Friday, March 29, 2024
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हम जहाज़ का दाम बताते रहे, आप जहाज़ उड़ाते रहे : राहुल पर रक्षा मंत्री का तंज

रक्षा मंत्री ने सदन को आश्वस्त किया, "सितंबर 2019 में देश को पहला राफेल विमान मिल जाएगा और 2022 तक सभी 36 राफेल विमान देश को मिल जाएँगे। हमारी सरकार ने महज 14 महीनों में ही सौदे की प्रक्रिया पूरी कर ली। मैं आपको बताना चाहती हूँ कि रक्षा सौदा और रक्षा में सौदेबाजी में फर्क होता है।"

राफेल डील पर बहस जारी है और सिसायत गर्म, अरुण जेटली के बाद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष के आरोपों और सवालों का जवाब देने की जिम्मेदारी संभाल ली है। दरअसल, विपक्ष द्वारा लगातार यह बात उठाई जा रही थी कि रक्षा विभाग से संबंधित राफेल के मुद्दे पर रक्षा मंत्री क्यों कुछ नहीं बोल रहीं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को भी लोकसभा शुरू होने से पहले राफेल डील पर कुछ सवाल उठाए थे और कहा था कि वह चाहेंगे कि पीएम मोदी की जगह आज निर्मला सीतारमण इन सवालों के जवाब दें।

रक्षा मंत्री जैसे ही जवाब देने के लिए खड़ी हुई विपक्ष के लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया जिसके बाद वे नाराज होकर बैठ गईं। बाद में स्पीकर के आग्रह पर दोबारा बोलने के लिए खड़ी हुईं। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण राफेल डील पर विपक्ष के सवालों का जवाब दे रही हैं।

राफेल देश के लिए कितना ज़रूरी है इस पर रक्षा मंत्री ने कहा, “भारत हमेशा शांति चाहता है और कभी युद्ध की पहल नहीं करता है। लेकिन हमारे पड़ोस में इस तरह का माहौल नहीं है, ऐसे में हमारा तैयार रहना जरूरी है। देश के चारो तरफ खतरनाक माहौल है, हमें हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना जरूरी है। चीन ने अपनी सेना में 4 हजार के करीब विमानों को जोड़ा, लेकिन कांग्रेस ने अपने शासनकाल के दौरान क्या किया? आखिर जिन 126 विमानों का जिक्र करते हैं वे कहां हैं? आखिर कांग्रेस 2014 तक इस डील को पूरा क्यों नहीं कर पाई? यूपीए को बताना चाहिए कि वे अपनी कार्यकाल में राफेल का एक भी विमान क्यों नहीं ला सके?”

रक्षा मंत्री के जवाब के दौरान कांग्रेस सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। जो इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि 20 दिन का समय मिलने के बावजूद भी अपने सवालों के प्रति कितने गंभीर हैं। स्पीकर सुमित्रा महाजन उनको समझाने की लगातार कोशिश करती रहीं। पुनः निर्मला सीतारमण ने बोलना शुरू किया तो बताया, “काँग्रेस ने सेना की जरूरत को नहीं समझा जबकि इस मामले में हमें पड़ोसी देशों से सीखना चाहिए। सरकार और मैं राफेल पर हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार हैं, लेकिन काँग्रेस राफेल के तथ्यों से डर रही है।”

रक्षा मंत्री ने सदन को आश्वस्त किया, “सितंबर 2019 में देश को पहला राफेल विमान मिल जाएगा और 2022 तक सभी 36 राफेल विमान देश को मिल जाएंगे। हमारी सरकार ने महज 14 महीनों में ही सौदे की प्रक्रिया पूरी कर ली, वहीं राफेल की डिलिवरी तय समय से 5 महीने पहले हो रही है। मैं आपको बताना चाहती हूँ कि रक्षा सौदा और रक्षा में सौदेबाजी में फर्क होता है। हमारी सरकार ने देश की सुरक्षा से समझौता नहीं किया। हमने डील में तेजी दिखाई।”

राहुल के इस तर्क पर कि ‘जानबूझकर देरी की जा रही है’, रक्षा मंत्री ने जवाब देते हुए कहा, “दरअसल, यूपीए चाहती ही नहीं थी कि रक्षा सौदा हो। अगर यूपीए वाली डील होती तो विमान आने में 11 सालों का समय लग जाता। यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है और काँग्रेस ने सिर्फ बातचीत करने में ही 8 साल निकाल दिए।”

