और वामपंथी जॉय दास के ट्वीट की रीट्वीट किया है। जॉय दास ने अपने ट्वीट में लिखा है, “पहली तस्वीर जलियाँवाला बाग का मूल प्रवेश द्वार है, जहाँ से जनरल डायर ने नरसंहार का आदेश देने से पहले प्रवेश किया था। यह उस भयानक दिन की याद दिलाती है। दूसरी तस्वीर नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा इसे ‘संरक्षण’ के नाम पर पुनर्निर्मित करने के बाद की है। देख लें ये कैसा दिखता है।”

बता दें कि जलियाँवाला बाग के इस नए अवतार से कॉन्ग्रेस के भड़कने को उनके परिवार के इस ट्रस्ट से बाहर होने को भी जोड़कर देखा जा रहा है। पंजाब के अमृतसर स्थित ऐतिहासिक जालियॉंवाला बाग के प्रबंधन से संबंधित ट्रस्ट से 2019 में ही कॉन्ग्रेस को मोदी सरकार ने बेदखल कर दिया गया था। राज्यसभा ने जैसे ही 20 नवम्वर, 2019 को जालियॉंवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक-2019 को मंजूरी दी थी उसके साथ ही यह काम पूरा हो गया था क्योंकि लोकसभा में यह बिल पहले ही पास हो चुका था।

इस संशोधन के बाद से ट्रस्ट में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के होने की अनिवार्यता समाप्त हो गई थी। अब इसकी जगह लोकसभा में विपक्ष के नेता या सबसे बड़े दल के नेता को सदस्य बनाया गया है। मोदी सरकार ने उसी समय बताया था कि 2023 में मौजूदा न्यास का कार्यकाल समाप्त होने पर नए सदस्यों में शहीदों के परिजन भी होंगे। संस्कृति मंत्रालय ने तब एक बयान जारी कर कहा था कि इस बिल का मकसद जालियाँवाला बाग़ प्रबंधक ट्रस्ट को राजनीति से दूर रखना है।

गौरतलब है कि अप्रैल 13, 1919 को जलियाँवाला बाग़ में जनरल डायर के आदेश पर निर्दोष लोगों पर ताबड़तोड़ गोलीबारी की गई थी। इस नृशंस नरसंहार में सैकड़ों लोग मारे गए थे। इनमें कई बच्चे भी थे। मारे जाने वालों में वृद्ध और महिलाएँ भी शामिल थीं। ख़ुद डायर ने स्वीकार किया था कि उनकी पलटन ने 1700 राउंड फायरिंग की थी। बलिदानियों की याद में बाग का प्रबंधन देखने के लिए ट्रस्ट की स्थापना 1921 में की गई थी। आजादी के बाद 1951 में नए ट्रस्ट का गठन किया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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