राहुल गाँधी द्वारा बार-बार लगाए जा रहे इस आरोप पर कि ‘HAL को विमान बनाने की जिम्मेदारी क्यों नहीं दी गई’, उन्होंने काँग्रेस को याद दिलाया, “कमिशन नहीं मिला तो आपने डील ही नहीं की। देश की सुरक्षा से समझौता किया। अगर यहाँ AA का जिक्र है तो वहाँ RV और Q है और RV प्रधानमंत्री के नहीं, देश के दामाद हैं। दसॉ ने HAL के बनाए विमानों की गारंटी नहीं ली। आज काँग्रेस HAL के लिए घड़ियाली आँसू बहा रही है।”

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट को पढ़ते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, “दसॉ ने स्पष्ट तौर पर बताया कि HAL राफेल विमान बनाने में सक्षम नहीं है। कांग्रेस HAL को बस रियायत देती रही। HAL के सुधार के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। स्टैंडिंग कमिटी ने HAL की क्षमता पर सवाल उठाए थे और उस कमिटी में मल्लिकार्जुन खड़गे जी भी थे। हमारी सरकार आने के बाद HAL के हालात सुधर रहे हैं। अब HAL का प्रॉडक्शन 8 एयरक्रॉफ्ट से 16 एयरक्रॉफ्ट हो गया है।”

निर्मला सीतारमण ने राहुल गाँधी से सवाल किया, “राहुल गाँधी ने बेंगलुरु में जाकर HAL के हालात पर घड़ियाली आँसू तो बहा दिया लेकिन क्या कभी अमेठी के HAL गए? आज क्रिश्चन मिशेल इंडिया आ गया है और वह कौन से खुलासे करनेवाला है, जिसके कारण आप इतना उत्तेजित हो रहे हैं। राफेल पर चल रहा यह पूरा हंगामा गैर-जिम्मेदाराना है। काँग्रेस पूरी तरह से झूठ बोल रही है और कह रही है कि सत्य बोल रहे हैं।”

सीतारमण ने विपक्ष से सवाल किया, “अब मैं पूछना चाहती हूँ, काँग्रेस प्रवक्ता ने एक जगह कहा था कि हम राफेल पर बात नहीं कर सकते क्योंकि यह आंतरिक मामला है। मैं किसी का नाम कोट नहीं कर रही हूँ। काँग्रेस प्रवक्ता ने कहा था कि काँग्रेस दूसरे राष्ट्र प्रमुख से डिफेंस डील के मुद्दे पर न चर्चा करेगी और न ही कोई मुलाकात इस मुद्दे के लिए होगी। सम्मानित सदस्य राहुल गाँधी ने 20 जुलाई को अपने बयान में कहा कि ‘मैंने फ्रेंच प्रेजिडेंट से इस राफेल सीक्रेसी पैक्ट पर चर्चा की।’ कौन सच बोल रहा है, काँग्रेस प्रवक्ता या फिर काँग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी? दोनों में से कोई एक झूठ बोल रहा है और देश को गुमराह कर रहा है। आप सदन के पटल पर एक बात कहें और आपके प्रवक्ता दूसरे मंच से कुछ और बात कहें। आप ऐसा नहीं कर सकते, आप सदन में और सदन के बाहर देश को गुमराह कर रहे हैं। मैं सीधे चुनौती देती हूँ कि या तो आप उस बातचीत की प्रमाणिक कॉपी सदन के पटल पर पेश करें या फिर आप देश को गुमराह करने की बात मानें।”

निर्मला सीतारमण के बयान पर भड़के राहुल गांधी बोले, “मुझे अपना पक्ष रखने का स्पीकर मैडम पूरा हक है। उन्होंने मेरा नाम लिया है और कल आप मुझे कह रही थीं कि मैं किसी का नाम नहीं ले सकता।”

स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा, “आप सदन में उपस्थित हैं इसलिए आपका नाम लिया गया। आपको भी मौका मिलेगा कि आप अपना पक्ष रख सकें। मैं आपको भी अपना पक्ष रखने का मौका दूंगी।”

निर्मला सीतारमण ने आगे राहुल गाँधी के सवालों का जवाब देते हुए ये आरोप लगाया, “राफेल को लेकर यह पूरा कैंपेन भ्रामक है और झूठ की बुनियाद पर खड़ा है। मैं जब भी जवाब देने के लिए प्रस्तुत हुई, इन्होंने कभी सुनना नहीं चाहा। आपने एयरफोर्स चीफ को झूठा बोला, आपने प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री के लिए भी यही कहा। काँग्रेस के सीनियर नेता जो इस सदन के सदस्य भी हैं। यह काँग्रेस का कितना गैर-जिम्मेदाराना बर्ताव है कि एक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पाकिस्तान ही मदद माँगने चले गए कि इस मोदी सरकार को हटाने में मदद करिए। मैं याद दिलाना चाहती हूँ काँग्रेस को कितनी बार आपने कहा कि यह देश हित में है और सुरक्षा से जुड़ा है और हम इसकी गोपनीयता की रक्षा करेंगे। मैंने बार-बार कहा कि कीमतों की बुनियादी जानकारी साझा की जा सकती है, लेकिन हम इसे पूरी तरह से ओपन नहीं कर सकते। हम डिबेट के लिए तैयार हैं, हम जवाब देने के लिए तैयार हैं।”

आगे सीतारमण ने राहुल गाँधी पर तंज करते हुए कहा, “इस सदन में अगर यह जवाब के लिए गंभीर होते तो क्या विपक्ष की सीट पर बैठकर फोटो खींचते रहते, एक-दूसरे को कागज पास करते। इस सदन में वित्त मंत्री के ऊपर भी जहाज उड़ाते रहे! मुझ पर आरोप लगाया कि मैं एआईएडीएमके सदस्यों के पीछे डरकर छिपकर बैठी हूँ। आज जब मैंने उनका नाम लिया तो उन्हें सफाई देने के लिए मौका चाहिए।”

राहुल गाँधी द्वारा हर रैली में राफेल की कीमत अलग-अलग बताए जाने पर सीतारमण ने चुटकी लेते हुए कहा, “राफेल की कीमत भी क्या काँग्रेस अध्यक्ष जानते हैं, जनआक्रोश रैली में अलग दाम बताए, हैदराबाद में अलग। काँग्रेस पार्टी को हमें बताने से पहले अपना होमवर्क करना चाहिए। काँग्रेस ने राफेल के प्राइस को लेकर कोई बातचीत कभी रक्षा मंत्री से नहीं की है। राफेल का बेसिक दाम हमने प्रति एयरक्राफ्ट ₹670 करोड़ बताया है। राफेल का कुल दाम ₹737 करोड़ था, लेकिन हमने ₹670 करोड़ में खरीदा जो 9 फीसदी कम है और इस देश के लिए हमने ज्यादा बेहतर डील की है।”

रक्षा मंत्री ने काँग्रेस की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा, “आखिर बेसिक एयरक्राफ्ट के दाम की तुलना हथियारों से लैस विमानों की दाम से क्यों की जा रही है? काँग्रेस राफेल विमानों की कीमत प्रति विमान 526 करोड़ किस आधार पर बता रही है? काँग्रेस हर बार राफेल के अलग-अलग दाम बताती है। राफेल सौदे के लिए कुल 74 बैठकें की गई उसके बाद जाकर सौदा फाइनल हुआ। 526 करोड़ की तुलना 1600 करोड़ से करना सेब की तुलना संतरे से करने जैसा है। काँग्रेस राफेल के अलग-अलग दाम बताकर लोगों को गुमराह कर रही है।”

काँग्रेस राफेल मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की भी अवहेलना कर रही है, जिस पर रक्षा मंत्री सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट पढ़ते हुए राहुल गाँधी को याद दिलाया, “सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पैराग्राफ 34 में कहा गया कि सभी तथ्यों की जांच के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि डील में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं है। किसी का व्यक्तिगत धारणा के आधार जांच नहीं की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पैराग्राफ 33 में कहा गया कि डील में सरकार की भूमिका कहीं भी ऐसी नहीं दिख रही कि सरकार ने किसी को कॉमर्शियल फायदा पहुंचाने की कोशिश की है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पैराग्राफ 26 में कहा गया कि एयरक्राफ्ट की कीमत सार्वजनिक करने का कोई औचित्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पैराग्राफ 25 में कहा गया कि सरकार ने एयरक्राफ्ट की कीमत नहीं बताई क्योंकि यह संवेदनशील मुद्दा है। यह दो देशों के बीच हुए समझौते का उल्लंघन होता। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात को माना कि संवेदनशीलता के चलते एयरक्राप्ट के दाम को सार्वजनिक करना ठीक नहीं है। दाम का खुलासा करना सौदे की प्रक्रिया और शर्तों का उल्लंघन होता लेकिन काँग्रेस के लोग इस बात को समझ नहीं रहे हैं और लगातार देश को गुमराह करने में लगे हुए हैं।”

लोक सभा में रक्षा मंत्री के जवाब का पूरा वीडियो

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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